- असगर अफगान ने नामीबिया के खिलाफ अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच खेला
- अफगान ने अपने आखिरी मुकाबले में 23 गेंदों में 31 रन बनाए
- असगर अफगान ने बीच टूर्नामेंट संन्यास लेने का खुलासा किया
Asghar Afghan cried after the match: अफगानिस्तान के पूर्व कप्तान असगर अफगान ने रविवार को नामीबिया के खिलाफ अपने करियर का आखिरी अंतरराष्ट्रीय मुकाबला खेला। टी20 वर्ल्ड कप के सुपर 12 राउंड मुकाबले में अफगान ने 23 गेंदों में तीन चौके और एक छक्के की मदद से 31 रन बनाए। असगर अफगान का आखिरी मुकाबला यादगार रहा। उन्हें नामीबिया के खिलाड़ियों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। नामीबिया के कप्तान ने असगर अफगान को पारी शुरू करने से पहले शुभकामनाएं दी।
मैदान में मौजूद अफगानी दर्शकों ने अपने पूर्व कप्तान को सैल्यूट करके विदाई ली। जब असगर की पारी समाप्त हुई और वह ड्रेसिंग रूम की तरफ लौट रहे थे तो अफगानिस्तान के सभी खिलाड़ियों ने बैट से आर्क बनाया और अपने पूर्व कप्तान को भावुक विदाई दी। असगर अफगान खुद मैच के बाद अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर सके और उनके आंसू निकल आए।
संन्यास की क्या है वजह
असगर अफगान ने बताया कि वो युवाओं को मौका देने के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले रहे हैं। उन्होंने कहा, 'ज्यादातर लोग मुझसे पूछ रहे हैं कि मैं संन्यास क्यों ले रहा हूं। यह कुछ ऐसा है, जिसे मैं स्पष्ट नहीं कर सकता हूं। पिछले मैच में हमें पाकिस्तान के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा था, जिससे निराशा हुई और मैंने संन्यास का फैसला किया।'
याद हो कि अफगानिस्तान को अपने आखिरी मुकाबले में पाकिस्तान के हाथों शिकस्त मिली थी। इस मैच में पाकिस्तान के बल्लेबाज आसिफ अली चमके थे, जिन्होंने चार छक्के जड़कर टीम को जीत दिलाई थी। पता हो कि असगर अफगान 75 टी20 इंटरनेशनल मैचों के अनुभवी हैं, जिसमें उन्होंने 21.56 की औसत से 1358 रन बनाए। वहीं 114 वनडे में उन्होंने 24.73 की औसत से 2424 रन बनाए। इसके अलावा असगर अफगान ने 6 टेस्ट खेले हैं, जिसमें 44 की औसत से 440 रन बनाए।
असगर अफगानिस्तान ने 59 वनडे और 52 टी20 इंटरनेशनल मैचों में अफगानिस्तान की कमान संभाली। अफगानिस्तान के लिए असगर अफगान ने जिन 52 टी20 इंअटरनेशनल मैचों में कप्तानी की और 40 जीत हासिक की। वहीं पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व वाली टीम ने 41 मैचों में 26 जीत दर्ज की है। ध्यान दिला दें कि अफगान क्रिकेट बोर्ड ने तीनों प्रारूपों के लिए अलग-अलग कप्तान बनाने के कारण अफगान को कप्तानी से हटा दिया था।