लाइव टीवी

Loan Moratorium पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई, सरकार ने कहा- हम ब्याज माफ नहीं कर सकते

Updated Sep 03, 2020 | 18:45 IST

Loan Moratorium : लोन मोरेटोरियम को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हम ब्याज माफ नहीं कर सकते।

Loading ...
तस्वीर साभार:&nbspBCCL
लोन मोरेटोरियम

Loan Moratorium : सुप्रीम कोर्ट ने COVID 19 के कारण मोरिटोरियम अवधि के दौरान ब्याज पर छूट देने की दिशा में मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपनी प्रस्तुतियां दीं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि बैंकिंग सेक्टर हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, हम कोई भी ऐसा फैसला नहीं ले सकते हैं जो अर्थव्यवस्था को कमजोर कर सकता है। हम ब्याज माफ नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को निर्देश दिया कि बैंक खातों को नन परफॉर्मिग एसेट्स (एनपीए) घोषित नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि 31 अगस्त को तब तक एनपीए घोषित नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि मोरिटोरियम अवधि बढ़ाने की दलीलों का निपटान नहीं हो जाता।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन-जजों की बैंच ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर लोन की चुकौती पर मोरोटोरियम अवधि बढ़ाने और लोन राशि की अदायगी पर ब्याज माफ करने की दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बैंकिंग सेक्टर भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और सरकार कोई भी निर्णय नहीं ले सकती है जिससे अर्थव्यवस्था कमजोर हो सकती है। मेहता ने कहा कि हमने ब्याज माफ नहीं करने का फैसला किया है, लेकिन भुगतान का दबाव कम किया है।

याचिकाकर्ताओं में से एक एडवोकेट विशाल तिवारी ने पूछा कि क्या 1 नवंबर तक के लिए तीन महीने का समय दिया जाएगा ताकि 31 अगस्त के बाद उधारकर्ताओं को 31 अगस्त के बाद पुनर्निर्धारण या पुनर्गठन के लिए बैंकों से संपर्क करने दिया जाएगा। तिवारी ने यह भी पूछा कि क्या ईएमआई को टाल दिया जाएगा और क्या डिफॉल्ट रूप से कोई कार्रवाई नहीं होगी। मामले में सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद बैंच ने मामले में याचिकाओं के निपटान तक एनपीए के रूप में खातों की घोषणा नहीं करने का आदेश पारित किया।

इससे पहले, केंद्र सरकार ने कहा था कि चल रहे COVID-19 महामारी को देखते हुए लोन मोरेटोरियम अवधि को दो साल तक बढ़ाया जा सकता है। यह भी कहा था कि ब्याज बंद करने से बैंकों और आर्थिक स्थिति कमजोर होगी।  COVID-19 महामारी का आर्थिक प्रभाव की वजह से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 27 मार्च की अपनी अधिसूचना में, मासिक लोन की किस्त पर तीन महीने की मोहलत दी और 23 मई को इसे तीन महीने के लिए बढ़ाकर 31 अगस्त 2020 तक के लिए बढ़ा दिया।

शीर्ष अदालत गजेंद्र शर्मा और वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर दो दलीलों पर सुनवाई कर रही थी, जो कि लोन पर अपने ईएमआई भुगतान को स्थगित करने और मोरेटोरियम के दौरान लोन चुकौती पर उधारकर्ताओं की मदद करने के लिए ब्याज की माफी देने की मांग कर रहे थे।

Times Now Navbharat पर पढ़ें Business News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।