नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के चालू खाते के बारे में नए दिशानिर्देशों ने विदेशी बैंकों के माथे पर बल पड़ गए हैं। अब ये बैंक बेहतर सेवा के नाम पर कंपनियों से बिना किसी ब्याज के कोष अपने पास नहीं सकेंगे। एक वरिष्ठ बैंकर ने यह जानकारी दी है। रिजर्व बैंक के ताजा दिशानिर्देशों के मुताबिक कोई भी बैंक ऐसी किसी भी कंपनी का उसे समर्पित चालू खाता खोलता है जिस पर 50 करोड़ रुपए अथवा इससे अधिक का कर्ज है। बैंक का उस कंपनी में कम से 10 प्रतिशत कर्ज दिया होना चाहिए।
ज्यादातर विदेशी बैंक भारतीय कंपनियों को कोई कर्ज दिए बिना ही उनके चालू खाते खोल देते हैं जिसमें उन कंपनियों की बड़ी पूंजी जमा रहती है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के एक वरिष्ठ कार्यकारी ने कहा कि अब तक विदेशी बैंक भारतीय कंपनियों को बहुत कम या कोई भी कर्ज दिए बिना उनके चालू खाते को व्यवस्थित करते रहे हैं।
ज्यादातर कंपनियां घरेलू बैंकों से कर्ज लेती हैं लेकिन चालू खाते का प्रबंधन विदेशी बैंकों के साथ होता है क्योंकि ये बैंक बेहतर सेवा और अन्य प्रोत्साहन का वादा करते हैं। एक अन्य बैंकर ने कहा कि बिना कोई ब्याज का भुगतान किये कंपनियों के चालू खाते का प्रबंधन करती है लेकिन रिजर्व बैंक के नए दिशानिर्देशों से अब इसमें बदलाव आ गया है। रिजर्व बैंक ने 6 अगस्त को चालू खाता खोलने के मामले में मौजूदा नियम में बदलाव किया।