वित्तीय वर्ष 2022-23 (एफवाई 23) के लिए केन्द्रीय बजट को 1 फरवरी, 2022 को प्रस्तुत किया जाएगा। इस बजट का लक्ष्य उन नीतियों को पेश करना होना चाहिए जिससे आम आदमी के हाथ में अधिक पैसा आ सके। जब हम संभावित रियायतों पर चर्चा करते हैं, उसके साथ ही हमें कोविड-19 की चुनौतीपूर्ण पृष्ठभूमि और पिछले दो वर्षों के दौरान बजट पर इसके असर को नहीं भूलना चाहिए। फिर भी सरकार को, इस कठिन समय में बजट घोषणाओं के माध्यम से लोगों को राहत जरूर प्रदान करनी चाहिए। रोजगार के अवसर पैदा करना, आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में कमी और जीवनयापन के मानकों में सुधार करना पर विशेष ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है। इस लेख में, मैं करदाताओं की भावनाओं से सरकार को अवगत करवा रहा हूं। आइये इस पर विचार करते हैं।
धारा 80 सी की लिमिट को 1.5 लाख रूपये बढ़ाकर 3.0 लाख रूपये करना
धारा 80 सी का प्रयोग कर लाभों को प्राप्त करने के लिए वेतनभोगी व्यक्तियों द्वारा बहुत अधिक किया जाता है। सरकार को, आने वाले केन्द्रीय बजट में 1.5 लाख रूपये से कर-छूट लाभ को 3 लाख रूपये करने पर विचार करना चाहिए ताकि बढ़ती मुद्रा-स्फीति के समय में बचत और निवेश के अधिक अवसर प्रदान किए जा सके। इस कटौती सीमा में अंतिम बार संशोधन 2014 में किया गया था। 80 सी के अंतर्गत 1.5 लाख रूपये की लिमिट से उन लोगों को सहायता मिल सकती है जिनके द्वारा जटिल प्रकार के खर्च किए जाते हैं, जिनके आश्रित हैं, और जिनकी वित्तीय देयताएं हैं। छूट लिमिट में वृद्धि करने से लोगों को और अधिक निवेश करने का प्रोत्साहन भी मिलेगा। इसके अलावा, सरकार को और अधिक इंस्ट्रुमेंट्स, जिन पर कर-कटौतियां दी जा सकें, को 80 सी में शामिल करके इसके दायरे का विस्तार करने पर विचार करना चाहिए। उदाहरण के लिए, हाइब्रिड फंड्स को 80 सी लाभ के दायरे में शामिल किया जा सकता है। हाइब्रिड फंड्स से लोगों को डेट या ईक्विटी के मिश्रण के साथ अपने निवेश पोर्टफोलियो को स्ट्रक्चर करने में मदद मिलती है।
इसके अलावा, सरकार को 50,000/- रूपये के टर्म इंश्योरेंस प्रीमियम के लिए अलग से कटौतियों की अनुमति देने पर विचार करना चाहिए। दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु की दशा में, टर्म इंश्योरेंस आपके परिवार को वित्तीय रूप से सुरक्षित रखने के सबसे अफॉर्डेबल और सस्ता तरीका है। अभी भी ऐसा लगता है कि टर्म इंश्योरेंस अनेक लोगों द्वारा कम पसंद किया जाता है। सरकार को टर्म इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स को खरीदने के लिए कर प्रोत्साहन प्रदान करके इस सोच को बदलने के लिए कदम उठाने चाहिए।
होम लोन कर कटौतियां
महामारी के बावजूद, भारत में प्रोपर्टी की कीमतों में तेजी आई है। सरकार को घर खरीदने वालों को अधिक राहत प्रदान करने पर विचार करना चाहिए और कर रियायतों के ज़रिए खर्च को बढ़ावा देना चाहिए। सरकार को ऐसे उपायों की घोषणा करनी चाहिए जिससे होम लोन के उधारकर्ताओं को अधिक कर लाभ मिल सकें और साथ ही उनकी डिस्पोज़ेबल आय में भी बढ़ोतरी होनी चाहिए। मौजूदा कर लाभों के अंतर्गत, होम लोन उधारकर्ताओं को धारा 80 सी के अंतर्गत 1.5 लाख रूपये की कटौती तथा धारा 24 बी के अंतर्गत 2 लाख रूपये की छूट मिलती हैं। सरकार को मूल राशि और ब्याज के लिए बिना किसी सब-लिमिट के 5 लाख रूपये तक की होम लोन कटौतियों के लिए आयकर कानून में नई धारा जोड़ने पर विचार करना चाहिए। यह 5 लाख रूपये 80 सी, 24 बी और 80 ईईए की कुल कटौतियों के बराबर हो जाएगी।
धारा 80 डी के अंतर्गत कर कटौती लाभों को बढ़ाया जाना चाहिए
