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अर्थव्यवस्था संकट में, सर्वाइव करने के लिए ऐसे करें अपना मनी मैनेजमेंट, जानें ये टिप्स

Updated May 05, 2020 | 14:13 IST

Money management tips : कोरोना वायरस की वजह से दुनिया थम गई है। भारत समेत पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था संकट में है। ऐसे में सर्वाइव करने के लिए अपने मनी मैनेजमेंट पर ध्यान दें। बताए गए टिप्स पर ध्यान दें।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
कोरोना संकट में मनी मैनेजमेंट टिप्स पर ध्यान दें

पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था संकट में है। कोविड-19 वैश्विक महामारी ने दुनिया के सारे देशों को लॉकडाउन में डाल दिया है, और वैल्यू चेन्स को कुचलकर रख दिया है। बेरोजगारी काफी बढ़ गई है। आपका पर्सनल फाइनेंस भी इस संकट से बचने वाला नहीं है। इसलिए, ऐसे समय में सर्वाइव करने के लिए स्मार्ट मनी मैनेजमेंट करना बहुत जरूरी है। अपने पर्सनल फाइनेंस के चार मुख्य स्तम्भ (लिक्विडिटी, इंश्योरेंस, लोन, और इन्वेस्टमेंट) पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। ऐसी परिस्थिति में ठंडे दिमाग से फैसले लेने की जरूरत है जिससे आपको अपने घरेलू फाइनेंस को मजबूत करने और इस संकट से सही-सलामत बाहर निकलने में मदद मिल सके। अपने फाइनेंस के विभिन्न पहलुओं से निपटने में आपकी मदद करने के लिए यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं।

कैश मैनेजमेंट
कैश रिजर्व तैयार करें: आपको अपने 3 से 6 महीने का मंथली इनकम, हमेशा अपने पास रखना चाहिए। समय के साथ इसे 12 गुना करने की कोशिश करें। इमरजेंसी में जैसे नौकरी छूटने पर या कोई स्वास्थ्य सम्बन्धी संकट आने पर, आप इस पैसे का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस पैसे का इस्तेमाल मनमौजी या लाइफस्टाइल से जुड़े खर्च जैसे वैकेशन, शॉपिंग, मनोरंजन, इत्यादि पर न करें।

कैश को बैंक और FD में रखें: घर में कैश रखने की कोई जरूरत नहीं है। अपने पैसे अपने बैंक अकाउंट या बैंक फिक्स्ड डिपोजिट में रखें, और घर में जरूरत के हिसाब से कम से कम कैश रखें। ज्यादा से ज्यादा डिजिटल तरीके से लेनदेन करें। UPI आधारित एप्स और ऑनलाइन ट्रांसफर का इस्तेमाल करें।

अपने पैसे अलग-अलग बैंकों में रखें: कम NPA और अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड वाले स्टेबल बैंकों पर भरोसा करें। संकट के दौरान, आप बिना किसी बाधा के अपने कैश का इस्तेमाल करना चाहेंगे। इसलिए अपने रिस्क को कम करने के लिए एक से अधिक बैंकों में पैसे जमा करें।

कम खर्चीला बनें: पैसे बचाकर रखने की आदत डालें। मनमौजी खर्च में कटौती करें। अपने सर्वाइवल, पोषण, सुरक्षा, और अच्छी सेहत के लिए जरूरी चीजों पर खर्च करने पर ध्यान दें। विश्व की अर्थव्यवस्था को सुधरने में थोड़ा समय लग सकता है।

सोच-समझकर एसेट्स को लिक्विडेट करें: यदि आपको पैसों की जरूरत है तो अपनी जरूरत के आधार पर सोच-समझकर अपने इन्वेस्टमेंट्स को निकालें और एसेट्स को बेचें। सबसे पहले, सबसे अधिक डिस्पोजेबल एसेट्स को लिक्विडेट करें। सबसे अच्छा परफॉर्म करने वाले एसेट्स को अंत तक बचाकर रखें।

इंश्योरेंस मैनेजमेंट
प्रीमियम छूटने न दें: निरंतर कवरेज, आपके परिवार के फाइनेंस के लिए बहुत जरूरी है। इंश्योरेंस पॉलिसियों को बंद न करें या उनका प्रीमियम छूटने न दें। ऐसे समय में इंश्योरेंस न होने पर आपका फाइनेंस पूरी तरह बर्बाद हो सकता है। हेल्थ इंश्योरेंस आपके हॉस्पिटलाइजेशन कॉस्ट को कवर करता है जबकि लाइफ इंश्योरेंस आपकी असमय मौत होने पर आपके परिवार को फाइनेंसियल सपोर्ट देता है।

