- भरत अरुण ने बताया कि भारतीय टीम को 6-8 सप्ताह के शिविर की जरुरत पड़ेगी
- अरुण ने कहा कि खिलाड़ी के लिए घर में बैठने से निराशाजनक और कुछ नहीं हो सकता
- चार चीजें रनिंग, स्ट्रेंथ, यो-यो और एंड्यूरेंस से खिलाड़ियों को रखा जाएगा फिट
मुंबई: पेशेखर खिलाड़ी रेस के घोड़े की तरह है। आप कितने लंबे समय तक रेस के घोड़े को बांधकर रखोगे? घोड़े को दौड़ा है क्योंकि उसे सिर्फ यही चीज पता है। भारतीय टीम के गेंदबाजी कोच भरत अरुण का यही मानना है। यही चीज पेशेवर एथलीट पर लागू होती है जब वो अपने चरम पर होता है। वो सिर्फ खेलना चाहता है। अरुण ने कहा कि देशव्यापी लॉकडाउन के बाद जब चीजें पटरी पर लौटेंगी तो भारतीय क्रिकेटरों के सामने यही सबसे बड़ी चुनौती होगी।
रवि शास्त्री के शब्दों में कहा जाए तो सिर्फ क्रिकेटर्स या खिलाड़ी ही इस दौर से नहीं गुजर रहे बल्कि पूरा देश इस समय लॉकडाउन में है। जल्द ही मैदान पर लौटकर ट्रेनिंग शुरू करना और शैली आधारित गतिविधि करने पर भारतीय टीम का ध्यान होगा। तब तक सबसे बड़ी चुनौती घर में रहकर काम करने पर है।
अरुण ने कहा, 'पेशेवर खिलाड़ी के लिए घर में बैठकर कुछ नहीं करना काफी निराशाजनक है। अपनी ऊर्जा का उपयोगी नहीं कर पाना श्राप जैसा है। यह बोरिंग हो सकता है या फिर बेहद खराब। मगर कोई विकल्प नहीं और इसलिए यह ऐसी चुनौती है, जिस पर सभी को ध्यान देना है।' अच्छी बात यह है कि कोच का कोर ग्रुप पिछले कुछ सालों से फिटनेस में है और इससे ट्रेनिंग का कार्यक्रम बनाने में मदद मिलेगी।
अरुण ने कहा, 'मौजूदा स्थिति में भारतीय टीम को ऐसे कार्यक्रम की जरूरत है, जिसे हमारे ट्रेनर निक वेब और फिजियोथैरेपिस्ट ने शानदार काम करके बनाया है।' वेब ने अरुण को बताया कि खिलाड़ियों के फिटनेस कार्यक्रम को बढ़ाने के लिए रूटीन तैयार कर लिया गया है। इसके लिए चार चीजों- रनिंग, स्ट्रेंथ, यो-यो और एंड्यूरेंस पर को आजमाया जाएगा। इससे इनकी फिटनेस में सुधार होगा।
छह से आठ सप्ताह
जब भी खिलाड़ी मैदान में लौटेंगे तो कार्यभार पहले की तुलना में काफी ज्यादा होगा। अगर उन्हें इसमें खरा उतरना है तो घर में रहते हुए फिटनेस के कई काम करने होंगे। टीम प्रबंधन ने पता किया है कि क्रिकेटर्स को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने से पहले छह से आठ सप्ताह का ट्रेनिंग और शैली आधारित कार्यक्रम करने की जरूरत है।
अरुण ने कहा, 'चाहे जो भी हुआ हो। इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने से पहले हमारी प्राथमिकता है कि खिलाड़ी अच्छे आकार में हो। मैच-टाइम, प्रैक्टिस गेम्स, घरेलू क्रिकेट में हिस्सेदारी ऐसे महत्वपूर्ण कार्य होंगे, जो क्रिकेटर्स को लय में लौटने के लिए मदद करेंगे। इस पर दुनिया की लगभग टीम का ध्यान होगा। हर क्रिकेटर भाग्यशाली नहीं कि खुली जगह में रह रहा हो। कुछ लोग अपार्टमेंट में बंद हैं। कुछ लोग महज जिम के कुछ उपकरणों के साथ बंद हैं। फिर मोहम्मद शमी जैसे लोग तो कुछ ज्यादा ही भाग्यशाली हैं।'
शमी क्यों? तेज गेंदबाज ने लॉकडाउन से पहले अपने गांव लौटने का फैसला किया। वहां खुली जगह पर शमी दौड़, तैराकी, गेंदबाजी और अभ्यास कर रहे हैं। अरुण ने कहा, 'वो मुझे वीडियो भेजता है। मैं उससे बात करता हूं, उसको प्रोत्साहित करता हूं। मैंने कहा- तू बस ऐसे ही प्रैक्टिस करते रह। तेरा एक, दो साल और करियर में जुड़ जाएगा।'
मोहम्मद अली के शब्द करते हैं काम
मोहम्मद अली के शब्द हमेशा कानों में गूंजते हैं जब अरुण लड़कों से बात कर रहे होते हैं। अली ने कहा था, 'मुझे हर मिनट ट्रेनिंग करने से नफरत है। मगर मैंने कहा- छोड़ना नहीं। अभी झेलो। और अपनी पूरी जिंदगी चैंपियन के तौर पर बिताओ।' महान शब्द- जो कोच अपने लड़कों से जरूर साझा करते हैं। अरुण ने कहा, 'यह ऐसी चुनौती है, जिसे मौके के रूप में देखना चाहिए। यह दुर्लभ विंडो है क्योंकि पेशेवर करियर में दोबारा कभी शायद ऐसा समय उपलब्ध हो। फिटनेस- शारीरिक और मानसिक पर काम करने में काफी समय है। जरूरी है कि आप प्रोत्साहित रहे। जब समय आएगा तो पूरे जोश के साथ मैदान में लौटे।'