- अक्षर पटेल को इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट में डेब्यू का मौका मिला
- अक्षर पटेल टेस्ट क्रिकेट में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले 302वें क्रिकेटर बने
- अक्षर पटेल को टेस्ट डेब्यू कैप कप्तान विराट कोहली ने सौंपी
चेन्नई: टीम इंडिया ने शनिवार को इंग्लैंड के खिलाफ चार मैचों की सीरीज के दूसरे टेस्ट में बाएं हाथ के स्पिन ऑलराउंडर अक्षर पटेल को डेब्यू का मौका दिया। अक्षर पटेल 302वें भारतीय टेस्ट क्रिकेटर बने। पटेल को भारतीय कप्तान विराट कोहली ने टेस्ट कैप सौंपी। 27 साल के अक्षर पटेल ने इससे पहले 38 वनडे और 11 टी20 इंटरनेशनल में राष्ट्रीय टीम का प्रतिनिधित्व किया है। गुजरात के ऑलराउंडर को पहले ही टेस्ट में मौका मिलने वाला था, लेकिन वह चोटिल होने के कारण बाहर हो गए थे। अब अक्षर पटेल के टेस्ट क्रिकेट खेलने का सपना सच हो रहा है। अक्षर पटेल के क्रिकेटर बनने की कहानी बेहद रोचक है, जो हर क्रिकेट फैन जरूर जानना चाहेगा।
आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे अक्षर पटेल ने विपरीत परिस्थितियों से खुद को उबारा टेस्ट क्रिकेटर बनने तक का सफर तय किया। अक्षर पटेल स्कूल में 9वीं क्लास तक पढ़ाई में काफी अच्छे थे। वह अपनी क्लास में टॉप करते थे और तब तब उन्होंने कभी क्रिकेटर बनने के बारे में नहीं सोचा था। हालांकि, अक्षर पटेल काफी दुबले-पतले थे और यही चिंता उनके पिता को काफी सताती थी।
जिम में हुए शर्मसार
पिता राजेश पटेल को बेटे के दुबले-पतले होने की चिंता सताती थी। फिर पिता ने फैसला किया कि अक्षर को जिम भेजें ताकि उनकी हालत में कुछ सुधार हो। अक्षर पटेल को जिम जाना बिलकुल भी पसंद नहीं था। उन्होंने कुछ ही दिन में जिम से तौबा कर ली। इसका कारण यह था कि अक्षर पटेल काफी निराश होते थे क्योंकि उनमें इतना दम नहीं था कि डम्बल उठा पाएं। अक्षर पटेल की इस कारण काफी हंसी उड़ती थी।
जिम छोड़ने के बाद अपनी फिटनेस सुधारने के लिए अक्षर पटेल ने क्रिकेट खेलना शुरू किया, जो उनकी जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट भी साबित हुआ। अक्षर पटेल अच्छा क्रिकेट खेलते थे और यह उनके पिता राजेश को भा गया। इसके बाद पिता ने कोच से गुजारिश की थी कि अक्षर को अच्छी ट्रेनिंग मिले।
मजबूरी में की गेंदबाजी
अक्षर पटेल ने अपनी ऑलराउंड शैली से लोगों को काफी आकर्षित किया। जब अक्षर पटेल केवल 18 साल और एक महीने के थे, तभी उन्हें गुजरात रणजी टीम में मौका मिल गया था। अक्षर पटेल अंडर-19 के लिए एनसीए पहुंचे तो वहां उनसे कोच ने कहा कि यहां बल्लेबाज ज्यादा हैं और गेंदबाज कम। अक्षर ने तुरंत कोच को जवाब दिया कि वह बल्लेबाज के रूप में खेलना चाहते हैं जबकि पार्ट टाइम गेंदबाजी करते हैं। मगर कोच ने जोर देकर अक्षर पटेल को गेंदबाजी पर ध्यान लगाने को कहा। मजबूरी में अक्षर पटेल को गेंदबाजी करनी पड़ी। हालांकि, बाद में वह इसका आनंद उठाने लगे। अब वह एक सफल ऑलराउंडर के रूप में जाने जाते हैं। अक्षर पटेल ने आईपीएल के दौरान बताया था कि उन्होंने अपनी गेंदबाजी में मिश्रण कम किए, जिसका उन्हें भरपूर फायदा मिला।
गलत स्पेलिंग बनी नाम की पहचान
अक्षर पटेल अंग्रेजी में अपना नाम अलग तरह से लिखते हैं। वह AKSHAR के बजाय AXAR लिखते हैं। इसके पीछे भी एक रोचक कहानी है। दरअसल, स्कूल में प्रिंसिपल की गलती के कारण अक्षर के नाम की स्पेलिंग बदल गई, जो अब उनकी हमेशा के लिए पहचान बन गई है। अक्षर पटेल का अंडर-19 भारतीय टीम में चयन हुआ था, जिसे विश्व कप खेलने जाना था। तब अक्षर पटेल के पास पासपोर्ट नहीं था। पिता राजेश स्कूल में सर्टिफिकेट लेने गए और गलत नाम के साथ लौटे। पासपोर्ट विभाग ने स्कूल दस्तावेज पर लिखे नाम को कानूनी माना और यहां से अक्षर पटेल का नाम हमेशा के लिए AXAR हो गया। फैंस को उम्मीद होगी कि अक्षर पटेल अपने पहले टेस्ट में धमाका करें और रवींद्र जडेजा की जगह को अच्छी तरह भरे।