एम्पलॉयर द्वारा दिया गया इंश्योरेंस काफी नहीं है: आपके एम्पलॉयर के द्वारा दिए जाने वाले ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस का कवरेज तभी तक मिलेगा जब तक आपकी नौकरी रहेगी। इसका कवरेज नाकाफी भी हो सकता है। इसलिए, हमेशा अपने और अपने डिपेंडेंट फैमिली मेम्बर्स के लिए रिटेल मार्केट से खरीदा गया एक आत्मनिर्भर, पर्याप्त आकार का कवर लेकर रखें।

अपने एम्पलॉयर द्वारा दिए गए इंश्योरेंस को अपने साथ ले जाएं: नौकरी छोड़ते समय, अपनी कंपनी द्वारा दिए जाने वाले ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस को एक व्यक्तिगत, रिटेल पॉलिसी में बदल लें। अपने एम्पलॉयर और इंश्योरेंस कंपनी से इस बारे में बात करें, मार्केट रेट के अनुसार प्रीमियम भरें, और बिना किसी वेटिंग पीरियड के लगातार कवरेज का आनंद उठाएं।

इंश्योरेंस ले रखा है? उसे बढ़ाने की कोशिश करें: एक सुपर टॉप-अप हेल्थ इंश्योरेंस खरीदकर अपने बेसिक कवरेज को बढ़ाने की कोशिश करें। यह एक डिडक्टिबल के रूप में काम करने वाले अपने बेसिक कवरेज के साथ अलग से बड़े आकार का कवरेज पाने का एक सस्ता तरीका है।

डिपेंडेंट्स हैं? एक टर्म प्लान लें: आपके फाइनेंसियल डिपेंडेंट्स (माता-पिता, पति/पत्नी, बच्चे) को आपकी असमय मौत से प्रोटेक्शन की जरूरत है। इसलिए अपने मौजूदा एनुअल इनकम के 10-20 गुना इंश्योरेंस अमाउंट वाला एक टर्म प्लान लेकर रख लें। यह आपकी मौत के बाद आपकी फैमिली की इनकम से जुड़ी जरूरतों को पूरा करेगा।

इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट
डरें नहीं: डरकर फैसले लेने से आपका नुकसान और बढ़ेगा। सब कुछ जानकर और अच्छी तरह सोच-समझकर ही फैसले लेने चाहिए। मार्केट गिर गया है; आपको पैसे का नुकसान हुआ होगा। लेकिन मार्केट फिर उठेगा। लम्बे समय वाला खेल खेलें। कोई भी महत्वपूर्ण कदम उठाने से पहले अपने इन्वेस्टमेंट एडवाइजर से जरूर बात करें।

अपने इन्वेस्टमेंट्स का मूल्यांकन करें: एक हर समय वाला इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो तैयार करने की कोशिश करें। यह अपने पोर्टफोलियो को साफ करने, बुरे इन्वेस्टमेंट्स से छुटकारा पाने, और अपने जीवन के लक्ष्यों, रिस्क उठाने की चाहत, और लिक्विडिटी की जरूरत के अनुसार अच्छे इन्वेस्टमेंट्स को शामिल करने का समय है।

एक प्लान में इन्वेस्ट करें: इन्वेस्टमेंट, किसी खास लक्ष्य के लिए ही किया गया होना चाहिए। बिना किसी लक्ष्य के इन्वेस्टमेंट करने से परेशानी ही होती है। इसलिए मौजूदा या नया इन्वेस्टमेंट, लक्ष्य के अनुसार करें। अधिकांश लोग निम्नलिखित कारणों से इन्वेस्ट करते हैं: बच्चों की पढ़ाई, रिटायरमेंट, एक घर खरीदना, और इच्छाओं को पूरा करना जैसे ट्रेवल।

