- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें काफी बढ़ी हैं।
- घरेलू स्तर पर ईंधन की कीमतें तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों से सीधे प्रभावित होती हैं।
- भारत अपनी तेल आवश्यकता का 85 फीसदी हिस्सा आयात करता है।
Petrol Diesel Price: देश में महंगाई से आम जनता परेशान है। पिछले कई दिनों से पेट्रोल और डीजल की कीमत में बदलाव नहीं हुआ है, लेकिन तब भी इसकी कीमत अभी काफी ज्यादा है। माना जा रहा है कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के बाद फिर से ईंधन महंगा होगा। तेल कंपनियों को नुकसान की भरपाई के लिए पेट्रोल और डीजल की कीमत 16 मार्च तक 12 रुपये प्रति लीटर से भी ज्यादा बढ़ाने की आवश्यकता है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने एक रिपोर्ट में कहा कि पिछले दो महीनों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल के दाम बढ़ने से सरकारी स्वामित्व वाले खुदरा तेल विक्रेताओं को लागत वसूली के लिए 16 मार्च 2022 या उससे पहले ईंधन के दामों में 12.1 प्रति लीटर की वृद्धि करनी होगी। वहीं तेल कंपनियों के मार्जिन को भी जोड़ लें तो 15.1 रुपये प्रति लीटर की मूल्य वृद्धि की आवश्यकता है।
नवंबर की शुरुआत में 81.5 डॉलर प्रति बैरल थी क्रूड की कीमत
पेट्रोलियम मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (PPAC) के मुताबिक, भारत जो कच्चा तेल खरीदता है उसके दाम तीन मार्च को 117.39 डॉलर प्रति बैरल हो गए। ईंधन का यह मूल्य वर्ष 2012 के बाद सबसे ज्यादा है। पिछले साल नवंबर की शुरुआत में जब पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि पर रोक लगी थी, तब कच्चे तेल की औसत कीमत 81.5 डॉलर प्रति बैरल थी।
उत्तर प्रदेश मे सातवें और अंतिम चरण का मतदान सात मार्च को होगा तथा उत्तर प्रदेश समेत सभी पांच राज्यों के लिए मतगणना 10 मार्च को होनी है। रिपोर्ट के अनुसार, 'तीन मार्च, 2022 को वाहन ईंधन का शुद्ध विपणन मार्जिन शून्य से नीचे 4.92 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गया। चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में अब तक यह 1.61 रुपये लीटर है। हालांकि ईंधन के मौजूदा अंतररराष्ट्रीय मूल्य पर 16 मार्च को शुद्ध मार्जिन घटकर शून्य से नीचे 10.1 रुपये प्रति लीटर और एक अप्रैल को शून्य से नीचे 12.6 रुपये लीटर तक जा सकता है।'
(एजेंसी इनपुट के साथ)