चिकित्सा खर्च दिन प्रतिदिन मंहगा होता जा रहा है, और विशेष रूप से ऐसा कोविड-19 महामारी के बाद हो रहा है। महामारी के दौरान बीमा दावों में बढ़ोतरी के कारण स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों के प्रीमियम में भी बढ़ोतरी हुई है। सरकार द्वारा, नॉन-सीनियर नागरिकों के लिए अदा किए गए प्रीमियम के लिए कटौती सीमा को बढ़ाकर 50,000/- करने पर विचार करना चाहिए। अभी तक, स्वास्थ्य बीमा के लिए प्रीमियम के भुगतान पर नॉन-सीनियर नागरिकों को 25,000/- रूपये और सीनियर नागरिकों के लिए 50,000/- रूपये तक की कटौती मिलती है। यदि परिवार द्वारा उच्च बीमा कवर लिया जाता है, तो प्रीमियम आसानी से इस उच्चतम कटौती सीमा से अधिक हो जाता है। कटौती सीमा को बढाने से, लोगों को स्वास्थ्य बीमा के अंतर्गत उच्च कवर प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
धारा 80टीटीए के अंतर्गत कटौतियों की सीमा को बढ़ाना
अनेक लोगों के लिए बैंक सावधि जमा बहुत ही अधिक पसंदीदा बचत और निवेश विकल्प हैं, विशेष रूप से जोखिम से बचने वाले लोगों द्वारा इसे बहुत अधिक पसंद किया जाता है। वरिष्ठ नागरिकों द्वारा किसी वित्तीय वर्ष के दौरान 50,000/- रूपये तक के अर्जित ब्याज को धारा 80 टीटीबी के अंतर्गत कटौती के रूप में दावा करने की अनुमति दी जाती है। लेकिन, नान-सीनियर नागरिक निवेशक के लिए बैंक सावधि जमाओं पर अर्जित ब्याज पर लागू स्लैब रेट के अनुसार कर लगाया जाता है। सरकार को 80टीटीए सीमा (60 वर्ष से कम आयु के लोगों पर लागू होती है), को बढ़ाकर 30,000/- रूपये करना चाहिए। धारा 80 टीटीए के अंतर्गत बैंकों, सहकारी बैंकों और डाकघरों में बचत खातों से ब्याज आय की कर कटौती सीमा को बढ़ाने से लोगों को नकदी को अपने घर में ही रखने की बजाए बैंकों में बचत करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा। इससे, बैंकों के कैश रिजर्व में बढ़ोतरी हो सकती है, और जिसके परिणामस्वरूप वे अधिक उधार दे सकने में समर्थ होंगे और हमारी अर्थव्यवस्था को रिवाइव करने में इससे मांग में तेजी आएगी।
मौजूदा समय में, अधिकांश बैंक 3 वर्ष की जमाओं पर लगभग 5% से 5.5% प्रति वर्ष ब्याज दर ऑफर कर रहे हैं। इसका अर्थ है कि यदि कोई निवेशक उच्चतर कर श्रेणी में आता है, तो प्रभावी रिटर्न लगभग 3.85% (5.5% में से 30% कर को कम करने पर) आता है और यदि हम जारी इंफ्लेशन दर को 4% मान लेते हैं, तो निवेशक को -.15% (3.85%-4%) रिटर्न मिलता है। सरकार को कर की गणना करने के लिए एफडी पर इंफ्लेशन-एडजस्टेड रिटर्न के लाभ की अनुमति देनी चाहिए अर्थात अर्जित ब्याज में से इंफ्लेशन को कम करके कर चार्ज किया जाना चाहिए। करदाता इस कठिन समय में, जब महामारी के कारण बाजार में लिक्विडिटी फ्लो कम हो गया है, उसमें से निकलने के लिए अधिक राहत और रियायतों की उम्मीद कर रहे हैं।
स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी को कम किया जाना
स्वास्थ्य बीमा पर, मौजूदा समय में जीएसटी 18% है। स्वास्थ्य बीमा को डायरेक्ट रिटेल ग्राहकों द्वारा खरीदा जाता है, जीएसटी को जोड़ने से उनकी लागत बढ़ जाती है और इसको खरीदने के प्रति उनका रूझान कम हो जाता है। लोग यह उम्मीद करते हैं कि सरकार को स्वास्थ्य बीमा पर 18% जीएसटी को कम करके निम्न स्लैब पर लाना चाहिए। इस कदम से, प्रभावी बीमा प्रीमियम के कम होने से और इसके नतीजे में, लोगों के लिए इसे अधिक अफॉर्डेबल बनाने से उनको स्वास्थ्य बीमा खरीदने में बहुत अधिक लाभ मिलेगा।
(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)