- मॉल में से करीब 5 से 7 प्रतिशत
- ऑनलाइन शॉपिंग की हिस्सेदारी बढ़ी
- भारत में 600 अरब डॅालर के खुदरा बाजार
आज से कुछ समय पहले लोगों में मॉल में शॉपिंग के नाम पर एक अलग उत्साह देखने को मिलता था। लोग शॉपिंग के लिए दुकान के जगह मॉल जाने लगे थे, लेकिन अब लोगों का आकर्षण लगातार मॉल के प्रति कम होते दिख रहा है। भारत में मॉल कल्चर पिछले डेढ़ दशक से चलन में था। एक विदेशी कंपनी के रिपोर्ट के मुताबिक भारत में मेट्रो सिटी के मॉल में से करीब 5 से 7 प्रतिशत ही ठीक-ठाक व्यापार कर पा रही है। कहा जाता है कि भारत में सबसे अधिक मॉल दिल्ली में है, लेकिन राजधानी दिल्ली में भी मॉल की स्थिति कुछ ठीक नहीं है।
लोकल मार्केट में कपड़ों की उपलब्धता
भारत के हर बड़े शहर में सस्ते कपड़ो के लिए नामी एक मार्केट होता ही है, जहां हजारों की संख्या में लोग खरीददारी करने जाते है। अगर दिल्ली की बात करें तो दिल्ली में सरोजनी मार्केट, लाजपत नगर मार्केट, पालिका बाजार ये दिल्ली के उन चुनिदा बाजार में एक है। मॉल के मुकाबले यहां लोगों के पास विकल्प भी अधिक होता है और सस्ते दाम पर कपड़े भी उपलब्ध हो जाते है। छोटे व्यापारी मॉल में किराए पर दुकान लेने में असमर्थ है, उन्हें लोकल मार्केट में ही व्यापार करना फायदे का सौदा लगता है।
ऑनलाइन शॉपिंग ने कम किया लोगों का मॅाल के प्रति आकर्षण
भारत में 600 अरब डॅालर के खुदरा बाजार में से ई-कॉमर्स कंपनियों की हिस्सेदारी हर दिन बढ़ते जा रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले साल में ई-कॉमर्स की भारतीय खुदरा बाजार में हिस्सेदारी करीब 22 अरब डॅालर तक हो जाएगी। फ्लिपकॉर्ट, अमेजॅान जैसे ई-कॉमर्स कंपनी गांव-गांव तक पहुंच चुकी है, लोगों के पास ऑनलाइन शॉपिंग में चुनने के लिए कई विकल्प होते है। ऑनलाइन ई-कॉमर्स कंपनियों पर समय-समय पर शेल लगता रहता है, जो भारतीय ग्राहकों को आकर्षित करने का सबसे आसान तरीका है। त्योहारों के समय हमें अक्सर यह देखने को मिलता है की लोग घर के बजट को ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन शॉपिंग करना पंसद करते है। मॅाल के मुकाबले अच्छे और बड़े ब्रांड के कपड़े ऑनलाइन शॉपिंग में कम रेट में मिल जाता है। ये भी एक बड़ा वजह है, जिससे लोगों का मन अब मॅाल कल्चर से निकलकर ऑनलाइन शॉपिंग के तरफ जा रहा है।