नई दिल्ली। कोरोना वायरस मारने से लेकर 100 फीसदी जर्म फ्री जैसे विज्ञापन दाताओं की अब खैर नहीं। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए ऐसे विज्ञापनों के लिए नए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। ऐसे किसी भी विज्ञापन को मिसलीडिंग, अनफेयर प्रैक्टिस या मिसलीडिंग क्लेम पर करवाई की जा सकती है साथ ही उंस विज्ञापन को बनाने वाली कम्पनी से लेकर उसको इंडोर्समेंट करने वाले सेलिब्रिटी पर करवाई करने का प्रावधान होगा। इसके लिए सरकार ने यह गाइडलाइन जारी की हैं। आइए जानते हैं सरकार द्वारा जारी मिसलीडिंग एड एंड मिसलीडिंग एंडोर्समेंट गाइडलाइन में क्या कुछ है।
सबसे पहले समझते हैं कि Misleading Ad क्या है
किसी भी उत्पाद या सेवा के बारे में गलत जानकारी देना, या फिर क्लेम करना जो उस उत्पाद से नहीं मिलता, या उत्पाद के बारे में कोई महत्वपूर्ण जानकारी छिपाना मिसलीडिंग एड की कैटेगरी में आएगा। इसको लेकर कोई भी उपभोक्ता सीधे ग्राहक हेल्प लाइन पर शिकायत कर सकता है।
क्यों जारी की गई नई गाइडलाइंस?
ताजा गाइडलाइंस को जारी करने के पीछे सरकार की मंशा उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करना है। इसके साथ ही व्यापार के गलत तरीकों और भ्रामक दावों पर रोक लगाना है। नए नियम निर्माताओं से लेकर सर्विस सेक्टर और ड्यूटीज सभी पर लागू होगी। साथ ही इसमें सभी माध्यमों के विज्ञापन शामिल हैं।
- नई गाइडलाइन के अनुसार अब निर्माता अपने उत्पाद के बारे में उपभोक्ताओं को सही-सही जानकारी देंगे।
- उनके उत्पाद के बारे में जिस स्टडी के आधार पर दावा किया गया है, उसके बारे में भी जानकारी देनी होगी।
- नई गाइडलाइन आज से ही लागू हो चुकी है कोई भी मिसलीडिंग एड देखने को मिलता है तो उस पर कार्रवाई की जा सकती है।
- यदि विज्ञापन में उत्पाद को लेकर गलत दावा किया जाता है तो इसके लिए विज्ञापनदाता के साथ ही विज्ञापनकर्ता और उत्पादक भी किए गए दावे के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार होंगे।
- अगर गलत दावा किया गया है और यह साबित होता है तो इन सभी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
- डिस्क्लेमर में उत्पाद और इसके फायदों के बारे में स्पष्ट तौर पर बताना होगा. जो दावा किया गया है वह डिस्क्लेमर में बताना होगा।
- टर्म एंड कंडीशन में अगर किसी चीज को फ्री बताया गया है तो डिस्क्लेमर में भी उसके बारे में फ्री लिखा होना चाहिए।
- स्पेशल ऑफर, आधी कीमत में उपलब्ध, मुफ्त ले जाए, सेल जैसे विज्ञापन को लेकर उपभोक्ताओं को साफ बताना होगा कि उनके पास उस उत्पाद के लिए पर्याप्त समान है.।
- यदि विज्ञापन में फ्री बताकर साथ में शर्तें लागू वाली बात भी कही जा रही है तो इसे मिसलीडिंग माना जाएगा।
- विज्ञापन में धमकी या जल्दी खरीदने की बात भी नहीं कही जा सकती है. इसके अलावा मिलते-जुलते उत्पाद के विज्ञापन पर भी रोक लगा दी गई है।
- यही नहीं चैरिटी और पोषण संबंधी दावों में बच्चों के इस्तेमाल को मिसलीडिंग बताया जा सकता है. बच्चों को लेकर किसी भी तरह से गैर-वाजिब दावों पर पूरी तरह से पाबंदी होगी।
इसके साथ ही ई कॉमर्स पर पेड या फिर मिसलीडिंग रिव्यु को लेकर भी मंत्रालय सख्त है। इसको लेकर भी सरकार जल्द गाइडलाइन लेकर आ रही है।