निवेश करते समय, अगर आप जितना जोखिम उठा सकते हैं उससे अधिक जोखिम लेते हैं, तो आपको हानि हो सकती है और अगर आप जोखिम बिलकुल ही नहीं उठाना चाहते हैं, तो आपके निवेश पर मिलने वाले रिटर्न इतने पर्याप्त नहीं हो सकते है जिससे समय पर आपके वित्तीय लक्ष्य पूरा हो सके। इसलिए, निवेश करते समय संतुलित मात्रा में जोखिम उठाना बहुत जरूरी होता है। आपकी आयु और रिटर्न की उम्मीद के आधार पर, एक नपातुला जोखिम उठाने से आपको सही समय पर अपने वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिल सकती है। अब, इक्विटी उन कुछ एसेट क्लासेज में से एक है जिससे आपको अपने रिटर्न को अधिकतम करने के लिए एक बहुत ही शानदार अवसर मिलता है, बशर्ते कि आप जरूरी मात्रा में जोखिम उठाने के लिए तैयार हों और यह जोखिम अधिकांश मामलों में मध्यम से उच्च हो सकता है।
इक्विटी में कई तरीकों से निवेश किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, आप म्यूचुअल फंड्स, टैक्स सेविंग- इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम्स (ईएलएसएस), नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) के माध्यम से निवेश कर सकते हैं या सीधे स्टॉक्स में निवेश कर सकते हैं। वित्तीय वर्ष 2020-21 में लाखों की संख्या में नए डिमैट अकाउंट खोले जाना, एक ऐसी सच्चाई है कि जिससे यह पता लगता है कि इक्विटी निवेश में निवेशकों की रूचि बढ़ती जा रही है। मैंने खास तौर पर इस वर्ष, समझदारी से ऐसा करने के कुछ महत्वपूर्ण लाभों के बारे में चर्चा की है।
ज्यादा रिटर्न पाने के लिए
जब आप शेयरों में निवेश करते हैं तो आप दो प्रकार के रिटर्न प्राप्त करते हैं- पूंजी में बढ़ोतरी और लाभांश आय। फंडामेंटली मजबूत फाइनेंशियल्स वाले शेयरों में निवेश करने से, आप नियमित लाभांश आय अर्जित कर सकते हैं। इक्विटी से भी ज्यादा रिटर्न मिलने की संभावना होती है, जिसमें लंबी अवधि में आपको ज्यादा कैपिटल एप्रिसिएशन मिलता है। उदाहरण के लिए, सेंसेक्स ने पिछले 5, 10 और 15 साल में क्रमशः 15.71%, 11% और 10.96% का सीएजीआर पेश किया है, जबकि प्रोविडेंट फंड ब्याज दरें, जो आमतौर पर सरकार द्वारा समर्थित डेट बचत स्कीमों में सबसे अधिक होती हैं, वे पिछले 15 वर्षों में 8.25% - 9.5% की रेंज में बनी रही हैं।
भारत ने वर्ष 2024-25 तक $5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने का विजन तय किया है। इतने बड़े टास्क को प्राप्त करने में इक्विटी मार्केट द्वारा महत्वपूर्ण योगदान किए जाने की आशा है। 2020 में कोविड-19 सेटबैक के बावजूद इक्विटी मार्केट अभी तक के सबसे उंचे स्तर पर है। 2021 में स्टॉक मार्केट में अभूतपूर्व रिटर्न मिल सकते हैं। सही स्टॉक के चयन और सही स्ट्रेटेजी से आप आने वाले वर्षों में इक्विटी में निवेश करके ज्यादा रिटर्न पा सकते हैं।
इन्फ्लेशन (महंगाई) से बचना और वेल्थ क्रिएशन को अधिकतम करना
क्या आप जानते हैं कि लंबे समय में इन्फ्लेशन एक मुख्य बाधा है जिससे वेल्थ क्रिएशन नहीं हो पाती है? अगर आप निवेश अवधि के दौरान इन्फ्लेशन रेट से कम निवेश रिटर्न प्राप्त करते हैं, तो इससे आपकी वेल्थ में कमी हो जाएगी। आप ऐसा नहीं होने देना चाहेंगे? उदाहरण के लिए, मौजूदा समय में 3 से 5 वर्ष की अवधि की एफडी पर बैंक आजकल 5.5% प्रतिवर्ष के आसपास ब्याज की दर ऑफर कर रहे हैं। अगर आप उच्चतम टैक्स दायरे में आते हैं, तो (टैक्स के बाद) आपके नेट रिटर्न में 3.85% प्रतिवर्ष की गिरावट हो जाएगी। इसके मायने हैं कि अगर निवेश अवधि के दौरान इन्फ्लेशन 4% है, तो वेल्थ क्रिएशन की बजाए, आपकी वेल्थ में हर वर्ष 0.15% की कमी होती चली जाएगी। इक्विटी में निवेश करने से आप उच्च रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं, जिससे बहुत ही अच्छे मार्जिन से इन्फ्लेशन को हराया जा सकता है और लंबे समय में आप वेल्थ क्रिएशन को भी अधिकतम कर पाएंगे। अगर आप पिछले समय पर विचार करते हैं, तो स्टॉक इंडेक्स में डेट और अधिकांश अन्य निवेशों पर दीर्घावधि में बेहतर रिटर्न मिला है।
