- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 18,000 करोड़ की लागत वाली विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे।
- देहरादून में आयोजित एक समारोह में पीएम दिल्ली-देहरादून आर्थिक गलियारा सहित 11 विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे।
- यह गलियारा 8300 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित होना है।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi) चार दिसंबर को उत्तराखंड की राजधानी देहरादून का दौरा करेंगे। इस दौरान वे 18,000 करोड़ रुपये की लागत वाली विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे। इसमें करीब 8300 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला दिल्ली-देहरादून इकोनॉमिक कॉरिडोर (Delhi-Dehradun Economic Corridor) भी शामिल है।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने बुधवार को जानकारी दी कि प्रधानमंत्री के इस दौरे का मुख्य जोर सड़क अवसंरचना विकास की परियोजनाओं को सुदृढ़ करने संबंधित परियोजनाओं पर रहेगा जिससे आवागमन सुगम और सुरक्षित हो सके तथा क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिल सके। पीएमओ ने कहा कि प्रधानमंत्री की परिकल्पना के अनुरूप यह परियोजनाएं उन क्षेत्रों में सम्पर्क को बढ़ावा देने के लिए है, जिन्हें किसी समय दुर्गम इलाका माना जाता था।
2.5 घंटे में दिल्ली से पहुंच जाएंगे देहरादून
देहरादून में आयोजित एक समारोह में प्रधानमंत्री दिल्ली-देहरादून आर्थिक गलियारा सहित 11 विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे। यह गलियारा 8300 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित होना है। पीएमओ ने कहा कि इस गलियारे के बन जाने के बाद दिल्ली से देहरादून जाने के समय में काफी कमी आएगी। आज दिल्ली से देहरादून जाने में यदि छह घंटे लगते हैं तो गलियारा बन जाने के बाद इसमें 2.5 घंटे लगेंगे।
सात प्रमुख इंटरचेंज
इस गलियारे में हरिद्वार, मुजफ्फरनगर, शामली, यमुनानगर, बागपत, मेरठ और बड़ौत से सम्पर्क के लिए सात प्रमुख इंटरचेंज होंगे। पीएमओ के मुताबिक इसमें वन्यजीवों के लिए बिना रोक-टोक आवागमन के लिए एशिया का सबसे बड़ा व 12 किलोमीटर लंबा वन्यजीव एलीवेटेड गलियारा होगा। साथ ही, देहरादून में दत काली मंदिर के पास 340 मीटर लंबी सुरंग वन्यजीवों पर होने वाले प्रभाव को कम करने में मदद करेगी। इसके अलावा, गणेशपुर-देहरादून खंड में वाहनों को जंगली जानवरों से टक्कर से बचने के लिए जानवरों के लिए कई रास्ते बनाए गए हैं।
पीएमओ ने कहा कि दिल्ली-देहरादून आर्थिक गलियारे में 500 मीटर के अंतराल पर वर्षा जल संचयन और 400 से अधिक पानी के रिचार्ज प्वाइंट की व्यवस्था भी होगी। उसके मुताबिक दिल्ली-देहरादून आर्थिक गलियारे से ग्रीनफील्ड संरेखण परियोजना, सहारनपुर के हलगोआ से हरिद्वार के बहदराबाद को जोड़ने वाली परियोजना का निर्माण 2000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से किया जाएगा। यह परियोजना दिल्ली से हरिद्वार तक निर्बाध सम्पर्क प्रदान करेगी और यात्रा के समय को भी कम करेगी।
यातायात के जाम से राहत प्रदान करेगी हरिद्वार रिंग रोड परियोजना
लगभग 1600 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनने वाली मनोहरपुर से कांगड़ी तक हरिद्वार रिंग रोड परियोजना, हरिद्वार शहर के लोगों को, विशेष रूप से व्यस्त पर्यटक मौसम के दौरान यातायात के जाम से राहत प्रदान करेगी और कुमाऊं क्षेत्र के साथ सम्पर्क में भी सुधार करेगी। पीएमओ ने कहा कि लगभग 1700 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली देहरादून-पोंटा साहिब (हिमाचल प्रदेश) सड़क परियोजना यात्रा के समय को कम करेगी और दोनों स्थानों के बीच निर्बाध संपर्क प्रदान करेगी।
अंतर-राज्यीय पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
इससे अंतर-राज्यीय पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। नजीबाबाद-कोटद्वार सड़क चौड़ी करने की परियोजना, यात्रा के समय को कम करेगी और लैंसडाउन से सम्पर्क में भी सुधार करेगी। पीएमओ ने कहा कि ऋषिकेश स्थित लक्ष्मण झूला के निकट गंगा नदी पर एक पुल का निर्माण किया जाएगा। लक्ष्मण झूला का निर्माण 1929 में हुआ था लेकिन क्षमता वहन में कमी आने की वजह से उसे बंद कर दिया गया है। बयान के मुताबिक बनने वाले इस पुल पर पैदल चलने वाले लोगों के लिए कांच के डेक का प्रावधान होगा। साथ ही हल्के वजन के वाहनों को भी पार करने की अनुमति होगी।
हरिद्वार में 500 करोड़ की लागत से बनेगा नया चिकित्सा महाविद्यालय
देहरादून में 700 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से जलापूर्ति, सड़क और जल निकासी व्यवस्था के विकास से संबंधित परियोजनाओं का भी शिलान्यास किया जाएगा। पीएमओ ने कहा कि प्रधानमंत्री की परिकल्पना के अनुरूप स्मार्ट आध्यात्मिक कस्बों के विकास और पर्यटन संबंधी बुनियादी ढांचे को उन्नत करने के लिए बद्रीनाथ धाम और गंगोत्री-यमुनोत्री धाम में बुनियादी ढांचे के विकास कार्यों की आधारशिला रखी जाएगी। इसके साथ ही हरिद्वार में 500 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से नया चिकित्सा महाविद्यालय भी बनाया जाएगा। इस अवसर पर प्रधानमंत्री सात परियोजनाओं का भी उद्घाटन करेंगे, जिनमें क्षेत्र में गम्भीर भूस्खलन की समस्या से निपटने के लिए यात्रा को सुरक्षित बनाने पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)