- सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर के फैसले को आधार बनाकर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
- अगस्त 2020 में रिलायंस रिटेल ने 24713 करोड़ रुपये में फ्यूचर रिटेल को खरीदने का समझौता किया था
- अमेजन और रिलायंस भारत के रिटेल कारोबार पर कब्जा करने की लगा रहे हैं रेस
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप (बिग बाजार ब्रांड) के बीच अगस्त 2020 में हुई डील पर रोक लगा दी है। इस डील के तहत मुकेश अंबानी के रिलायंस समूह ने किशोर बियानी के फ्यूचर रिटेल को 24713 करोड़ रुपये (3.4 अरब डॉलर) में खरीदने का ऐलान किया था। जिसके खिलाफ फ्यूचर समूह की कंपनी में पहले से निवेश करने वाली ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन सु्प्रीम कोर्ट चली गई थी। अमेजन की याचिका पर सुनवाई करते हुए, आज सुप्रीम कोर्ट ने डील पर फिलहाल रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है फ्यूचर रिटेल की बिक्री को रोकने के लिए सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेटर सेंटर के फैसले को लागू किया जा सकता है। ऐसे में वह फैसला भारत में भी लागू होगा। इस फैसले से मुकेश अंबानी को रिटेल क्षेत्र में अमेजन के दबदबे को कम करने के मंसूबे पर फिलहाल ब्रेक लग गया है।
दरअसल दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन सिंगापुर में रिलायंस रिटेल और फ्यूचर रिटेल के बीच हुई डील के खिलाफ कोर्ट चली गई थी। जहां पर 25 अक्टूबर 2020 को कोर्ट ने डील पर रोक लगा दी थी। चूंकि यह रोक सिंगापुर कोर्ट ने लगाई थी। ऐसे में उस फैसले को भारत में लागू नहीं किया जा सकता था। इसके बाद यह मामला दिल्ली उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया।
मुकेश अंबानी का क्या है प्लान
असल में यह लड़ाई भारतीय रिटेल बाजार पर कब्जा करने की है। जिसमें मुकेश अंबानी की रिलायंस रिटेल और जेफ बेजोस की अमेजन कंपनी में सीधी टक्कर है। दोनों कंपनियां कर्ज में डूबे फ्यूचर समूह के रिटेल बिजनेस को खरीद कर उसके 400 शहरों में फैले इंफ्रास्ट्रक्चर का फायदा उठाना चाहती है। इसी को देखते हुए मुकेश अंबानी के रिलायंस रिटेल और फ्यूचर समूह के किशोर बियानी के बीच फ्यूचर रिटेल को खरीदने का समझौता हुआ था। अगर इस डील को मंजूरी मिल जाती है तो मुकेश अंबानी के लिए ऑनलाइन रिटेल बाजार में अमेजन की बादशाहत को तोड़ने का मौका मिल जाएगा।
अभी भारतीय ऑनलाइन बाजार में अमेजन की 33 फीसदी हिस्स्दारी है। फ्यूचर समूह के 1400 से ज्यादा रिटेल आउटलेट्स हैं।
रिलायंस-फ्यूचर राजी, फिर अमेजन के पक्ष में फैसला क्यों
असल में इसके पीछे अमेजन और फ्यूचर समहू के बीच अगस्त 2019 में हुई डील एक बड़ी वजह है। उस समय अमेजन ने फ्यूचर समूह की कंपनी फ्यूचर कूपंस की 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी। यह डील 1431 करोड़ रुपये में फाइनल हुई थी। अहम बात यह है कि फ्यूचर कूपंस की फ्यूचर रिटेल में 9.8 फीसदी हिस्सेदारी है। इसके अलावा 2019 की डील में इस बात पर सहमति बनी थी कि अगले 3-10 साल के भीतर अमेजन, फ्यूचर रिटेल की हिस्सेदारी खरीदने की हकदार होगी। इसी समझौते को लेकर अमेजन का पक्ष अदालतों की नजर में भारी पड़ता दिखाई दे रहा है।
99 अरब डॉलर का होगा ई-रिटेल कारोबार
असल में भारत में ऑनलाइन शॉपिंग जिस तरह बढ़ रही है। उसके देखते हुए 2024 तक इसके 99 अरब डॉलर के बाजार में तब्दील होने की संभावना है। इसी को देखते हुए, अमेजन और रिलायंस में रेस शुरू हो गई है। दोनों कंपनियां फ्यूचर समूह के बने-बनाए इंफ्रास्ट्रक्चर के जरिए रेस में लीड लेने की कोशिश में हैं।