- प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए एनपीएस लोकप्रिय निवेश विकल्प है
- NPS ग्राहकों को हर साल 1,000 रुपए का न्यूनतम योगदान देना जरूरी होता है
- इसमें निवेश पर कई तरह के टैक्स लाभ मिलते हैं
नई दिल्ली: नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) भारत में सबसे लोकप्रिय निवेश साधनों में से एक है। यह 1.5 लाख रुपए तक का टैक्स लाभ और 50,000 रुपए का अतिरिक्त लाभ ऑफर करता है। इसकी वजह से यह एक लोकप्रिय निवेश विकल्प बनाता है। NPS ग्राहकों को हर साल 1,000 रुपए का न्यूनतम योगदान देना आवश्यक है, जबकि न्यूनतम जमा राशि प्रति ट्रांजेक्शन 500 रुपए है।
इनकम टैक्स एक्ट निम्नलिखित धाराओं के अनुसार NPS के तहत बेनिफिट्स देता है:-
- कर्मचारी के योगदान पर: कर्मचारी का अपना योगदान 10% वेतन (बेसिक + डीए) तक इनकम एक्ट की धारा 80 CCD (1) के तहत टैक्स कटौती के लिए पात्र है। यह इनकम एक्ट की धारा 80 CCE के तहत 1.50 लाख रुपए की कुल सीमा के भीतर है।
- नियोक्ता के योगदान पर: 80CCD (2) के तहत बेसिक और डीए (कोई मोनेटरी सिलिंग नहीं) के 10% तक। यह छूट की 80 CCE सीमा 1.50 लाख रुपए से अधिक है।
- स्वैच्छिक योगदान: कर्मचारी स्वैच्छिक रूप से की नपीएस टियर I खाते में 50,000 (या अधिक) अतिरिक्त राशि का निवेश कर सकता है। और धारा 80 CCD 1(B) के तहत उसी पर अधिकतम 50,000 रुपए की टैक्स कटौती का दावा करता है।
कॉर्पोरेट कर्मचारियों के लिए लाभ
- सरकारी सेक्टर के कर्मचारियों की तरह ही पेंशन योजना है।
- PRAN {स्थायी सेवानिवृत्ति खाता संख्या(Permanent Retirement Account Number)} को बदले बिना एक कॉरपोरेट से दूसरे कॉर्पोरेट में स्थानांतरित करने की लचीलापन व्यवस्था है।
- मूल वेतन + महंगाई भत्ते के 10% तक अतिरिक्त टैक्स लाभ।
- एनपीएस (वन टाइम-टैक्स फ्री) के लिए सुपर फंड्स फंड का स्थानांतरण
- सेवा-निवृत्ति फंड्स (Superannuation Funds) का ट्रांसफर NPS में करना (वन टाइम- टैक्स फ्री)
- 70 वर्ष की आयु तक NPS में निवेश करना जारी रख सकते हैं|
प्राइवेट कर्मचारियों के लिए टैक्स लाभ:-
धारा 80C के तहत अधिकतम टैक्स कटौती 1.5 लाख रुपए प्रति वर्ष है। NPS टियर 1 खाते के लिए कोई भी योगदान आपको 50,000 रुपए की विशेष कटौती का दावा करने की अनुमति देता है। प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को NPS टियर -2 खाते में योगदान पर धारा 80C के तहत टैक्स कटौती का लाभ नहीं मिलेगा, लेकिन लॉक-इन से मुक्त रहेगा।
गौर हो कि नई टैक्स व्यवस्था के तहत 2.5 लाख रुपए तक की आय पर जीरो टैक्स है। 2.5 लाख रुपए से 5 लाख रुपए तक की आय पर 5% टैक्स है। 5 लाख रुपए और 7.5 लाख रुपए तक की आय पर 10% टैक्स है। 7.5 लाख रुपए और 10 लाख रुपए तक की आय पर 15% टैक्स है। 10 लाख रुपए से 12.5 लाख रुपए तक की आय पर 20% टैक्स है। 12.5 लाख रुपए और 15 लाख रुपए तक की आय पर 25% टैक्स है। 15 लाख से ऊपर की आय पर 30% टैक्स है।