Monetary Policy Review Announcement : कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर शशिकांत दास की अध्यक्षता वाली 06 सदस्यीय मौद्रिक नीति कमिटी (MPC) आज (06 अगस्त) मौद्रिक नीति समीक्षा (Monetary Policy Review) की घोषणा करेगी। यह एमपीसी की 24वीं बैठक है। कोरोना संकट के बीच तेजी से बदलते आर्थिक परिवेश और वृद्धि परिदृश्य के कमजोर होने के साथ MPC की बैठक समय से पहले दो बार हो चुकी है। पहली बैठक मार्च में और उसके बाद मई, 2020 में दूसरी बैठक हुई। एक्सपर्ट्स का कहना है कि RBI नीतिगत दर में कटौती से बच सकता है लेकिन कोरोनो वायरस संकट से प्रभावित अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की जरूरत के बीच लोन पुनर्गठन जैसे अन्य उपायों की घोषणा कर सकता है।
MPC ने दोनों बैठकों में रिजर्व बैंक की नीतिगत ब्याज दर में प्रतिशत कुल मिला कर 1.15 अंक की कटौती की। इससे आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए कुल मिलाकर नीतिगत दर में फरवरी, 2019 के बाद प्रतिशत 2.50 अंक की कटौती हो चुकी है। केंद्रीय बैंक महामारी और उसकी रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था को नुकसान कम करने के लिए सक्रियता से कदम उठाता रहा है।
मांस, अनाज और दाल जैसे खाद्य वस्तुओं के ऊंचे दाम से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जून में 6.09% रही। एक्सपर्ट्स की राय है कि MPC तेजी से बदलते वृहत आर्थिक परिवेश को देखते हुए मौद्रिक नीति के मोर्चे पर नरम रुख बरकरार रखेगा।
- एसबीआई की एक शोध रिपोर्ट के अनुसार बैंकों ने नए कर्ज पर ब्याज दर में प्रतिशत 0.72 अंक की कटौती की है। यह बताता है कि नीतिगत दर में कटौती का लाभ ग्राहकों को ब्याज दर में कटौती के जरिए तेजी से दिया गया। एसबीआई ने रेपो से जुड़े खुदरा कर्ज पर ब्याज में 1.15 अंक की कटौती की है।
- कोटक महिंद्रा बैंक की समूह अध्यक्ष (उपभोक्ता बैंकिंग) शांति एकामबरम ने कहा कि ब्याज दर में कटौती का मांग या वृद्धि को गति देने में बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ा है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 संकट कंपनियों और ग्राहकों दोनों को प्रभावित कर रहा है। अनिश्चितताएं अभी भी बनी हुई है।
- एकामबरम ने कहा कि नीतिगत दर में पहले की गई कटौती और मुद्रास्फीति के अभी भी 6% से ऊपर होने को देखते हुए एमपीसी देखो और इंतजार करो की नीति अपना सकती है तथा अगस्त में यथास्थिति बरकरार रख सकती है।
- सरकार ने रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 4% पर कायम रखने की जिम्मेदारी दी है। केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर को ध्यान में रखता है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले सप्ताह कहा था कि हमारा ध्यान पुनर्गठन पर है। वित्त मंत्रालय आरबीआई के इस बारे में बातचीत कर रहा है। इसके अलावा केंद्रीय बैंक कर्ज लौटाने को लेकर दी गई मोहलत के संदर्भ में दिशानिर्देश जारी कर सकता है। इसकी अवधि 31 अगस्त को समाप्त होने जा रही है। बैंक अधिकारी इसके दुरूपयोग की आशंका को लेकर इसकी मियाद बढ़ाए जाने का विरोध कर रहे हैं।