- भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व अध्यक्ष प्रतीप चौधरी को धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
- मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज की।
- जेल में बेचैनी और हाई ब्लड प्रेशर के चलते अब वे जयपुर के जवाहर अस्पताल में भर्ती हैं।
Loan Scam: भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के पूर्व अध्यक्ष प्रतीप चौधरी (Pratip Chaudhari), जो हाल ही में एक ऋण घोटाले (loan scam) में जेल गए थे, को कथित तौर पर जयपुर के जवाहर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। समाचार एजेंसी आईएएनएस ने अधिकारियों के हवाले से बताया गया कि, 'जेल में बेचैनी और उच्च रक्तचाप की शिकायत के बाद उन्हें बुधवार शाम को जवाहर अस्पताल लाया गया था।'
प्रतीप चौधरी को एक होटल की बिक्री में कथित धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तारी के बाद सोमवार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया, जब कंपनी ने ऋण पर चूक की थी।
जानें पूरा मामला
एसबीआई ने एक बयान में कहा कि जैसलमेर में एक होटल परियोजना 'गढ़ रजवाड़ा' को 2007 में बैंक द्वारा वित्तपोषित किया गया था। यह परियोजना तीन साल से अधिक समय तक अधूरी रही और खाता 2010 में गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) में चला गया।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी। जैसलमेर के सदर एसएचओ करण सिंह ने कहा था कि, 'हमने एसबीआई के पूर्व चेयरमैन प्रतीप चौधरी को अदालत के समक्ष पेश किया जहां से उन्हें आज न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
मामले में पुलिस ने कहा कि चौधरी के खिलाफ 2015 में ऋण निपटान मामले में प्रमुख होटल संपत्ति को कथित रूप से जब्त करने और धोखाधड़ी के माध्यम से एक संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी (एआरसी) को बेचने के लिए मामला दर्ज किया गया था। उन्होंने कहा कि चौधरी बाद में उस कंपनी के बोर्ड के निदेशक के रूप में शामिल हुए जिसने होटल खरीदा था।
बिक्री करते समय उचित प्रक्रिया का हुई पालन- SBI
एसबीआई ने अपने बयान में कहा कि बिक्री करते समय सभी उचित प्रक्रिया का पालन किया गया। बैंक ने दावा किया कि ऐसा लगता है कि अदालत को घटनाओं के क्रम पर सही ढंग से जानकारी नहीं दी गई है।
इसने कहा कि एसबीआई मामले में पक्षकार नहीं था और अदालत में कार्यवाही के हिस्से के रूप में बैंक के विचारों को सुनने का कोई अवसर नहीं था। बयान में कहा गया है कि बैंक ने कानून प्रवर्तन और न्यायिक अधिकारियों के साथ अपने सहयोग की पेशकश की है और यदि आवश्यक हो तो आगे की जानकारी प्रदान करेगा।
एसबीआई ने कहा कि 2014 में उनके बोर्ड में शामिल हुए चौधरी सहित एआरसी के सभी निदेशकों को मामले में नामित किया गया है। बयान में कहा गया है कि वह सितंबर 2013 में बैंक की सेवा से सेवानिवृत्त हुए थे।