नई दिल्ली। भारतीय गैस उत्पादक कंपनियों के लिए अच्छी खबर है। लेकिन आम आदमी को झटका लग सकता है क्योंकि सीएनजी और पाइप के जरिये घरों में जाने वाली रसोई गैस (PNG) के दाम बढ़ सकते हैं। इस हफ्ते गैस की कीमत में अच्छी-खासी वृद्धि हो सकती है। देश में उत्पादित प्राकृतिक गैस के लिए सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य को 1 अप्रैल से बदला जा सकता है। सूत्रों के अनुसार रिलायंस इंडस्ट्रीज को केजी गैस (KG gas) के लिए लगभग 10 डॉलर प्रति MMBtu की रिकॉर्ड कीमत मिल सकती है। वहीं सरकार की ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC) को मुंबई हाई और अन्य क्षेत्रों के लिए डबल से भी ज्यादा की दर मिलने की संभावना है।
पिछले साल ऊर्जा के दाम में वृद्धि को देखते हुए ओएनजीसी को दिए गए फील्ड से उत्पादित गैस का दाम बढ़कर 5.93 डॉलर प्रति 10 लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट होने की उम्मीद है। मौजूदा समय में यह 2.9 डॉलर यूनिट है।
मामले से जुड़े दो सूत्रों के अनुसार, वहीं रिलायंस और उसकी भागीदारी बीपी पीएलसी (BP PLC) के केजी बेसिन (KG basin) में परिचालित डी6 (D6 block) जैसे कठिन स्थिति वाले ब्लॉक के लिये दाम 9.9 से 10.1 डॉलर प्रति यूनिट हो सकता है, जो फिलहाल 6.13 डॉलर प्रति यूनिट है। रिलायंस-बीपी परिचालित केजी क्षेत्रों को कठिन फील्ड की श्रेणी में रखा जाता है।
मुक्त बाजार क्षेत्रों के लिये है अबतक की सबसे ऊंची कीमत
ये दरें नियमित क्षेत्रों (ओएनजी की मुंबई तटीय क्षेत्र में बसई फील्ड) और केजी बेसिन जैसे मुक्त बाजार क्षेत्रों के लिये अबतक की सबसे ऊंची कीमत है। साथ ही अप्रैल, 2019 के बाद यह दूसरा मौका है जब दरें बढ़ेंगी और यह वृद्धि ऐसे समय हो रही है, जब मानक अंतरराष्ट्रीय कीमतें मजबूत हुई हैं।
छह महीनों में एक बादर दरें निर्धारित करती है सरकार
सरकार हर छह महीने पर... एक अप्रैल और एक अक्टूबर... को दरें निर्धारित करती है। यह निर्धारण अमेरिका, कनाडा और रूस जैसे अधिशेष गैस वाले देशों में जारी सालाना औसत कीमतों के आधार पर होता है। इसमें एक तिमाही का अंतर होता है। यानी एक अप्रैल से 30 सितंबर की कीमतें जनवरी, 2021 से दिसंबर, 2021 के औसत मूल्य के आधार पर होगी। और इस दौरान दरें ऊंची रही हैं।
बढ़ सकते हैं घरों में जाने वाली रसोई गैस के दाम
सूत्रों ने कहा कि गैस के दाम बढ़ने से सीएनजी और पाइप के जरिये घरों में जाने वाली रसोई गैस के दाम बढ़ सकते हैं। साथ ही इससे बिजली की लागत भी बढ़ेगी लेकिन गैस से बिजली उत्पादन की मात्रा बहुत अधिक नहीं होने से उपभोक्ताओं पर इसका असर नहीं होगा। वहीं उत्पादकों के लिये छह साल में पहला मौका है जब उन्हें लाभकारी मूल्य मिलेगा।
(एजेंसी इनपुट के साथ)