- दुनिया में अभी केवल 7 देशों में सोशल स्टॉक एक्सचेंज मौजूद है। अब भारत भी इस कैटेगरी में शामिल होगा।
- सोशल स्टॉक एक्ससेंज का उद्देश्य ऐसी कंपनियों के लिए पूंजी जुटाने में सहयोग करना है जो सामाजिक क्षेत्र में काम करती हैं।
- सोशल स्टॉक एक्सचेंज से फॉर प्रॉफिट सोशल एंटरप्राइजेज (FPE) और नॉट फॉर प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन (NPO) पूंजी जुटा सकेंगे।
नई दिल्ली: सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज का रास्ता साफ कर दिया है। इसके लिए सेबी ने 28 सितंबर को एक्सचेंज के फ्रेम वर्क को मंजूर कर लिया है। सोशल स्टॉक एक्सचेंज की परिकल्पना एक दम नई है। और इसके बारे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2019-20 के बजट में ऐलान किया था। दुनिया में अभी केवल 7 देशों में सोशल स्टॉक एक्सचेंज मौजूद है। ऐसे में भारत के लिए भी यह नया मॉडल है। ऐसे में सवाल उठता है कि सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या होता है और यह कैसे काम करेगा।
सोशल स्टॉक एक्ससेंज का उद्देश्य ऐसी कंपनियों के लिए पूंजी जुटाने में सहयोग करना है जो सामाजिक क्षेत्र में काम करती हैं। भारत में सोशल स्टॉक एक्सचेंज कैसे काम करेगा, इसके लिए सेबी ने एक टेक्निकल ग्रुप बनाया था। जिसकी सिफारिशों के आधार पर फ्रेमवर्क तैयार किया गया है।
आम लोगों को क्या फायदा
भूख, गरीबी, कुपोषण और असमानता का उन्मूलन, शिक्षा, रोजगार और आजीविका को बढ़ावा देना, लैंगिक समानता, महिलाओं के सशक्तिकरण और एलजीबीटीक्यूआईए+ समुदायों को बढ़ावा देना, पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन, वन और वन्यजीव संरक्षण ,गैर-कृषि क्षेत्र में छोटे और सीमांत किसानों और श्रमिकों की आय बढ़ाना, ग्रामीण और शहरी गरीबों के लिए आजीविका को बढ़ावा देना, किफायती आवास जैसे 15 क्षेत्रों में काम करने वाली कंपनियां इसके दायरे में आ सकती है। ऐसे में देश के एक बड़ी वंचित और गरीब आबादी तक सेवाएं पहुंचाना आसान और सस्ता हो सकेगा। खास तौर से कोवड-19 के बाद खड़ी हुई परिस्थितियों में पीड़ित लोगों तक लाभ पहुंचना आसान होगा।
सेबी चेयरमैन ने क्या कहा
सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा कि सोशल स्टॉक एक्सचेंज (एसएसई) का गठन मौजूदा प्लेटफॉर्म से अलग किया जाएगा। इसके तहत सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों को स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होने का मौका मिलेगा। जिसमें नॉन प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन और फॉर प्रॉफिट सोशिल इंटरप्राइजेज कंपनियां होंगी। सेबी चेयरमैन के बयान से साफ है कि सोशल स्टॉक एक्सचेंज सामान्य कंपनियों के लिए नहीं होगा।
किस तरह की कंपनियों को मिलेगा मौका
नाबार्ड के चेयरमैन हर्ष भानवाला की अध्यक्षता में गठित टेक्निकल ग्रुप की सिफारिशों के अनुसार राजनीतिक दल, धार्मिक संगठनों, व्यापारिक संगठनों के साथ-साथ कॉरपोरेट फाउंडेशनों को एसएसई के माध्यम से पूंजी जुटाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। साथ ही फॉर प्रॉफिट सोशल एंटरप्राइज (FPE) और नॉट फॉर प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन (NPO) तभी एसएसई से फंड जुटा सकेंगे, जब वह साबित करेंगे कि उनका काम सामाजिक स्तर पर वंचितों के लिए काम करना है। और उनके काम का ऐसे लोगों पर असर हो रहा है। ये कंपनियां जीरो कूपन जीरो प्रिंसिपल बांड, डेवलपमेंट इम्पैक्ट बांड, सोशल इम्पैक्ट बांड, निवेशकों द्वारा म्यूचुअल फंड के माध्यम से दान देने आदि तरीके से फंड जुटा सकेंगी। साथ ही विदेशी फंडिंग पर निर्भरता कम होगी।
अभी इन देशों में है सोशल स्टॉक एक्सचेंज
इंटरनेशनल सेंटर फॉर नॉट प्रॉफिट लॉ (आईसीएनएल) और समहिता सोशल वेंचर्स की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में ब्राजील, पुर्तगाल, दक्षिण अफ्रीका, जमैका, यूनाइटेड किंगडम, सिगापुर और कनाडा में सोशल स्टॉक एक्सचेंज मौजूद हैं। रिपोर्ट के अनुसार भारत में एक अनुमान के अनुसार 2011 में 31.7 लाख एनजीओ थे। इसी तरह आयकर विभाग के अनुसार 220,000 औपचारिक रूप से कर-मुक्त संगठन और नीति आयोग के पोर्टल पर 94,000 पंजीकृत गैर सरकारी संगठन थे।