नई दिल्ली। देश के सबसे कोंकण रेलवे (Konkan Railway) अब पूरी तरह से ग्रीन रेलवे (Green Railway) हो गया है। यानी कोंकण के पूरे रूट पर 100 फीसदी इलेक्ट्रिफिकेशन कर डीजल ट्रेनों को बंद कर दिया है। मुंबई के पनवेल से वेस्टर्न घाट के किनारे महाराष्ट्र से गोवा होते हुए कर्नाटक के मंगलौर को जोड़ने वाली 741 किलोमीटर कोंकण रेलवे में न केवल एक स्टेट ऑफ द आर्ट का नमूना है बल्कि अरब सागर के किनारे वेस्टर्न घाट के प्राकृतिक नजारों के लिए भी जाने जानी वाली कोंकण रेलवे अब पर्यावरण के लिहाज से ग्रीन एनर्जी से ट्रेनों का संचालन करेगी।
नवंबर 2015 में हुई थी शुरुआत
इसकी शुरुआत नवंबर 2015 में पूरे 741 किलोमीटर मार्ग के विद्युतीकरण के लिए आधारशिला रखी गई थी। परियोजना की कुल लागत 1287 करोड़ रुपये है।
इतना होगा बजट
रेलवे के द्वारा 100 फीसदी मिशन मोड के तरह सभी रूटों का विधुतीकरण किया जा रहा है जिससे बढ़ते ईंधन खर्चे में किया जा सके। अगर इसी रूट के बजत की बात करें, तो सालाना बचत 150 करोड़ रुपये से अधिक होगा। पश्चिमी तट पर इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन पर निर्बाध संचालन होगा। वही पूरे रूट में डीजल बंद होने से वेस्टर्न घाट की नेचुरल ब्यूटी को बनाये रखने में मदद मिलेगी।
कोंकण रेलवे भारतीय रेलवे नेटवर्क पर सबसे बड़े रेलवे मार्गों में से एक होने के साथ ही इलेक्ट्रिक ट्रक्शन वाला रूट हो जाएगा।