- अप्रैल 2019 में जेट एयरवेज भारी कर्ज में डूबे होने और अपने खर्चे नहीं निकाल पाने के कारण बंद हो गई थी।
- मुरारी लाल जालान और कालरॉक कंसोर्टियम ने जून 2021 मे NCLT की निगरानी में जेट एयरवेज की बोली जीती थी।
- जेट एयरवेज को गृह मंत्रालय की ओर से सिक्योरिट क्लीयरेंस मिल चुका है।
Jet Airways Revival:पिछले 3 साल से बंद पड़ी जेट एयरवेज के लिए 5 मई को उम्मीदों भरा दिन था। उस दिन कंपनी के किसी एयरक्रॉफ्ट ने इन 3 सालों में पहली बार कोई उड़ान भरी थी। हालांकि हैदराबाद से दिल्ली की यह उड़ान टेस्टिंग का हिस्सा थी। लेकिन इस उड़ान ने कभी देश की सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी रह चुकी जेट एयरवेज के दोबारा ऑपरेशन की उम्मीदें बढ़ा दी हैं। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि कंपनी अगले तीन-चाह महीने में घरेलू स्तर पर हवाई सेवाएं शुरू कर सकती है। इस बीच जेट एयरवेज को गृह मंत्रालय की ओर से सिक्योरिट क्लीयरेंस मिल चुका है।
2019 में बंद हो गई जेट एयरवेज
साल 1993 में ट्रैवल एजेंट नरेश गोयल द्वारा जेट एयरवेज शुरू होने के 26 साल बाद अप्रैल 2019 में कंपनी भारी कर्ज में डूबे होने और अपने खर्चे नहीं निकाल पाने के कारण बंद हो गई । उस वक्त कंपनी पर करीब 8500 करोड़ रुपये का बकाया था। हालात ऐसे थे कंपनी अपने कर्मचारियों की सैलरी तक नहीं निकाल पा रही थी। इन परिस्थितियों में कंपनी को कर्जदाताओं यानी बैंकों ने पैसे मांगने शुरू करिए। मामला नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ( NCLT) तक पहुंच गया। और फिर मुरारी लाल जालान और कालरॉक कंसोर्टियम ने जून 2021 मे NCLT की निगरानी में जेट एयरवेज की बोली जीती ली। और अब वहीं कंसोर्टियम जेट एयरवेड को दोबारा उड़ान भरने की दहलीज पर लेकर आया है। इस बीच कंपनी नए स्टॉफ की भर्तियां भी शुरू कर दी हैं। साथ ही नए हवाई जहाजों के खरीद की प्रक्रिया भी आगे बढ़ चुकी है।
कैन है मुरारी लाल जालान और कालरॉक कंसोर्टियम
मुरारी लाल जालान का यूएई में रियल एस्टेट का प्रमुख रूप से बिजनेस है। इसके अलावा उज्बेकिस्तान में भी कंपनी रियर एस्टेट का कारोबार कर रही है। जो कि MJ Developers के नाम से काम करती है। मुरारी लाल जालान उसके चेयरमैन हैं। रियल स्टेट के अलावा कंपनी माइनिंग, ट्रेडिंग, डेयरी, पर्यटन क्षेत्र में भी कारोबार कर रही है। मुरारी लाल जालान ने कालरॉक के साथ मिलकर जेट एयरवेज को खरीदा है। कालरॉक ब्रिटेन के इन्वेस्टमेंट ग्रुप फ्रेच का हिस्सा है। जो इन्वेस्टमेंट एडवाइजर कंपनी के तौर पर काम करती है। और अब यही दोनों ग्रुप कंपनी के रिवाइवल के लिए निवेश कर रहे हैं।
सेवाएं शुरू करने में सबसे बड़ी चुनौती
जब जेट एयरवेज को ग्राउंड हुए तीन साल बीत चुके है। ऐसे में अब उसे नए सिरे से हवाई बेड़े तैयार करने होंगे। इसके अलावा पुराने कर्मचारियों का विवाद भी कंसोर्टियम की लिए चुनौती खड़ी कर सकता है। हालांकि कंसोर्टियम ने जिस तरह रिवाइवल की दिशा में कदम आगे बढ़ाया है। इसके साथ ही कंपनी को अपने ऑपरेशन शुरू करने के लिए कुछ प्राइम स्लॉट्स की भी जरूरत होगी।उम्मीद है कि इन मुद्दों जल्द सुलझा लिया जाएगा।
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