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नई दिल्ली : वायदा कारोबार में सटोरियों द्वारा सरसों के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम बोले जा रहे हैं। ऐसे में सरसों उत्पादक किसान मंडियों में अपनी उपज नहीं बेच रहे हैं। इससे दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सरसों तिलहन सहित इसके सभी तेलों के भाव में सुधार आया। वहीं विदेशों से सस्ते आयातित तेलों की मांग बढ़ने के बाद सोयाबीन दाना (तिलहन फसल) और सोयाबीन के बाकी तेलों के भाव में गिरावट आई। मलेशिया में भारी मात्रा में स्टॉक जमा होने से कच्चे पामतेल एवं पामोलीन तेल कीमतों में भी गिरावट दर्ज हुई।
सस्ते तेलों का आयात बढ़ने से समीक्षाधीन सप्ताहांत में सरसों (तिलहन फसल), सरसों दादरी की कीमतें क्रमश: 140 रुपए और 180 रुपए के सुधार के साथ क्रमश: 4,750-4,775 रुपए और 9,750 रुपए प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेलों की कीमतें भी पूर्व सप्ताहांत के मुकाबले 25-25 रुपए का सुधार दर्शाती क्रमश: 1,565-1,705 रुपए और 1,630-1,750 रुपए प्रति टिन पर बंद हुईं।
समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली दाना और मूंगफली तेल गुजरात का भाव क्रमश: पांच रुपए और 10 रुपए की गिरावट के साथ क्रमश: 4,830-4,880 रुपए और 13,150 रुपए प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ। जबकि मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव पांच रुपये की हानि के साथ 1,945-1,995 रुपए प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ।
वायदा कारोबार में सटोरियों द्वारा कम बोली लगाये जाने और एमएसपी से कम दाम पर बिक्री होने से सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम की कीमतें क्रमश: 200 रुपए, 190 रुपए और 130 रुपए का गिरावट प्रदर्शित करती क्रमश: 8,700 रुपए, 8,560 रुपए और 7,620 रुपए प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं। सोयाबीन दाना और लूज (तिलहन फसल) के भाव भी 45-45 रुपए की हानि के साथ क्रमश: 3,760-3,785 रुपए और 3,560-3,585 रुपए प्रति क्विन्टल पर बंद हुए।
मलेशिया में भारी स्टॉक जमा होने के कारण सीपीओ और पामोलीन तेलों में भी भारी गिरावट देखी गई। कच्चे पाम तेल (सीपीओ), पामोलीन तेलों - आरबीडी दिल्ली और पामोलीन कांडला तेल की कीमतें क्रमश: 200 रुपए, 190 रुपए और 130 रुपए की गिरावट के साथ क्रमश: 8,700 रुपए, 8,560 रुपए और 7,620 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं।
बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया में कच्चे पाम तेल का रिकॉर्ड स्टॉक जमा है और आगे इसका उत्पादन बढ़ने की पूरी संभावना है। वहां की सरकार ने इन तेलों को निर्यात बाजार में खपाने के लिए निर्यात शुल्क हटा लिया है। इस स्थिति में देश के बाजार सस्ते खाद्य तेल के आयात से पट सकते हैं। देशी तिलहन किसानों की उपज का भाव इन तेलों के मुकाबले अधिक बैठता है, ऐसे में देशी तेलों को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए सरकार को आयातित सस्ते तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने के बारे में विचार करना होगा नहीं तो किसानों की हालत बिगड़ेगी और देशी तेलों को बाजार में खपाना मुश्किल हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि स्थानीय तिलहन उत्पादक किसानों के हितों की रक्षा के लिए सीपीओ एवं पामोलीन तथा सोयाबीन डीगम जैसे सस्ते आयातित तेलों पर आयात शुल्क में अधिकतम वृद्धि कर देनी चाहिए। वायदा कारोबार में भी सट्टेबाज सोयाबीन तिलहन फसल का भाव एमएसपी से कम लगा रहे हैं। ऐसे में सोयाबीन की जल्द ही शुरू होने जा रही बिजाई प्रभावित हो सकती है।