- कर्ज वसूली एजेंटों द्वारा वक्त-बेवक्त फोन करना, खराब भाषा में बात करना, आदि स्वीकार्य नहीं है: दास।
- इस तरह की घटनाओं पर आरबीआई गंभीरता से ध्यान दे रहा है।
- इसे रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई होगी।
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने शुक्रवार को फाइनेंशियल एक्सप्रेस द्वारा आयोजित मॉडर्न BFSI सम्मेलन 2022 (Financial Express Modern BFSI Summit) में कहा कि बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों के फाइनेंशियल कारोबार में उतरने से कर्जदार के स्तर पर बहुत ज्यादा कर्ज लेने और उसे न चुका पाने जैसी चिंताएं पैदा हो सकती हैं। गूगल, अमेजन और फेसबुक (मेटा) जैसी बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों के फाइनेंशियल कारोबार में आने से प्रतिस्पर्धा और डेटा प्राइवेसी को लेकर सवाल खड़े होंगे।
आरबीआई (RBI) के गवर्नर ने आगे कहा कि बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों के साथ रिस्क जुड़ा है। इसका सही तरीके से आकलन करना होगा और इससे निपटना की जरूरत होगी।' उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की कंपनियों में ई-कॉमर्स कंपनियां, सर्च इंजन और सोशल मीडिया मंच शामिल हैं। इन्होंने अपने स्तर पर या साझेदारी के जरिए फाइनेंशियल सर्विस की पेशकश करना शुरू कर दिया है।
आरबीआई ने दी बड़ी खुशखबरी, जल्दी ही क्रेडिट कार्ड से भी कर पाएंगे UPI पेमेंट
डिजिटल लेंडिंग को लेकर गाइडलाइंस जारी करेगा RBI
शक्तिकांत दास ने कहा कि बैंकिंग सेक्टर एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है। केंद्रीय बैंक जल्द ही डिजिटल लेंडिंग को लेकर गाइडलाइंस जारी करेगा। पिछले साल 5 फीसदी से 6 फीसदी की तुलना में इस साल क्रेडिट ग्रोथ लगभग 12 फीसदी है। कोविड-19 महामारी के दौरान, मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी ने जानबूझकर महंगाई को सहन करने का निर्णय लिया था। ऐसा इसलिए क्योंकि वह समय की मांग थी, वरना परिणाम विनाशकारी होते।
मालूम हो कि भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से कार्ड, प्रीपेड पेमेंट प्रोडक्ट्स और यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) के जरिए व्यक्ति की अनुमति पर नियमित अंतराल पर विभिन्न सेवाओं के लिए खुद-ब-खुद होने वाले पेमेंट को लेकर एडिशनल वेरिफिकेशन सिस्टम 5,000 रुपये से बढ़ाकर 15,000 रुपये कर दिया है।