नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल (Union Cabinet) ने सरकारी एजेंसियों और उन सार्वजनिक उपक्रमों की अधिशेष भूमि और इमारतों के मौद्रीकरण तथा देख-रेख के लिए राष्ट्रीय भूमि मौद्रीकरण निगम (National Land Monetization Corporation, NLMC) की स्थापना को मंजूरी दी है, जिन्हें या तो बेचा जा रहा है या जो बंद होने के कगार पर हैं।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि विशेष इकाई एनएलएमसी को 5,000 करोड़ रुपये की शुरुआती अधिकृत शेयर पूंजी और 150 करोड़ रुपये की चुकता शेयर पूंजी के साथ भारत सरकार की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी के रूप में स्थापित किया जाएगा।
इसमें कहा गया, 'एनएलएमसी सार्वजनिक क्षेत्र के केंद्रीय उपक्रमों (Central Public Sector Enterprises, CPSE) तथा अन्य सरकारी एजेंसियों की अधिशेष भूमि और इमारत-भवन जैसी संपत्तियों को बाजार में चढ़ाने का काम करेगी।' बयान के मुताबिक, गैर-प्रमुख संपत्तियों के मौद्रीकरण के साथ निगम ऐसी संपत्तियों को भी बाजार में चढ़ाएगा जिनका या तो इस्तेमाल नहीं हो रहा या समुचित उपयोग नहीं हो पा रहा है। इसके जरिये उल्लेखनीय राजस्व जुटाया जाएगा।
इसमें कहा गया, 'वर्तमान में सीपीएसई के पास भूमि और इमारतों के रूप में काफी सारी अधिशेष, उपयोग में नहीं आ रही या कम उपयोग में ली जा रही गैर-प्रमुख संपत्तियां हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के केंद्रीय उपक्रमों का रणनीतिक विनिवेश हो रहा है या ये बंद हो रहे हैं। ऐसे में सही मूल्यांकन के लिए उनकी अधिशेष भूमि या गैर-प्रमुख संपत्तियों का मौद्रीकरण अहम है। एनएलएमसी इन संपत्तियों का मौद्रीकरण करेगी और इसमें मदद देगी।'
हालांकि, बयान में अधिशेष भूमि और भवनों को एनएलएमसी को हस्तांतरित करने के तौर-तरीकों का विवरण नहीं दिया गया है। इसमें यह जरूर बताया गया है कि एनएलएमसी निजी क्षेत्र के पेशेवरों की सेवाएं लेगी।