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अंधकार में डूब सकता है पंजाब, बिजली घर बंद होने के कगार पर, 3 से 6 दिन का बचा है कोयला, ये है वजह

Updated Oct 15, 2020 | 11:57 IST

पंजाब में रेल रोको आंदोलन से 200 से अधिक लदी हुई मालगाड़ियां फंसी हुई हैं। वहीं कोयले की कमी के चलते कई बिजली प्लांट बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं।

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अंधकार में डूब सकता है पंजाब

नई दिल्ली : पंजाब में किसानों के रेल रोको आंदोलन का असर गहरा होता जा रहा है। इससे राज्य में और राज्य से होकर जाने वाली अनिवार्य वस्तुओं और बिजली संयंत्रों को ईंधन की आपूर्ति में बाधा हो रही है। रेलवे अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि क्षेत्र में 200 से अधिक लदी हुई मालगाड़ियां फंसी हुई हैं। वहीं कोयले की कमी के चलते कई बिजली संयंत्र बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं।

पंजाब में किसान संगठन संसद से हाल में पारित तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने कई दिन से रेल रोको आंदोलन छेड़ा है। अधिकारियों ने बताया कि 200 मालगाड़ियों में से 79 में कोयला, 22 में उवर्रक, तीन में सीमेंट, दो में पेट्रोलियम, तेल और लुब्रिकेंट्स और 88 में लोहा, इस्पात और अन्य उत्पाद लदे हुए हैं।

किसानों के इस विरोध प्रदर्शन के चलते 24 सितंबर से पंजाब और जम्मू-कश्मीर के लिए सभी यात्री ट्रेनें रद्द हैं। जबकि एक अक्टूबर से इसका गहरा प्रभाव मालगाड़ियों पर भी पड़ा है। एक अधिकारी ने कहा कि पंजाब राज्य बिजली निगम लिमिटेड ने कुछ बिजली संयंत्रों के बंद होने की संभावना जाहिर की है क्योंकि उनके पास कोयले का भंडार कम हो रहा है। जबकि गोइंदवाल साहिब बिजली प्लांट पहले से बंद हो चुका है। तलवंडी और नाभा तापीय विद्युत संयंत्र में भी क्रमश: 3 और 6 दिन की आपूर्ति लायक कोयला बचा है।

अधिकारियों ने कहा कि भारतीय खाद्य निगम की ओर से राज्य से अन्य राज्यों को भेजे जाने वाले गेहूं और चावल की मालगाड़ी भी बंद पड़ी है। इससे रोजाना 25 खाद्यान्न मालगाड़ियों को लादने का नुकसान हो रहा है।

रेल रोको आंदोलन के अभी जारी रहने की संभावना है क्योंकि किसानों के आंदोलन को समाप्त करने के लिए कृषि मंत्रालय ने किसान संगठन नेताओं के साथ बुधवार को बैठक बुलायी थी। लेकिन बैठक में किसी मंत्री के उपस्थित नहीं होने के चलते किसानों ने इसका बहिष्कार कर दिया।

वहीं शनिवार को बरनाला में 30 किसान संगठनों की बैठक में आंदोलन को समाप्त करने को लेकर कोई फैसला नहीं हो सका क्योंकि अधिकतर संगठनों के नेता बैठक में शामिल नहीं हो सके।
 

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