- भारत के पास करीब 600 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार: आरबीआई के डिप्टी गवर्नर।
- रुपये की विनिमय दर में बहुत अधिक गिरावट नहीं आई: माइकल डी पात्रा।
- रुपये की स्थिरता के लिए प्रयास करेंगे और यह प्रक्रिया लगातार चल रही है: पात्रा।
नई दिल्ली। भारतीय रुपया एक बार फिर से अपने सबसे निचले स्तर (Rupee All Time Low) पर पहुंच गया है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट का सीधा कनेक्शन कच्चे तेल की कीमत से लेकर आयात होने वाली सभी वस्तुओं की कीमत से है। भारतीय रुपया जितना कमजोर होगा, महंगाई भी उतनी ही बढ़ेगी। डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होने का मतलब है कि आयात महंगा हो जाएगा और इससे आम आदमी के जेब पर असर पड़गा।
अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया शुक्रवार को 78.33 रुपये प्रति डॉलर (अनंतिम) के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में स्थानीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले 78.20 पर खुली और कारोबार के अंत में एक पैसे की गिरावट के साथ 78.33 रुपये प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निम्न स्तर पर बंद हुई। कारोबार के दौरान रुपया ऊंचे में 78.19 और नीचे में 78.35 तक गया। गुरुवार को, अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 78.32 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
इतना रहा डॉलर सूचकांक
इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.25 फीसदी की गिरावट के साथ 104.17 रह गया। वैश्विक तेल सूचकांक ब्रेंट क्रूड वायदा 1.13 फीसदी बढ़कर 111.29 डॉलर प्रति बैरल हो गया।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर का बयान
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर माइकल डी पात्रा ने शुक्रवार को कहा कि रुपये में तेज उतार-चढ़ाव नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि हाल के समय में अन्य मुद्राओं की तुलना में रुपये की विनिमय दर में गिरावट सबसे कम रही है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)