- AMU के कर्ता-धर्ता राजा महेंद्र प्रताप सिंह का जन्मदिन नहीं मनाना चाहते हैं, उनकी फोटो नहीं लगाना चाहते है, तो यह उनकी सोच है।
- राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने भारत का पहला पॉलीटेक्निक बनाया,पहली अंतरिम सरकार बनाई, संसार संघ बनाया जिसके लिए उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया।
- राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने अपने जीवन में तकनीकी शिक्षा को सबसे ज्यादा महत्व दिया ।
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में योगी आदित्यनाथ की सरकार राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर राज्य विश्वविद्यालय बनाने जा रही है। जिसका शिलान्यास प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आज किया है। राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया और अफगानिस्तान में साल 1915 में देश की पहली निर्वासित सरकार का गठन किया। इसके अलावा उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भी अहम योगदान दिया है। देश का पहला पॉलीटेक्निक खोलने का श्रेय भी उन्हें जाता है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के लिए भी उन्होंने अपनी जमीन दान दी थी। उनकी शख्सियत और उनके नाम पर बनने जा रहे विश्व विद्यालय पर टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल ने राजा महेंद्र प्रताप सिंह के प्रपौत्र चरत प्रताप सिंह से बात की है। पेश है उसके अंश:
क्या देर से मिली अहमियत
मैं राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर विश्व विद्यालय बनाने के कदम को बहुत सकारात्मक नजर से देखता हूं। राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने अपने जीवन में तकनीकी शिक्षा को सबसे ज्यादा महत्व दिया और सरकार उनके नाम पर एक विश्वविद्यालय बना रही है, तो मैं समझता हूं कि यह बहुत बड़ा सम्मान है। जहां तक देरी की बात है तो देर आए दुरुस्त आए। आज मैं इस पर पर क्या सवाल करूं, जिन्होंने देरी की वहीं इसका जवाब दे सकता है। अलीगढ़ में ही विश्वविद्यालय बनने से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और छात्रों को अच्छी शिक्षा का मौका मिलेगा, केंद्र और राज्य सरकार का यह कदम बेहद सराहनीय है।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्व विद्यालय के रवैये को कैसे देखते हैं
देखिए अगर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कर्ता-धर्ता राजा महेंद्र प्रताप सिंह का जन्मदिन नहीं मनाना चाहते हैं, उनकी फोटो नहीं लगाना चाहते है। वह मुहम्मद अली जिन्ना जी की फोटो लगाना चाहते हैं, तो यह उनकी सोच है। मैं अपना व्यक्तिगत अनुभव बता सकता हूं कि दादा जी एक महापुरूष हैं। उनका सम्मान होना चाहिए था। अब लोगों ने नहीं किया यह तो उन्हें सोचना चाहिए था।
क्या अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का नाम बदलना चाहिए
इस तरह का सवाल उठा था कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का नाम बदल देना चाहिए। और दादा जी के नाम पर उसका नाम कर देना चाहिए। मैं उसकी निंदा करता हूं। उसका नाम नहीं बदलना चाहिए। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का गौरवशाली इतिहास रहा है। राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के लिए जमीन दान में दी, उनके बेटे प्रेम प्रताप सिंह ने 2 जमीन लीज पर दी, इसके अलावा हमारी बहुत सारी जमीन तत्तकालीन ब्रिटिश सरकार ने अधिग्रहण के जरिए ली थी।
राजा महेंद्र प्रताप सिंह की कैसी थी शख्सियत
मैंने अपने बचपन के 5-6 साल उनके साथ बिताए हैं । उनकी सफेद दाढ़ी हुआ करती थी। मुझे तो एक बच्चे के रुप में वह हमेशा महापुरूष नजर आते थे। उन्होंने भारत का पहला पॉलीटेक्निक बनाया, भारत की पहली अंतरिम सरकार बनाई, संसार संघ बनाया, जिसके लिए उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया। यह संसार संघ बाद में संयुक्त राष्ट्र संघ के गठन का आधार बना। उन्होंने अपने जीवन में बहुत कुछ हासिल किया। लेकिन इसके बावजूद वह बहुत सरल और साधारण इंसान थे। वह सभी धर्मों को मानते थे। आठ भाषओं के ज्ञाता थे। मुझे वह हमेशा सिखाते थे कि आप सबको बराबरी की नजर से देखो।
अंतरिम सरकार का गठन का क्या महत्व
राजा महेंद्र प्रताप सिंह अपना राज्य और परिवार छोड़कर देश की आजादी के लिए निकल पड़े थे। जबकि उस दौर में ज्यादातर राजा-महराजा अंग्रेजों की गुलामी कर रहे थे। इसी संघर्ष के लिए उन्हें 32 साल विदेश में रहना पड़ा। वह अपने परिवार से नहीं मिल पाए, क्योंकि अंग्रेजों ने उन्हें देशद्रोही घोषित कर दिया था। इस बीच उनकी पत्नी बलबीर कौर की मौत हो गए। उनके इकलौते बेटे प्रेम प्रताप सिंह भी इस दुनिया से चल बसे । उन्होंने और उनके परिवार ने देश के लिए बहुत कुर्बानियां दी हैं। जिसे आज तक किसी ने समझा नहीं।
जब उन्होंने काबुल में भारत की पहली अंतरिम सरकार बनाई और अंग्रेजो को चुनौती दी तो उसे अमेरिका, रुस, जर्मनी , स्विटजरलैंड, टर्की जैसे देशों ने मान्यता दी। लेकिन भारत के राजाओं ने अपने स्वार्थ के लिए उनकी सरकार को मान्यता नहीं दी। 1915 में उन्होंने जो अंतरिम सरकार बनाई थी, वह काबुल के ऐतिसाहिक स्टोर पैलेस में ही गठित की गई थी। उसके बाद इसी पैलेस में 1919 में अफगानिस्तान की संप्रभुता स्वीकार की गई थी। मेरा तो यही मानना है कि भारत और अफगानिस्तान को वहीं से पहली बार आजादी मिली थी।
क्या चुनाव के समय भाजपा को याद आए राजा महेंद्र प्रताप सिंह
इस मामले में मेरी एक ही सोच है। राजनीतिक दल जीतने के लिए हर समय कुछ न कुछ करते हैं। इसमें क्या गलत है। जैसे हम करियर में अच्छा करने का काम करते हैं, वैसे ही राजनेता भी राजनीति में अच्छा करने की कोशिश करते हैं। अगर वह कुछ अच्छा काम करते हैं तो यह तो अच्छी बात है। क्योंकि राजनीतिक दल अच्छा काम कर अगर चुनाव जीतें तो इसमें कोई हर्ज नहीं होना चाहिए ।