दूसरी एसेट क्लासेज की तुलना में आकर्षक टैक्स लाभ
इक्विटीज में निवेश करने से टैक्स लाभ भी प्राप्त होता है। इक्विटी निवेश में 1 लाख रुपए तक दीर्घकालिक पूंजी लाभ (एलटीसीजी) में छूट मिलती है, जबकि एलटीसीजी, जो 1 लाख रुपए से अधिक है, उस पर 10% की दर से टैक्स लगता है। इक्विटीज निवेश में अल्पकालिक पूंजी लाभ (एसटीसीजी) पर 15% की दर से टैक्स लगाया जाता है। इक्विटीज की तुलना में डेट या गोल्ड निवेश पर मिलने वाले रिटर्न पर अधिक टैक्स देना पड़ता है। अगर आप किसी ऐसे निवेश के बारे में सोच रहे है जिस पर गोल्ड, डेट आदि से कम टैक्स लगता है, तो आपको इक्विटीज में निवेश करने पर विचार करना चाहिए।
आप शेयर और इक्विटी म्यूचुअल फंड्स के बदले में लोन ले सकते हैं
कोविड-19 महामारी के बाद, अनेक लोग वित्तीय सेटबैक से रिकवर हो रहे हैं। इसलिए, निवेश इंस्ट्रुमेंट्स का लिक्विड (तरल) होना आवश्यक है ताकि आप हर प्रकार की वित्तीय आपातस्थितियों से निपट सकें। यदि आप शेयर या इक्विटी फंड्स में निवेश करते हैं, तो आप उन्हें किसी भी ट्रेडिंग दिन में बेच सकते हैं तथा कुछ ही दिनों में अपने बैंक अकाउंट में पैसे पा सकते हैं। आपके पास एक और विकल्प है अगर आप अपने निवेश को अलग नहीं करना चाहते हैं। क्वालिफाइड (योग्य) शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में आप अपने निवेश को बैंक में गिरवी रख कर उसपर लोन ले सकते हैं। आप गिरवी को छुड़ाने के लिए भविष्य में लोन चुका सकते हैं। आमतौर पर, बैंक पात्र शेयरों / इक्विटी म्यूचुअल फंड के मूल्य का 50% तक लोन देते हैं।
इक्विटी में निवेश करते समय ध्यान मे रखने वाली बातें
यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि आपकी अपनी पूरी पूंजी को इक्विटी में निवेश करने से बचना चाहिए। आपकी आयु, जोखिम उठाने की क्षमता, रिटर्न की उम्मीद, और निवेश की अवधि पर निर्भर करते हुए, आप यह फैसला कर सकते हैं कि आपको कितनी राशि इक्विटी में निवेश करनी है। आपको विभिन्न एसेट क्लासेज और अलग-अलग शेयर्स और इक्विटी फंड्स में अपने निवेश को डायवर्सिफाई जरूर करना चाहिए ताकि आप उतार-चढ़ाव के जोखिम से बच सकें। आपको इस बात की भी सलाह दी जाती है कि स्टॉक-टिप्स या अपंजीकृत इक्विटी सलाहकारों की सिफारिशों से भी बचना चाहिए तथा एसआईपी (SIP) या स्टैग्जर्ड तरीके से इक्विटी में निवेश करना चाहिए ताकि आप मार्केट जोखिम से बच सकें। अगर आप अनुभवी हैं और सीधे इक्विटीज में निवेश करने पर विचार कर रहे हैं, तो आपको पहले खुद को शिक्षित करने पर विचार करना चाहिए और ऐसा आप निवेश से जुड़ी किताबों को पढ़कर और लेख या ऑनलाइन कोर्स करके कर सकते हैं। मूल बात यह है कि, इक्विटी में बेशक सबसे अधिक रिटर्न देने की क्षमता हैं; लेकिन आपको उनमें समझदारी से निवेश करना चाहिए- और यह तथ्यों, न कि भावनाओं के आधार पर किया जाना चाहिए- ताकि प्रभावी रूप से जोखिम को कम से कम किया जा सके और मनचाहे रिटर्न पाए जा सकें।
इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।) ( ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)