नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों और अन्य वित्तीय सेवा संस्थाओं के लिए सूचना प्रौद्योगिकी (IT) गतिविधियों की आउटसोर्सिंग से संबंधित 'मास्टर निर्देश' जारी किए हैं। इससे फाइनेंशियल, परिचालन और साख संबंधी जोखिमों का प्रबंधन हो पाएगा। केंद्रीय बैंक के इस कदम को बैंकों की आईटी प्रणालियों में तकनीकी गड़बड़ियों और अनियमितताओं की बढ़ती घटनाओं की पृष्ठभूमि में देखा जा सकता है। बैंक अपनी आईटी गतिविधियों के बड़े हिस्से को थर्ड पार्टी को आउटसोर्स करते हैं।
आरबीआई की पूर्व मंजूरी लेने की जरूरत नहीं
आरबीआई के मुताबिक, थर्ड पार्टी की ओर से प्रदान की गई आईटी या ITeS पर इस तरह की निर्भरता विनियमित संस्थाओं को जोखिमों के लिए उजागर करती है। आईटी सेवाओं की आउटसोर्सिंग पर आरबीआई के मसौदे में कहा गया है कि रेगुलेटिड एंटिटी (RE) को आईटी और आईटी- सक्षम सर्विस की आउटसोर्सिंग के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से पहले से मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होगी।
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केंद्रीय बैंक ने मांगे सुझाव
इन निर्देशों का प्रिसंसिपल यह है कि आरई को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आउटसोर्सिंग व्यवस्था ग्राहकों के लिए उसके दायित्वों को पूरा करने की क्षमता को कम न करे और साथ ही पर्यवेक्षण प्राधिकरण द्वारा प्रभावी पर्यवेक्षण को बाधित भी ना करे। इस मसौदे पर आरबीआई ने हितधारकों से 22 जुलाई तक सुझाव मांगे हैं।
उल्लेखनीय है कि बैंकों, पेमेंट बैंकों, को- ऑपरेटिव बैंकों, क्रेडिट सूचना कंपनियों, NBFC और अन्य रेगुलेटिड एंटिटी को एक व्यापक रूप से अनुमोदित आईटी आउटसोर्सिंग पॉलिसी को लागू करना होता है। आरई की किसी भी गतिविधि की आउटसोर्सिंग से इसके बोर्ड और वरिष्ठ प्रबंधन के दायित्व कम नहीं होंगे, जो अंततः आउटसोर्स गतिविधि के लिए जिम्मेदार होंगे।
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