- जनधन खाताधारक महिलाओं के लिए मोदी सरकार का बड़ा तोहफा
- हर महीने खातों में आएंगे 500 रुपये, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की घोषणा
- सरकार ने मनरेगा दिहाड़ी अब 182 रुपये से बढ़ाकर 202 रुपये प्रतिदिन की
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के संकट से जूझ रहे देश के गरीब परिवारों के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने अपना खजाना खोल दिया है। खुद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी जानकारी दी। वित्त मंत्री ने एक लाख सत्तर हजार करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान करते हुए एक खास घोषणा की जिसका फायदा देश की करीब 20 करोड़ महिलाओं को मिलेगा।
खातों में हर महीने आएंगे 500 रुपये
सरकार की तरफ से जनधन योजना के तहत जिन महिलाओं ने अकाउंट खोले हैं उन्हें हर 500 रुपये दिए जाएंगे। यह धनराशि उनके खाते में ट्रांसफर की जाएगी तो अगले तीन महीनों तक जारी रहेगी। इतना ही नहीं सरकार ने महिलाओं को एक और तोहफा दिया है। उज्जवला योजना के तहत जिन 8.5 करोड़ महिलाओं ने अपने नाम पर गैस कनेक्शन लिए हैं उन्हें अगले तीन महीने तक गैस के सिलेंडर मुफ्त में दिए जाएंगे।
जमा हैं इन खातों में एक लाख करोड़
प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत जीरो बैलेंस पर बैंक खाते खोले जाते हैं, मगर आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस योजना के तहत खोले गए खातों में एक लाख करोड़ से ज्यादा की रकम जमा है। यह खुलासा एक आरटीआई आवेदन के जरिए हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभालने के बाद अपने पहले (2014) स्वतंत्रता दिवस संबोधन पर देश के नाम दिए संदेश में आम नागरिकों को बैंकों से जोड़ने एवं समेकित विकास के लिए प्रधानमंत्री जन-धन योजना की घोषणा की थी।
क्या है खातों का उद्देश्य
इस योजना का मकसद आम आदमी को बैंक से जोड़ना था। इसकी औपचारिक शुरुआत 28 अगस्त, 2014 को हुई थी। इस योजना में जीरो बैंलेंस पर खाते खोलने का प्रावधान है। प्रधानमंत्री जन-धन योजना का मकसद समाज के उस हिस्से को जोड़ने का है, जो आर्थिक विपन्नता के चलते बैंकों में खाते नहीं खोल पाया था। साथ ही सरकार की योजनाओं के तहत दिए जाने वाले अनुदान की राशि सीधे बैंक खाते में पहुंचाना इसका मकसद रहा।
आरटीआई से मिली जानकारी इस बात का खुलासा करती है कि बैंकों में खाता खुलवाने वाले गरीबों में लगभग 14 प्रतिशत ऐसे हैं, जिनके खातों में एक रुपया तक नहीं है। इस योजना के तहत खोले जाने वाले बैंकों में खातों में मिनिमम बैंलेंस की बाध्यता नहीं होती है। जीरो बैलेंस पर भी खाते जीवित रहते हैं ।