पैसों की जरूरत पड़ने पर ही इन्वेस्टमेंट्स को लिक्विडेट करें: यदि आपको नकद पैसों की जरूरत है तो अच्छी तरह सोच-समझकर ही अपने इन्वेस्टमेंट्स को लिक्विडेट करें जैसे कि कौन-सा इन्वेस्टमेंट सबसे ज्यादा लिक्विड और डिस्पोजेबल है। उदाहरण के लिए, आप प्रोविडेंट फंड और म्यूच्यूअल फंड्स जैसे लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट्स को तोड़ने से पहले अपने इमरजेंसी फंड को तोड़ सकते हैं।

SIP और मंथली पेमेंट्स को जारी रखें: यदि आपके पास रेगुलर इनकम है तो इन्वेस्टमेंट बंद न करें। यदि नहीं है तो अभी के लिए इन्वेस्टमेंट रोक दें। इन्वेस्टमेंट को तब तक न तोड़ें जब तक नकद पैसे की जरूरत न पड़े। इनकम चालू या ठीक होने पर, इन्वेस्टमेंट चालू कर दें।

एसेट्स के एक मिश्रण में इन्वेस्ट करें: आपको अपने एसेट्स (डिपोजिट, इक्विटी, बॉन्ड्स, गोल्ड, रियल एस्टेट, इत्यादि) का चुनाव अपने जीवन के लक्ष्यों, रिटर्न की उम्मीद, रिस्क उठाने की चाहत, इनकम, और लिक्विडिटी सम्बन्धी जरूरत के हिसाब से एक सही अनुपात में करना चाहिए। अपने सारे अंडे एक ही टोकरी में न रखें। अपने पोर्टफोलियो के सबसे अच्छे संभावित परफॉरमेंस के लिए एसेट्स के एक मिश्रण में इन्वेस्ट करें।

लोन मैनेजमेंट
एक नए लोन की जरूरत है? पहले रीपेमेंट प्लान बना लें: हमेशा एक रीपेमेंट प्लान बनाकर रखें। चादर से ज्यादा पैर न फैलाएं। आपकी सभी EMI का कुल परिमाण, आपके मंथली पेमेंट के 40% से अधिक नहीं होना चाहिए।

क्रेडिट कार्ड ड्यू से सावधान रहें: क्रेडिट कार्ड इंटरेस्ट, 36-42% प्रति वर्ष के आसपास हो सकता है। अपने ड्यू को बढ़ने न दें। इंटरेस्ट फ्री पीरियड का लाभ उठाते रहने के लिए सबसे पहले और समय पर उनका फुल रीपेमेंट करते रहें। मिनिमम पेमेंट करने से आप लम्बे समय तक कर्ज में डूबे रहेंगे।

उधार लेने से पहले तुलना करें: ऑनलाइन मार्केटप्लेस में सबसे सस्ते लोन और प्री-अप्रूव्ड लोन की तलाश करें। कुछ लोन, दूसरों के मुकाबले ज्यादा सस्ते होते हैं। उदाहरण के लिए, एक टॉप-अप होम लोन या गोल्ड लोन, एक पर्सनल लोन की तुलना में ज्यादा सस्ता हो सकता है, जो क्रेडिट कार्ड डेब्ट से ज्यादा सस्ता होता है।

अगर जरूरी हो तभी मोरेटोरियम का इस्तेमाल करें: लोन कंपनियां, 31 मई 2020 तक लोन पेमेंट पर तीन महीने का मोरेटोरियम दे रही हैं। इस ऑप्शन का इस्तेमाल तभी करें अगर आपको लिक्विडिटी या पैसों की समस्या है। लेकिन यह जान लें कि इस मोहलत के दौरान इंटरेस्ट जमा होता रहेगा। यदि आपके पास रेगुलर इनकम है तो अपनी EMI का पेमेंट करते रहें क्योंकि इस मोहलत से आपको कोई मुनाफा होने वाला नहीं है।

मोरेटोरियम से वापस पटरी पर आएं: यदि आप मोरेटोरियम का इस्तेमाल करते हैं और 2-3 महीने के लिए पेमेंट को टालते हैं तो आपके लोन में कई और EMI जुड़ सकती हैं। एक्स्ट्रा इंटरेस्ट से बचने के लिए, टाली गई सभी EMI का प्रीपेमेंट करने की कोशिश करें।

मौजूदा संकट में खुद को और अपनी फैमिली के फाइनेंसियल कंडीशन को ठीक रखना आपकी जिम्मेदारी है। इसलिए, अपने फाइनेंसियल कंडीशन को मजबूत करने के लिए जरूरी कदम उठाएं।

(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।) (ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)​

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