- मौजूदा समय में सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि कई देश महंगाई का सामना कर रहे हैं।
- हाल ही में अमेरिका सहित कई देशों के केंद्रीय बैंकों ब्याज दरें बढ़ाई थीं।
- आरबीआई की तीन दिवसीय बैठक 3 अगस्त 2022 को शुरू हुई थी।
RBI Monetary Policy August 2022 Announcement: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Governor Shaktikanta Das) द्विमासिक मौद्रिक नीति (RBI MPC) के फैसलों की घोषणा की। लगातार बढ़ रही महंगाई के बीच आरबीआई के सामने अर्थव्यवस्था को और गति देने सहित कई चुनौतियां हैं। आरबीआई की एमपीसी की बैठक में महंगाई दर के साथ आर्थिक परिदृश्य को लेकर भी चर्चा की गई। केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट (Repo Rate) को फिर से बढ़ाने का फैसला लिया है। बेंचमार्क ब्याज दर 50 बीपीएस बढ़ाकर 5.40 फीसदी कर दी गई है।स्थायी जमा सुविधा (SDF) 4.65 फीसदी से बढ़कर 5.15 फीसदी और एमएसएफ रेट 5.65 फीसदी हो गई है। रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी से बढ़कर 3.85 फीसदी हो गई है।
ShareIndia के उपाध्यक्ष और हेड ऑफ रिसर्च, रवि सिंह ने कहा कि, 'वैश्विक मुद्रास्फीति चिंता का विषय है। मुद्रास्फीति के आंकड़े आरबीआई के संतोषजनक स्तर, 6 फीसदी से ज्यादा हैं। इसके कारण एमपीसी के सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से रेपो दर में 50 आधार अंकों की वृद्धि करने का निर्णय लिया है। हालांकि, यह वृद्धि उम्मीद के अनुरूप रही है और अनिश्चितताओं के इस परिदृश्य से निपटने के लिए आरबीआई की कार्रवाई अनिवार्य थी।'
रेपो रेट बढ़ने से आम आदमी पर क्या होता है असर?
ऊंची मुद्रास्फीति से जूझ रही है भारतीय अर्थव्यवस्था: रिजर्व बैंक गवर्नर
गवर्नर ने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति असंतोषजनक स्तर पर है। महंगाई पर आरबीआई ने अनुमान लगाया कि चालू वित्त वर्ष 2022-23 में यह 6.7 फीसदी पर पहुंच सकती है। जुलाई से सितंबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति (CPI) 7.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है। तीसरी तिमाही में यह 6.4 फीसदी और चौथी तिमाही में 5.8 फीसदी रह सकती है। अगले वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में महंगाई दर का 5 फीसदी पर रहने का अनुमान है।
जीडीपी ग्रोथ रेट पर क्या है केंद्रीय बैंक का अनुमान?
RBI ने चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए अपने सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के अनुमान को 7.2 फीसदी पर बरकरार रखा है। पहली तिमाही में यह 16.2 फीसदी, दूसरी तिमाही में 6.2 फीसदी, तीसरी तिमाही में 4.1 फीसदी और चौथी तिमाही में यह 4 फीसदी रह सकती है। अगले वित्त वर्ष, 2023-24 की पहली तिमाही में वास्तविक जीडीपी 6.7 फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया गया है।
खाने के तेल की कीमत में आएगी कमी
गवर्नर ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में भारत से 13.3 अरब डॉलर की पूंजी निकाली गई है। फाइनेंशियल सेक्टर में पर्याप्त पूंजी है। विदेशी मुद्रा भंडार ग्लोबल घटनाक्रमों के प्रभाव से बचाव कर रहा है। घरेलू आर्थिक गतिविधियां व्यापक हो रही हैं। ग्रामीण मांग में मिला-जुला रुख है। कच्चे तेल का दाम (Crude Oil Price) 105 डॉलर प्रति बैरल पर रहने का अनुमान है। भारतीय अर्थव्यवस्था भू-राजनीतिक जोखिमों जैसे वैश्विक घटनाक्रमों से प्रभावित हो रही है। आगे उन्होंने यह भी कहा कि खाद्य तेल कीमतों में और कमी आएगी। मियादी जमा दरें बढ़ने से फाइनेंशियल सेक्टर में तरलता बढ़ेगी।
रुपये के उतार-चढ़ाव पर नजर
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर ने कहा कि बैंकों में अधिशेष नकदी कम होकर 3.8 लाख करोड़ रुपये हो गई है। अप्रैल से मई में यह 6.7 लाख करोड़ रुपये थी। पहली तिमाही में एफपीआई बिकवाल रहे। जुलाई से एफपीआई का रुख सकारात्मक हुआ है। भारतीय रुपया व्यवस्थित तरीके से कारोबार कर रहा है। चार अगस्त तक यह 4.7 फीसदी टूटा है। केंद्रीयरिजर्व बैंक की रुपये के उतार-चढ़ाव पर नजर है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का प्रवाह सुधरा और 13.6 अरब डॉलर पर रहा।