- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी 2018 में इन्वेस्टर्स समिट के दौरान यूपी में डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनाने की घोषणा की थी।
- फरवरी 2020 में लखनऊ में आयोजित डिफेंस एक्सपो के दौरान निवेश के लिए 50 हजार करोड़ रुपये के MOU किए गए थे।
- कंपनियां सेना की रक्षा जरूरतों के अनुसार आधुनिक उपकरण और छोटे हथियारों का निर्माण करेंगी।
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अलीगढ़ में डिफेंस कॉरिडोर का जिक्र करते हुए कहा है कि पहले अलीगढ़ के ताले घर और दुकान की रक्षा करते थे, अब 21 वीं सदी में अलीगढ़ में बनने वाले हथियार भारत की सीमा की रक्षा करेंगे। असल में डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट हैं। जहां पर भारतीय सेना की रक्षा जरूरतों मुताबिक आधुनिक उपकरण और छोटे हथियार का निर्माण किया जाएगा। जिससे देश की रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भरता कम हो। प्रदेश में अलीगढ़ सहित डिफेंस कॉरिडोर के 6 नोड हैं। जिसमें, आगरा, झांसी, चित्रकूट, कानपुर, और लखनऊ नोड हैं।
50 हजार करोड़ रुपये के MOU
इसके पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी 2018 में इन्वेस्टर्स समिट के दौरान यूपी में डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनाने की घोषणा की थी। उत्तर प्रदेश के अलावा तमिलनाडु में डिफेंस कॉरिडोर विकसित किया जा रहा है। फरवरी 2020 को लखनऊ में आयोजित डिफेंस एक्सपो के दौरान रक्षा उत्पाद से जुड़ी देशी और विदेशी कंपनियों ने कॉरिडोर में निवेश के लिए 50 हजार करोड़ रुपये के एमओयू किए थे। सबसे अधिक एमओयू अलीगढ़ में खैर रोड पर अंडला में बनाए डिफेंस कॉरिडोर के लिए किए गए। उत्तर प्रदेश सरकार से मिली जानकारी के अनुसार अलीगढ़ नोड के लिए 19 कंपनियों की भूमि आवंटन प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। यह कंपनियां 1245 करोड़ रुपए का निवेश करेंगी। अलीगढ़ नोड में छोटे हथियार, गोला-बारूद, ड्रोन, एयरोस्पेस मेटल कम्पोनेण्ट्स, एण्टी ड्रोन सिस्टम, डिफेंस पैकेजिंग और दूसरे रक्षा से जुड़े उद्योग स्थापित किए जाएंगे।
इन हथियारों का निर्माण
उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में अब तक 68 कंपनियों के साथ मैन्यूफैक्चरिंग और दूसरे यूनिट लगाने के लिए एमओयू किए गए हैं। कंपनियां सेना की रक्षा जरूरतों के अनुसार आधुनिक उपकरण और छोटे हथियारों का निर्माण करेगी। इसके तहत एसॉल्ट राइफल, स्नाइपर राइफल और सीक्यूबी कार्बाइन के कारतूस, पॉलीमर फ्रेम पिस्टल के फ्रेम एवं सुरक्षा उपकरण, ब्रह्मोस मिसाइल आदि बनाई जाएंगी।
सरका से मिली जानकारी के अनुसार, विभिन्न कंपनियों से मिले प्रस्तावों के आधार पर अलीगढ़ नोड में अब तक 19 कंपनियों 55.40 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई है। इसके तहत ही एलन एंड अल्वन प्राइवेट लिमिटेड और एंकोर रिसर्च लैब एलएलपी कंपनी ने ड्रोन बनाने के लिए निवेश किया है। यह दोनों की कंपनियां सेना के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त ड्रोन का निर्माण करेंगी। इसी तरह लखनऊ नोड में 11, झांसी नोड में 6, कानपुर नोड में 6 कंपनियों ने फैक्ट्री लगाने के लिए जमीन उपलब्ध कराने की प्रस्ताव दिया था। लखनऊ में एचएएल और बीडीएल ने करीब 250 एकड़ जमीन की मांग की है। इसके अलावा टाटा टेक्नॉलोजी, सीमेंस और डेसाल्ट की तरफ से सेंटल फैसिलिटी सेंटर की स्थापना का प्रस्ताव हैं।
झांसी नोड में डेल्टा कॉम्बैट सिस्टम्स लिमिटेड (डेल्टा) 150 करोड़ रुपए का निवेश कर रही हैं। इस कंपनी को 15 हेक्टेयर भूमि आवंटित कर दी गई है। ये कंपनी सेना द्वारा प्रयोग में लायी जा रही एसाल्ट राइफल, स्नाइपर राइफल, इंसास राइफल, सीक्यूबी कार्बाइन के कारतूस सहित अन्य शस्त्रों के कारतूस बनाएगी।
सबसे ज्यादा झांसी में लैंड बैंक
सरकार के अनुसार डिफेंस कॉरिडोर के लिए अभी तक कुल 1654 हेक्टेअर जमीन की पहचान की गई है। इसके तहत 1086 हेक्टेअर जमीन झांसी नोड के लिए प्रस्तावित हैं। इसके बाद चित्रकूट के लिए 102 हेक्टेअर, अलीगढ़ के लिए 78 हेक्टेअर, कानपुर के लिए 175 हेक्टेअर और लखनऊ के लिए 67 हेक्टेअर जमीन प्रस्तावित की गई हैं। इसमें से 1403 हेक्टेअर जमीन या तो खरीद ली गई है, या कंपनी को जमीन ट्रांसफर कर दी गई या फिर उसके लिए मांग आई है। सरकार ने कुल 5000 हेक्टेअर का लैंड बैंक बनाने का लक्ष्य रखा है।