- साल 2012 में डेक्कन चार्जर्स की टीम को अचानक कर दिया गया था आईपीएल से बाहर
- टीम के मालिकों ने बॉम्बे हाइकोर्ट में की थी आईपीएल गवर्निंग काउंसिल के फैसले के खिलाफ अपील
- 2012 में कोर्ट द्वारा नियुक्त मध्यस्थ ने डेक्कन चार्जर्स के पक्ष में सुनाया है फैसला
हैदराबाद( 17 जुलाई 2020): सौरव गांगुली की अध्यक्षता वाले बीसीसीआई को कोराना वायरस के कहर के बीच तगड़ा झटका लगा है। दुनिया के सबसे धनी क्रिकेट बोर्ड के ऊपर 'कंगाली में आटा गीला' कहावत चरितार्थ होती दिख रही है। कोरोना वायरस के कहर के कारण बीसीसीआई को केवल आईपीएल का आयोजन नहीं हो पाने से तकरीबन चार हजार करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में आईपीएल की पूर्व टीम डेकेन्न क्रॉनिकल को गैरकानूनी रूप से बाहर करने के मामले में 4800 करोड़ रुपये अदा करने का फैसला सुनाया है। जो कि बोर्ड के लिए संकट की इस घड़ी में झटके से कम नहीं है।
4800 करोड़ का करना होगा भुगतान
आईपीएल की शुरुआती टीमों में शामिल डेक्कन चार्जर्स टीम को गैरकानूनी रूप से टूर्नामेंट से बाहर किए जाने के एवज में 4800 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ेगा। बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त किए गए मध्यस्थ ने डेकन्न चार्जर्स के पक्ष में फैसला सुनाया है। इस टीम ने साल 2009 में दक्षिण अफ्रीका में आयोजित आईपीएल के दूसरे संस्करण का खिताब इस टीम ने एडम गिलक्रिस्ट की कप्तानी में जीता था। 2008 से 2012 के बीच ये टीम आईपीएल का हिस्सा रही थी।
8 साल पुराना है मामला
15 सितंबर 2012 में आईपीएल गवर्निंग काउंसिल की आपात बैठक के बाद डेक्कन क्रॉनिकल को इंडियन प्रीमियर लीग से बाहर करने की घोषणा की थी। हैदराबाद स्थित मीडिया समूह डेक्कन क्रॉनिकल होल्डिंग्स( DCHL)ने खुद को अवैध रूप से आईपीएल से बाहर किए जाने के फैसले को बॉम्बे हाइकोर्ट में चुनौती दी थी। इसके बाद बोर्ड ने हैदराबाद की टीम के नए सिरे से चुनाव के लिए टेंडर निकाला था इस बार बाजी कलानिधि मारन के स्वामित्व वाले सन टीवी नेटवर्क के हाथ लगी और सनराइजर्स हैदराबाद नाम की नई टीम अस्तित्व में आ गई।
ऐसे में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज सीके ठक्कर को साल 2012 में दोनों पक्षों के बीच सुलह के लिए मध्यस्थ नियुक्त किया था। आठ साल बाद 17 जुलाई 2020 को उन्होंने डेक्कन चार्जर्स टीम के मालिकों के पक्ष में फैसला सुनाया है।