- करवाचौथ पर श्रृंगार में सबसे महत्वपूर्ण मेहंदी होती है
- महंदी लगाने वाले सड़कों पर स्टूल डालकर बैठते हैं लेकिन महिलाएं नहीं आ रही हैं
- पहले महिलाएं लंबी लंबी लाइनों में लगकर इंतजार करती थीं
नई दिल्ली : महिलाओं के सबसे पसंदीदा त्योहार करवाचौथ इस बार 4 नवंबर को मनाया जाएगा। इस त्योहार में महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और 16 श्रृंगार करती हैं। श्रृंगार में सबसे महत्वपूर्ण मेहंदी होती है। लेकिन कोरोना महामारी के बीच मेहंदी लगाने का धंधा भी मंदा नजर आ रहा है। दिल्ली के राजौरी गार्डन में करीब 200 से अधिक लोग महंदी लगाने के लिए सड़कों पर स्टूल डालकर बैठ चुके हैं। मार्केट में करीब 20 से अधिक जगहों पर लोगों ने डेरा जमाया हुआ है। इनमें लड़के और लड़कियां दोनों शामिल हैं। महिलाओं को मेहंदी लगवाने के लिए अक्सर लंबी लंबी लाइनों में लगकर इंतजार करना पड़ता था, लेकिन इस बार मेहंदी लगाने वाले ही इंतजार करने को मजबूर हैं। बाजार में खाली पड़े स्टूल और कमाई करने के लिए दूर-दूर से आए लोग मायूस नजर आ रहे हैं। दरअसल, महिलाओं में महंदी लगाने की उत्सुकता तो नजर आ रही है, लेकिन कोरोना का डर भी बना हुआ है।
राजौरी गार्डन मार्केट में बैठे रोशन लाल पिछले 5 साल से महंदी लगाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने आईएएनएस को बताया कि इस साल करवाचौथ पर महिलाएं बहुत कम बाहर निकल रही हैं। इसका हमारी रोजी-रोटी पर असर पड़ रहा है। सुबह से सिर्फ एक महिला ने आकर मेहंदी लगवाई है। पिछली साल के मुकाबले इस बार बाजार बहुत मंदा है।
उन्होंने कहा कि महिलाओं को लाइनों में लगकर इंतजार करना पड़ता था। लेकिन इस बार हम खुद इंतजार कर रहे हैं। 100 रुपये से लेकर 1100 रुपये तक मेहंदी लगाने के दाम हैं। बाकी डिजाइन के ऊपर डिपेंड करता है कि महिलाएं किस तरह की मेहंदी लगवाना चाहती हैं।"
राजौरी गार्डन निवासी प्रेरणा करवाचौथ के लिए मेहंदी लगवा रही हैं। उन्होंने आईएएनएस को बताया, "कोरोना बीमारी की वजह से हम डर-डर कर मेहंदी लगवा रही हैं। करवाचौथ हम महिलाओं का एक बहुत बड़ा त्यौहार है। अपने सुहाग के लिए हम ये मेहंदी लगवा रहे हैं। रिवाज भी तो निभाना पड़ता है।"
दरअसल, काफी महिलाएं मेहंदी के कोन बाजारों से खरीद कर घर ले जा रही हैं, ताकि घर पर खुद ही मेहंदी लगा लें। वहीं कुछ महिलाएं मेहंदी लगाने वालों को घर पर ही बुला रही है, ताकि भीड़-भाड़ से बचा जा सके।
हालांकि त्यौहारों के वक्त बाजारों में भीड़ होना शुरू हो गई है। इसको लेकर प्रशासन भी काफी सख्त नजर आ रहा है। राजौरी गार्डन मार्केट में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो और लोग नियमों को लेकर लापरवाही न बरतें, इसको लेकर पुलिस सख्ती बरत रही है।
मेहंदी लगाने वाले सड़कों किनारे स्टूल लगाए हुए हैं। प्रशासन द्वारा सभी को कोरोना नियमों का पालन करने को कहा गया है। लापरवाही बरतने वालों पर जुर्माना भी किया जा रहा है।
सना खान दिल्ली निवासी हैं और पहली बार राजौरी गार्डन में महंदी लगाने आई हैं। उन्होंने आईएएनएस को बताया, "मैंने पोस्ट ग्रेजुएशन की हुई है और मेहंदी लगाने का 6 महीने का कोर्स भी किया है। सुबह से सिर्फ एक महिला आई है, जिसने मेहंदी लगवाई है। उम्मीद करते हैं कि दो दिन में अच्छा व्यापार हो जाए।
मार्केट में अब्दुल खान पिछले 6 सालों से मेहंदी लगाने का काम कर रहे हैं और ग्राहकों का इंतजार कर रहे हैं। उनके अनुसार, "इस बार तो कुछ समझ नहीं आ रहा है। लोग बाहर निकल ही नहीं रहे हैं। 40 फीसदी व्यापार नजर आ रहा है। पिछली साल तो हमारे पास वक्त ही नहीं हुआ करता था।"
अब्दुल, सना और रोशन जैसे सभी मेहंदी लगाने वाले मायूस हैं। दरअसल, ये काम सीजनल होता है और अक्सर इन महीनों में पहले से बुकिंग शुरू हो जाती है। लेकिन इस बार लोग कोरोना की वजह से इन्हें घरों पर भी नहीं बुला रहे हैं।
सभी मेहंदी लगाने वाले अपने पास सैनिटाइजर रखे हुए हैं और जो महिला मेहंदी लगवाने आती हैं, उनके हाथ पहले सैनिटाइज किए जाते हैं। हालांकि मेहंदी लगाने वालों से जब पूछा गया कि क्या सैनिटाइजर लगाने से मेहंदी की लाली पर कोई फर्क पड़ता है तो इसके जवाब में महेश (मेहंदी लगाने वाले) ने कहा कि अभी तक तो ऐसा कुछ नहीं लग रहा है कि सैनिटाइजर लगाने से मेहंदी की लाली पर कोई फर्क पड़ता हो।
खुशबू पिछले 10 साल से मेहंदी लगाने का काम कर रही हैं। बाजार में व्यापार कम देख वो खुद ही अपने हाथों में मेहंदी लगवाने बैठ गई हैं। उन्होंने आईएएनएस को बताया कि 10 सालों से यहीं मेहंदी लगाने का काम कर रही हूं। लेकिन मुझे याद नहीं कि आखिरी बार कब मुझे ग्राहको का इंतजार करना पड़ा हो।
करवाचौथ को बस दो दिन ही बचे हुए हैं, ऐसे में इस त्यौहार के लिए खरीदारी करने को अब महिलाओं के पास बहुत कम समय बचा है। इसलिए आजकल बाजारों में महिलाओं का हुजूम उमड़ रहा है। साड़ियों की दुकानों पर भी आजकल अच्छी खासी भीड़ लगी हुई है। करवाचौथ की खासियत है कि यह व्रत शादीशुदा महिलाओं के अलावा कुछ लड़कियां भी रखती हैं, जिनकी शादी तय हो चुकी होती है।