- नॉन बैंकिंग कंपनी निवेशकों को ये सुविधा देते हैं कि वे उनके पास भी एफडी खुलवा सकते हैं
- नॉन बैंकिंग सेक्टर में निवेश करने की प्रक्रिया को कॉर्पोरेट एफडी कहते हैं
- इसके कई फायेदे व नुकसान भी हैं
फिक्स्ड डिपॉजिट का नाम सुनते ही हर किस के मन में ये आता है कि वे बैंक में जाकर फिक्स्ड डिपॉजिट खुलवा सकते हैं। लेकिन फिक्स्ड डिपॉजिट खुलवाने के लिए केवल बैंक ही नहीं कई अन्य विकल्प भी हैं जिनके बारे में बहुत कम ही लोगों को जानकारी होती है। कई सारे बैंकिंग और नॉन बैंकिंग कंपनी निवेशकों को ये सुविधा देते हैं कि वे उनके पास भी एफडी खुलवा सकते हैं।
क्या है कॉर्पोरेट फिक्स्ड डिपॉजिट
कॉर्पोरेट फिक्स्ड डिपॉजिट और कुछ नहीं बल्कि एक प्रकार का फिक्स्ड डिपॉजिट होता है जो कंपनियों के द्वारा जैसे फायनांस कंपनियों, हाउसिंग फायनांस कंपनियों के द्वारा जारी किया जाता है। कॉर्पोरेट फिक्स्ड डिपॉजिट आम पब्लिक के द्वारा फंड जमा करने का एक पॉपुलर तरीका है। ये अन्य एफडी की तुलना में अधिक दर पर ब्याज देते हैं। कुछ कंपनियां 9 पर्सेंट प्रति वर्ष के दर से भी अधिक ब्याज देती हैं। ये मंथली, ईयरली, हाफ ईयरली और क्वार्टरली इंटरेस्ट पेआउट का विकल्प देती है। ये सारे इसके फायदे हैं।
कॉर्पोरेट फिक्स्ड डिपॉजिट के नुकसान
इस फिक्स्ड डिपॉजिट के कुछ नुकसान भी हैं। दूसरे एफडी में जिस तरह की बीमा की गारंटी देता है ऐसा कॉर्पोरेट एफडी में नहीं होता। इसे डिफॉल्ट रिस्क कहा जाता है। इसलिए जब भी आप एफडी खुलवाने की प्लानिंग करें तो इन सब बातों पर ध्यान जरूर दें। कंपनी एफडी लेने से पहले इसके बैकग्राउंड को जरूर चेक कर लें। इसके अलावा एफडी से होने वाली ब्याज से कमाई पर टैक्स भी लगता है।
कॉर्पोरेट एफडी के एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया
कोई भी व्यक्ति, एनआरआई या फिर सीनियर सिटीजन कंपनी एफडी के लिए अप्लाई कर सकता है। इसके लिए पैन कार्ड, आधार कार्ड और पासपोर्ट जैसे दस्तावेज की जरूरत होती है। इसमें अप्लाई करने के लिए निवेशक की उम्र 18 साल होनी चाहिए। कोई नाबालिग भी इसमें अपना अकाउंट खुलवा सकता है बशर्ते उसके अकाउंट के साथ उसके गार्जियन का भी अकाउंट हो।