- भारत पहली दो औद्योगिक क्रांति के समय गुलाम था।
- चौथी औद्योगिक क्रांति में अहम भूमिका निभाने का भारत के पास सुनहरा अवसर है।
- भारत में इस समय दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है।
Modi In Germany G-7 Summit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर चौथी औद्योगिक क्रांति और भारत की भूमिका के बारे में बाते की है। उन्होंने रविवार को जर्मनी के म्यूनिख में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि 21वीं सदी का भारत, चौथी औद्योगिक क्रांति में, इंडस्ट्री 4.0 में, पीछे रहने वालों में नहीं बल्कि इस औद्योगिक क्रांति का नेतृत्व करने वालों में से एक है। इसके पहले साल 2018 में भी प्रधानमंत्री ने कहा था कि चौथी औद्योगिक क्रांति में भारत का योगदान पूरी दुनिया में चौंकाने वाला होग। ऐसे में सवाल उठता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस चौथी औद्योगिक क्रांति की बात कर रहे हैं, वह क्या है..
क्या है चौथी औद्योगिक क्रांति
चौथी औद्योगिक क्रांति शब्द को सबसे पहले साल 2016 वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF)के संस्थापक और कार्यकारी अध्यक्ष क्लॉस श्वाब ने दुनिया के सामने रखा था। UNIDO इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट रिपोर्ट 2020 के अनुसार चौथी औद्योगिक क्रांति में नैनो टेक्नोलॉजी, जैव प्रौद्योगिकी, एडवांस डिजिटल प्रोडक्शन (एडीपी) प्रौद्योगिकियों सहित नए उभरते प्रौद्योगिकी डोमेन के कनवर्जेंस और इसके अलावा 3 डी प्रिंटिंग, मानव-मशीन इंटरफेस (एचएमआई) और ऑर्टिशियल इंटेलिजेंस, बिग डाटा एनॉलिटिक्स, एडवांस रोबोटिक्स, क्लाउंड कंप्यूटिंग जैसी प्रौद्योगिकी शामिल है।
बदलेगी लाइफ
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के अनुसार, चौथी औद्योगिक क्रांति हमारे जीने, काम करने और एक दूसरे से संबंधित होने के तरीके में एक आमूल-चूल परिवर्तन ला रही है। यह मानव विकास का एक नया अध्याय है, जो पहली, दूसरी और तीसरी औद्योगिक क्रांतियों के अनुरूप असाधारण प्रौद्योगिकी विकास द्वारा सक्षम है। ये प्रगति भौतिक, डिजिटल और जैविक दुनिया को एक दूसरे में समाहित कर रही है।
तीन औद्योगिक क्रांति में भारत की नहीं रही है भूमिका
इसके पहले 18 वीं शताब्दी में जब सबसे पहली औद्योगिक क्रांति हुई थी, तो वह भाप इंजन के अविष्कार से शुरू हुई थी। इसके बाद दूसरी औद्योगिक क्रांति 19 वीं शताब्दी में बड़े पैमाने पर विद्युतीकरण से शुरू हुई। इन दोनों औद्योगिक क्रांति के समय भारत गुलाम था। जबकि तीसरी औद्योगिक क्रांति कंप्यूटर के अविष्कार के जरिए 1960 से शुरू हुई। तीसरी औद्योगिक क्रांति में भी नया आजाद भारत एक गरीब देश था। ऐसे में उसकी भूमिका नहीं हो पाई। लेकिन सूचना प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में भारत अब अपनी नई पहचान बना चुका है। और उसे ताकत के दम पर अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत की चौथी औद्योगिक क्रांति में अहम भूमिका का दावा कर रहे हैं।
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भारत में कितना दम
- चौथी औद्योगिक क्रांति में इंटरनेट सबसे बड़ा हथियार है। और इसके जरिए स्टार्टअप से लेकर दूसरी कंपनियों को बड़ी ताकत मिलती है। जहां तक स्टार्टअप की बात है तो भारत में इस समय दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है। देश में 70 से ज्यादा यूनिकॉर्न हैं।
- पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा Mobile Data खपत भारत में है, वहीं पूरी दुनिया में सबसे सस्ता डेटा भी भारत में ही उपलब्ध है।
- देश की 1,72,361 ग्राम पंचायत ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से जुड़ चुकी हैं।
- हर साल 30 करोड़ मोबाइल उत्पादन के साथ, भारत दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक हैं।
लेकिन पेटेंट के मामले में भारत काफी पीछे है। UNIDO की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका, जर्मनी, चीन, जापान की चौथी औद्योगिक क्रांति से संबंधित पेटेंट में 77 फीसदी हिस्सेदारी है। ब्राजील, अर्जेंटीना भी भारत से कहीं ज्यादा हिस्सेदारी रखते हैं। ऐसे में डिजिलटल इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ पेटेंट में वर्चस्व स्थापित भारत के लिए चुनौती है। तभी चौथी औद्योगिक क्रांति में भारत अग्रणी भूमिका निभा पाएगा।