- अमिताभ कांत ने कहा कि हम वृद्धि के उभरते क्षेत्रों पर ध्यान दें।
- हाइड्रोजन, हाई एंड बैटरी, उन्नत सौर पैनल सेक्टर पर ध्यान देना होगा
- उन्होंने कहा कि अगले 5 साल में सौर ऊर्जा की कीमतें 1 रुपए प्रति यूनिट पर आनी चाहिए।
नई दिल्ली : नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने गुरुवार को कहा कि भारत चीन की नकल करके दुनिया का नया विनिर्माण केन्द्र नहीं बन सकता। भारत को यदि इस क्षेत्र में आगे निकलना है तो उसे वृद्धि के नए उभरते क्षेत्रों पर ध्यान देना होगा। कांत ने उद्योग संगठन सीआईआई की वार्षिक बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के निजी क्षेत्र को अपने लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने होंगे और प्रतिस्पर्धी बनने के लिए हरित हाइड्रोजन, हाई एंड बैटरी, उन्नत सौर पैनलों पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
उन्होंने कहा कि चीन की नकल करके भारत दुनिया का अगला कारखाना (विनिर्माण केन्द्र) नहीं बन सकता। हम हमेशा उन क्षेत्रों में उतरे हैं जो वृद्धि के लिहाज से ढलान पर हैं, समय आ गया है कि हम वृद्धि के उभरते क्षेत्रों पर ध्यान दें। कांत के अनुसार भारत को उन क्षेत्रों में जगह बनाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए जिनमें चीन पहले ही आगे है।
उन्होंने कहा कि भारत में नवीकरण क्षेत्र में सबसे मजबूत वैश्विक कंपनियां हैं। ये (हाइड्रोजन, हाई एंड बैटरी, उन्नत सौर पैनल) प्रौद्योगिकी से जुड़े वृद्धि के क्षेत्र हैं, अगर आप दुनिया में शीर्ष पर पहुंचना चाहते हैं तो आपको इन पर ध्यान देना होगा। कांत ने कहा कि भारत हरित हाइड्रोजन और अमोनिया दोनों का एक प्रमुख निर्यातक हो सकता ह। उन्होंने यह भी कहा कि अगले पांच साल में सौर ऊर्जा की कीमतें एक रुपए प्रति यूनिट पर आनी चाहिए।
कांत ने कहा कि भारत की अंतिम ऊर्जा खपत का केवल 18 प्रतिशत ऊर्जा के रूप में है और शेष 82 प्रतिशत को कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन रहित अन्य रूपों की जरूरत है। उन्होंने नीति आयोग के विश्लेषण का हवाला देते हुए कहा कि यूरोप और अमेरिका मिलकर करीब 500 गीगावाट हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया का आयात करेंगे।
कांत ने कहा कि भारत को 2030 तक कम से कम 200 गीगावाट हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया का निर्यात करने का लक्ष्य रखना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारतीय उद्योग को स्वस्थ, डिजिटल बनने और कौशल में निवेश करने, कॉर्पोरेट अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) में तेजी से वृद्धि करने और प्रतिस्पर्धी होने के लिए अत्याधुनिक उत्पाद नवाचारों का प्रयास करने की जरुरत है।