- साल 2017 में कुलदीप यादव ने धर्मशाला में किया था टेस्ट डेब्यू
- चार साल करियर में अबतक खेल पाए हैं कुल 6 टेस्ट
- आखिरी बार साल 2019 में सिडनी में आए थे सफेद जर्सी में नजर
नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट इन दिनों अपने सबसे स्वर्णिम दौर से गुजर रहा है। टीम इंडिया पूरी दुनिया में शानदार प्रदर्शन कर रही है और खिलाड़ी अपनी काबीलियत का लोहा मनवा रहे हैं। बीसीसीआई की एक बेहतरीन क्रिकेट स्ट्रक्चर विकसित करने के लिए तारीफ भी हो रही है लेकिन इसी दौरान कई खिलाड़ियों के करियर के साथ खिलवाड़ भी हो रहा है।
ऐसे ही एक खिलाड़ी हैं कुलदीप यादव। चाइनामैन स्पिनर कुलदीप का करियर बेहद उतार-चढ़ाव भरा रहा है। कुलदीप ने मार्च 2017 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ धर्मशाला मेंटेस्ट डेब्यू किया था। इसके बाद जुलाई 2017 में वेस्टइंडीज दौरे पर कुलदीप को वनडे और टी20 डेब्यू करने का भी मौका मिला। कुलदीप और चहल की जोड़ी ने सीमित ओवरों की क्रिकेट में मिलकर धमाल मचाया। और दोनों की जोड़ी कुलचा जोड़ी के रूप में प्रसिद्ध हो गई।
विश्वकप 2019 से पहले आई फॉर्म में गिरावट
कुलदीप को विश्वकप 2019 के लिए भारतीय टीम का सबसे बड़ा हथियार माना जा रहा था लेकिन उससे ठीक पहल आईपीएल में उनका प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। इसके बाद विश्व कप में खेले 7 मैच में वो केवल 6 विकेट हासिल कर सके। उसके बाद उन्हें वनडे और टी20 टीम में भी कम मौके मिलने लगे।
4 साल में मिले केवल 6 टेस्ट खेलने के मौके
टीम मैनेजमेंट ने कुलदीप के टेस्ट करियर को तो पूरी तरह दांव पर लगा दिया है। चार साल पहले डेब्यू करने के बाद से कुलदीप लगातार टेस्ट में बने हुए हैं लेकिन उन्हें अबतक केवल 6 टेस्ट मैच खेलने को मिले हैं जिसमें वो 24.12 के औसत से 24 विकेट लिए हैं। इन 6 में से 5 टेस्ट मैच उन्होंने भारत में और एक ऑस्ट्रेलिया में खेला है। विदेश में खेलने का एकलौता मौका उन्हें साल 2018-19 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर सिडनी में खेले गए न्यू ईयर टेस्ट में मिला था। लेकिन हालिया ऑस्ट्रेलिया दौरे पर नेट गेंदबाज के रूप में टीम में शामिल किए गए वॉशिंगटन सुंदर को डेब्यू करा दिया गया लेकिन कुलदीप वहां से बैरंग लौट आए।
घर पर भी शाहबाज नदीम को मिली वरीयता
ऐसा माना जा रहा था कि ऑस्ट्रेलिया दौरे पर मौका नहीं मिलने की भरपाई इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज में हो जाएगी। रवींद्र जडेजा के चोटिल होने के कारण वो आसानी से अंतिम एकादश में जगह बना पाने में कामयाब रहेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। टीम में अक्षर पटेल और शाहबाज नदीम को कुलदीप के साथ शामिल किया गया। मैच में खेलने के लिए अक्षर पटेल पहली पसंद थे लेकिन वो भी मैच के शुरू होने से कुछ घटों पहले चोटिल हो गए और शाहबाज नदीम को करियर का दूसरा टेस्ट मैच खेलने का मौका मिल गया और कुलदीप एक बार फिर बेंच पर बैठकर अगली बारी का इंतजार करने लगे।
चेन्नई में छाप नहीं छोड़ पाए नदीम
शाहबाज नदीम को पहले टेस्ट में मौका तो जरूर मिला लेकिन वो अपनी छाप छोड़ने में असफल साबित हुए। लेकिन दूसरे टेस्ट मैच से पहले अक्षर पटेल के एक बार फिर फिट होने की खबरों ने जोर पकड़ लिया है। ऐसे में कुलदीप को दूसरे टेस्ट में मौका मिलना मुश्किल नजर आ रहा है। कुलदीप के करियर का काल उनकी कमजोर बल्लेबाजी बनती जा रही है।
कुलदीप के लिए बल्लेबाजी बनी कमजोरी
विराट कोहली और कोच रवि शास्त्री बांए हाथ के ऐसे स्पिनर की तलाश कर रहे हैं जो बल्लेबाजी भी अच्छी करता हो और टीम में ऑलराउंडर की भूमिका अदा कर सके। ऐसे में वॉशिंगटन सुंदर अपनी अहमियत लगातार दो टेस्ट मैच में बल्ले से साबित कर चुके हैं लेकिन गेंदबाजी में उनका हाथ कमजोर ही नजर आया है। कुलदीप जैसे एक विशिष्ट शैली के गेंदबाज के लिए बल्लेबाजी में अचानक सुधार कर पाना मुश्किल नजर आ रहा है। पहले स्पिनर के रूप में आर अश्निन को दरकिनार कर पाना कुलदीप के लिए मुश्किल रहा है।
कुलदीप के कोच ने उठाए सवाल
कुलदीप के बचपन के कोच कोच कपिल पांडे ने टीम के टीम मैनेजमेंट से उन्हें टीम में शामिल नहीं करने का कारण पूछा है। उन्होंने कहा है कि कुलदीप के साथ नाइंसाफी हो रही है। टीम से बाहर रहने वाले और अधूरी तैयारी वाले खिलाड़ियों को लगातार मौके दिए जा रहे हैं लेकिन कुलदीप के साथ ऐसा नहीं हो रहा है। कुलदीप के साथ नाजायज बर्ताव हो रहा है।
मैच विनर साबित हो सकते हैं कुलदीप
शास्त्री और विराट की जोड़ी इस बात को नजर अंदाज नहीं करना चाहिए कि दुनिया के मुरलीधरन, ग्लेन मैक्ग्रा, एलन डोनाल्ड जैसे दिग्गज गेंदबाज बल्लेबाजी में तो कमजोर थे लेकिन बतौर ये सभी खिलाड़ी मैच विनर। ऐसा ही कुलदीप के साथ भी हो सकता लेकिन इसके लिए उन्हें पर्याप्त अनुभव की जरूरत होगी। उम्र के 26 बसंत पार कर चुके कुलदीप अपनी बारी का इंतजार बेंच पर बैठकर करते रहेंगे तो ये किसी भी लिहाज से ठीक नहीं है। उन्हें मैच प्रैक्टिस भी देनी होगी जिससे कि वो अनुभव हासिल कर सकें। लगातार नेट बॉलर के रूप में उन्हें टीम के साथ रखे जाने से उनका आत्मविश्वास लगातार कमजोर पड़ता जा रहा है। अगर उनके जैसे खिलाड़ी को सहेज कर नहीं रखा गया तो हम एक सितारे को अपनी चमक बिखेरने से पहले ही अस्त होता देखेंगें।