नई दिल्ली। सरकार ने कहा है कि बीते वित्त वर्ष 2021-22 में कोयले के आयात में कमी की मुख्य वजह बिजली क्षेत्र की खरीद घटना है। कोयला आयात वित्त वर्ष 2019-20 में 24.8 करोड़ टन रहा था। अगले दो वित्त वर्षों 2020-21 और 2021-22 में यह क्रमश: 21.5 करोड़ टन और 20.9 करोड़ टन तक नीचे आ गया।
इसलिए आई कोयले के आयात में गिरावट
कोयला मंत्रालय ने कहा, 'वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान कोयले के आयात में गिरावट का मुख्य कारण बिजली क्षेत्र का आयात घटना है। यह वित्त वर्ष 2021-22 में लगभग 40 प्रतिशत की गिरावट के साथ 4.5 करोड़ टन से घटकर 2.7 करोड़ टन रह गया।'
आठ प्रतिशत बढ़ा बिजली उत्पादन
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'अगर हम बीते वित्त वर्ष में बिजली क्षेत्र द्वारा कोयले के आयात की तुलना वित्त वर्ष 2019-20 के कोविड-पूर्व वर्ष से करें, तो इन दो साल में इस क्षेत्र में काफी तेजी से गिरावट आई है।' इसके बावजूद देश का कुल ताप बिजली उत्पादन वित्त वर्ष 2021-22 में आठ प्रतिशत बढ़कर 1,115 अरब यूनिट पर पहुंच गया, जो वित्त वर्ष 2020-21 में 1,032 अरब यूनिट था।
कोयले की वास्तविक मांग वित्त वर्ष 2019-20 में 95.6 करोड़ टन से बढ़कर 2021-22 में 102.7 करोड़ टन पर पहुंच गई। इसके बावजूद शुष्क ईंधन के आयात में वृद्धि नहीं हुई। कोयला आयात वित्त वर्ष 2009-10 से 2013-14 की अवधि के दौरान 22.86 प्रतिशत की सालाना दर से बढ़ा था।
रोका जा सकता है कोयले का आयात
बयान में कहा गया है कि पिछले कुछ साल में बढ़ी हुई घरेलू आपूर्ति को बनाए रखने से कोयले के आयात को रोका जा सकता है। देश का कोयला उत्पादन बीते वित्त वर्ष में बढ़कर 77.7 करोड़ टन पर पहुंच गया, जो वित्त वर्ष 2020-21 के 71.6 करोड़ टन से अधिक था।