- आरबीआई ने नोट की पहचान के लिए मोबाइल एडेड नोट ऑथेंटिकेशन (मणि) एप जारी किया है।
- ये एप बिना इंटरनेट के काम करता है और स्कैन करके नोट के बारे में जानकारी देता है।
- इस एप के जरिए नोट असली है या नकली यह नहीं पता लगाया जा सकता है।
नई दिल्ली: नए साल के मौके पर आरबीआई ने दृष्टिबाधित की मदद के लिए मणि एप पेश किया है। रिजर्व बैंक द्वारा जारी किया गया है ये मोबाइल एप नोट की पहचान करने में मदद करेगा। यानी इस एप का इस्तेमाल कर दृष्टिबाधित व्यक्ति भी नोट की पहचान कर सकेंगे। मोबाइल एडेड नोट ऑथेंटिकेशन (मणि) एप को आरबीआई गवर्नर शक्तिकांता दास ने बुधवार को जारी किया है।
- केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किया गया मणि एप महात्मा गांधी सीरीज और महात्मा गांधी (नई सीरीज) के नोटों के मूल्यवर्ग की प्रकाश की विभिन्न स्थितियों (सामान्य प्रकाश, दिन का प्रकाश, कम प्रकाश आदि) में आधे मुड़े नोट के साथ नोट के अगले/ पिछले या किसी भी भाग की अलग-अलग एंगल से पकड़ कर जांच करने में सक्षम है। यानी ये एप किसी भी नोट को आसानी से पहचान सकता है।
- इसके अतिरिक्त एप में अंग्रेजी में श्रव्य सूचना और गैर-ध्वनि मोड जैसे वाइब्रेशन (दृष्टि एवं श्रव्य बाधित लोगों के लिए उपयुक्त) के माध्यम से मूल्यवर्ग को पहचानने की क्षमता है।
- खास बात ये हैं कि मणि एप ऑफलाइन भी काम करता है। यानी एप को इंस्टॉल करने के बाद इंटरनेट की आवश्यकता आवश्यक नहीं होगी।
- इसमें एप्लिकेशन की विशेषताओं तक पहुंचने के लिए वॉइस कंट्रोल दिया गया है, जिसके जरिए मोबाइल एप्लिकेशन को नेविगेट करने की क्षमता है क्योंकि अंतर्निहित डिवाइस और ऑपरेटिंग सिस्टम संयोजन वॉइस सक्षम कंट्रोल द्वारा समर्थित है।
- मणि एप को एंड्रॉइड प्ले स्टोर और आईओएस ऐप स्टोर से बिना किसी चार्ज के फ्री में डाउनलोड किया जा सकता है।
- यह मोबाइल एप्लिकेशन किसी नोट के वास्तविक या जाली होने को आधिप्रमाणित नहीं करता है।
ध्यान रहे कि केंद्रीय बैंक द्वारा पेश किया गया ये एप नोट कितने रुपये का है (यानी नोट का मूल्य पहचानने में मदद करता है)। यूजर इस एप को डाउनलोड करने के बाद, कैमरे के जरिए नोट को स्कैन किया जा सकेगा। स्कैन के बाद एप बोलकर बताएगा कि नोट कितने का है। हिंदी और अंग्रेजी दोनों में नोट का मूल्य बताया जाएगा। केंद्रीय बैंक ने कहा कि इस एप के जरिये यह पता नहीं लगेगा कि नोट असली है या नकली।