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New national education policy 2020: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर उद्योग जगत के दिग्गजों ने दी प्रतिक्रिया

Updated Jul 30, 2020 | 10:05 IST

National education policy 2020 : पीएम मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दे दी। इस पर उद्योग जगत दिग्गजों ने इस तरह प्रतिक्रिया व्यक्त की। 

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
National Education Policy 2020 नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर उद्योग जगत ने दी प्रतिक्रिया
मुख्य बातें
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी मिल गई है
  • यह 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है
  • यह 34 साल पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनपीई), 1986 की जगह लेगी

National education policy 2020 : पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय केंद्रीय कैबिनेट ने 29 जुलाई को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दे दी है जिससे स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा दोनों क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर सुधार के रास्ते खुल गए हैं। यह 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है और यह 34 साल पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनपीई), 1986 की जगह लेगी। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर उद्योग जगत ने भी प्रतिक्रिया दी। उद्योग जगत के टॉप अधिकारियों ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से कौशल आधारित शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा, शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए ठोस डिजिटल संरचना तैयार होगी और जवाबदेही व रोजगार प्राप्ति में सुधार होगा। नई शिक्षा नीति के जरिए भारत को एक ज्ञान आधारित जीवंत समाज और ज्ञान की अंतरराष्ट्रीय महाशक्ति में बदलना और प्रत्येक छात्र में निहित अद्वितीय क्षमताओं को सामने लाना है। नीचे जानिए उद्योग जगत के दिग्गजों ने क्या कहा।

  1. एनआईआईटी लिमिटेड के चेयरमैन एवं सह-संस्थापक तथा एनआईआईटी यूनिवर्सिटी के संस्थापक राजेंद्र एस पवार ने कहा कि भारत की बहुप्रतीक्षित नई शिक्षा नीति (एनईपी), दिशात्मक परिवर्तन और क्षेत्रीय सुधारों की एक अग्रदूत है। इससे 21वीं सदी में भारत के शिक्षा क्षेत्र में नए आयामों के खुलने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि शिक्षा पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6 प्रतिशत खर्च करने का इरादा निर्णायक बदलाव लाएगा।
  2. टीमलीज सर्विसेज की वरिष्ठ उपाध्यक्ष नीति शर्मा ने कहा कि यह भारत में सीखने को बढ़ाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। यह पारिस्थितिकी तंत्र में समग्र जवाबदेही में सुधार करेगा।
  3. अपग्रैड के प्रबंध निदेशक (एमडी) एवं सह-संस्थापक मयंक कुमार ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि यह ऑनलाइन शिक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा, जैसा कि अभी 'शिक्षा' और 'ऑनलाइन शिक्षा' समानार्थी हो गए हैं।
  4. स्किल मॉन्क्स के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) रामेश्वर मंडली ने कहा कि नई नीति वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनने के भारत के दृष्टिकोण को एक गति प्रदान करेगी।
  5. एजुकेशनल इनिशिएटिव्स के सह-संस्थापक एवं मुख्य शिक्षा अधिकारी श्रीधर राजगोपालन ने कहा कि कम से कम 5 वीं कक्षा तक मातृभाषा या स्थानीय भाषा में शिक्षा प्रदान करने के दृष्टिकोण के बहुत सारे लाभ हैं। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक अनुसंधान ने यह स्थापित किया है कि बच्चे प्राथमिक कक्षाओं में अपनी मातृभाषा (या स्थानीय भाषा) में सीखते हैं तो सबसे अच्छा सीखते हैं।
  6. स्कूलगुरु एडुसर्व के संस्थापक एवं सीईओ शांतनु रूज ने कहा कि एनईपी ने एक ठोस डिजिटल बुनियादी ढांचा तैयार करने पर ध्यान केंद्रित किया है जो शिक्षा को व्यापक बनाने और जवाबदेही में सुधार करने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि परीक्षा प्रणाली में परिवर्तन के साथ-साथ सीखने के परिणाम पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है। जे सागर एसोसिएट्स के पार्टनर नितिन पोद्दार ने कहा कि नया नियम देश की 'मानव पूंजी' का उपयोग करने में मदद करेगा।
  7. साएंट के कार्यकारी अध्यक्ष बी वी आर मोहन रेड्डी ने कहा कि ज्ञान-चालित और नवाचार से प्रेरित विश्व व्यवस्था में सफलता बहुत हद तक लोगों की क्षमताओं पर निर्भर करता है, और शिक्षा (स्कूल और उच्च शिक्षा दोनों) अपेक्षित क्षमताओं के निर्माण की कुंजी है। उन्होंने कहा कि नई नीति शिक्षा के लिए सार्वभौमिक पहुंच और छात्रों के बेहतर समावेश का मार्ग प्रशस्त करने के लिये कई दूरंदेशी पहल प्रस्तुत करती है।
  8. ग्लोबल यूनिवर्सिटी सिस्टम्स के एशिया प्रशांत क्षेत्र के मुख्य अधिशासी अधिकारी शरद मेहरा ने शीक्षा नीति को कायाकल्प करने वाली बताते हुए कहा कि इस नीति को पैने वैश्विक दृष्टिकोण से तैयार किया गया है। इसमें शिक्षा पर कोण से ध्यान दिया गया है ताकि कौशल और प्रतिभा का उन्नयन एवं सृजन हो। मेहरा ने मानव संसाधन का नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय किए जाने की तारीफ की और कहा कि शिक्षा मानव विकास का अभिन्न अवयव है।

नई शिक्षा नीति सबके लिए आसान पहुंच, इक्विटी, गुणवत्ता, वहनीयता और जवाबदेही के आधारभूत स्तंभों पर निर्मित यह नई शिक्षा नीति सतत विकास के लिए एजेंडा 2030 के अनुकूल है और इसका उद्देश्य 21वीं सदी की जरूरतों के अनुकूल स्कूल और कॉलेज की शिक्षा को अधिक समग्र, लचीला बनाना है। 

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