- बदलते दौर में आपकी जरूरतों के हिसाब से निवेश के कई बेहतर विकल्प मौजूद
- पीपीएफ, वीपीएफ और एफडी जैसे कई विकल्प पहले से मौजूद
- इन विकल्पों की बदौलत आपको मिल सकता है बेहतर रिटर्न
नई दिल्ली: जैसे-जैसे समय बदल रहा है, वैसे- वैसे आदमी के खर्चों में भी बढ़ोत्तरी हो रही है। ऐसी स्थिति में लोग अगर कुछ पैसा बचाते हैं तो वह निवेश के लिए ऐसे विकल्प तलाश करते हैं जिनमें रिटर्न अच्छा मिले। हालांकि, गारंटीशुदा रिटर्न की पेशकश करने वाले निवेश विकल्पों की ब्याज दरें पिछले कुछ वर्षों के दौरान कम हुई हैं। भारत सरकार आपकी सेवानिवृत्ति के लिए बचत करने में आपकी सहायता के लिए कई निवेश स्कीम्स लाई है जिनमें सुकन्या समृद्धि योजना, पीपीएफ आदि जैसे ऑप्शन हैं।
एफडी अभी भी लोगों के बीच लोकप्रिय
इन निवेशों में निवेश करके आप अपनी बचत पर सुनिश्चित रिटर्न पा सकते हैं। हाल के वर्षों में, बैंक एफडी अभी भी लोगों के बीच एक बेहद लोकप्रिय निवेश विकल्प बना हुआ है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों के दौरान PPF और NPS जैसे अन्य निवेश के विकल्पों ने भी लोकप्रियता हासिल की है। 8% से अधिक ब्याज के साथ, वीपीएफ वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए भी एक आकर्षक विकल्प बना है। PPF मतलब, पब्लिक प्रोविडेंड फंड, वहीं वीपीएफ का मतलब होता है स्वैच्छिक भविष्य निधि। वीपीएफ कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) का एक विस्तार है, जिसका अर्थ है कि केवल वेतनभोगी कर्मचारी जिनके पास सक्रिय ईपीएफ खाता है और नियमित रूप से ईपीएफ में योगदान करते हैं, वे वीपीएफ में पैसा लगा सकते हैं। बैंक सावधि जमा एक अन्य ऋण निवेश विकल्प है जो गारंटीड रिटर्न प्रदान करते हैं।
वीपीएफ या पीपीएफ या फिर बैंक एफडी:
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड: PPF की शुरुआत 1968 में वित्त मंत्रालय के राष्ट्रीय बचत संस्थान द्वारा भारत में बचत साधन के रूप में की गई थी। इस योजना का उद्देश्य आयकर लाभ के साथ संयुक्त रिटर्न के साथ निवेश की पेशकश करके छोटी बचत जुटाना है। पीपीएफ के मामले में, आपको खाते को सक्रिय रखने के लिए प्रत्येक वित्तीय वर्ष में न्यूनतम 500 रुपये का योगदान करना होगा। आप एक वित्तीय वर्ष में PPF की ओर 1.5 लाख रुपये राशि तक जमा कर सकते हैं। पीपीएफ की लॉक-इन अवधि 15 साल है और मार्च 2021 को समाप्त तिमाही के लिए, पीपीएफ ब्याज दर 7.1 प्रतिशत है। पीपीएफ आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80 सी के तहत पीपीएफ में कॉन्ट्रिब्यूशन सेक्शन 10 (11) के तहत कवर है जो साल के दौरान 1.5 लाख रुपये से ज्यादा नहीं हो सकता है। इस तरह पीपीएफ बैलेंस पर जुटा ब्याज अब भी टैक्स फ्री रहेगा।
वीपीएफ यानि स्वैच्छिक भविष्य निधि: VPF एक स्वैच्छिक योगदान है। केवल वेतनभोगी कर्मचारी जो ईपीएफओ के सदस्य हैं, वे वीपीएफ में निवेश कर सकते हैं। याद रखें कि कर्मचारी वीपीएफ में अपने मिलने वाले मूल वेतन का 12% से अधिक का योगदान नहीं दे सकते हैं। वर्तमान वीपीएफ की ब्याज दर 8.50% है। वीपीएफ के उलट पीपीएफ अकाउंट को रिटायरमेंट के बाद पांच साल के ब्लॉक में बढ़ाया जा सकता है। आप खाते में जमा हुई रकम में से कुछ निकासी कर सकते हैं। वीपीएफ में योगदान देने वाले 80 सी के तहत कर कटौती के लिए पात्र हैं।
बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी): एक फिक्स्ड डिपॉजिट एक निवेश रणनीति है जो बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) द्वारा पेश की जाती है। बैंक एफडी सुरक्षित बचत का एक शानदार तरीका है। आप एक राशि का निवेश कर सकते हैं, सुविधा के अनुसार इसके वर्षों का चयन कर सकते हैं। समय पूरा होने पर आपकी जमा राशि उस ब्याज दर के अनुसार ब्याज अर्जित करना शुरू कर देती है जो आपने शुरू में जमा की थी। यह ब्याज दर किसी भी बाजार में उतार-चढ़ाव से अप्रभावित रहती है। परिपक्वता तिथि से पहले बैंक एफडी को तोड़ा नहीं जा सकता है।
पीपीएफ: पीपीएफ की भी लॉक-इन अवधि 15 वर्ष है। हालांकि, खाताधारक अपने पीपीएफ खातों 5 वित्तीय वर्ष पूरे होने के बाद आंशिक समय से पहले निकासी कर सकते हैं। पीपीएफ पर मिलने वाले ब्याज की दर फिक्स नहीं होती है। यह 10 साल के सरकारी बॉन्ड के यील्ड से जुड़ी होती है और ब्याज दर रोजाना आधार पर नहीं बदलती बल्कि इसे तिमाही की शुरुआत में फिक्स किया जाता है। अगर अकाउंट ने छह साल पूरे नहीं किए हैं तो आप तीन साल से लेकर छठे साल तक लोन ले सकते हैं।