नई दिल्ली: तेज गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार ने अपने वनडे करियर की पहले गेंद पर जबरदस्त इनस्विंग बॉल के जरिए पाकिस्तान के मोहम्मद हफीज को बोल्ड कर तहलका मचा दिया था। उनकी यह गेंद ऑफ स्टंप के बाहर से विकेटों में घुसी थी। साल 2012 में दर्शक यह गेंद देखकर भौंचक्के रह गए थे। भुवनेश्वर डेब्यू वनडे में की गई शानदार गेंदबाजी की बदौलत जल्द ही देश में घर-घर में पहचाने लगे। तब से भुवी ने खुद को कई साबित किया और उनकी इनस्विंगर ने भारत को कई मुकाबले जीतने में अहम भूमिका निभाई।
हालांकि, भुवी के करियर में एक दौर ऐसा भी आया जब गेंद पुरानी हो जाने के बाद बल्लेबाजों ने गति कम होने की वजह से जमकर रन बनाए। उन्होंने कई मैचों में काफी रन लुटाए जिसके बाद उन्हें कुछ समय के लिए दरकिनार कर दिया गया। लंबे अरसे बाद 28 वर्षीय इस तेज गेंदबाज ने अपनी गति को लेकर एक अहम खुलासा किया है। भुवनेश्वर ने हाल ही में बताया कि उन्होंने अपना ध्यान गति बढ़ाने पर इसलिए लगाया अंतिम ओवरों में बल्लेबाजों का सामना करने में मदद मिल सके।
'मैं इसका अभ्यस्त हो गया था'
क्रिकबज के साथ बातचीत में भुवी ने बताया, 'जब मैं आया तो मैं गेंद को स्विंग करवा सकता था क्योंकि मैंने लाल एसजी गेंद के साथ रणजी ट्रॉफी खेली थी। यह गेंद स्विंग करने की अपनी खासियत के लिए जाना जाती है, इसलिए मैं इसका अभ्यस्त हो गया था।' पहला साल बहुत अच्छा रहा क्योंकि मेरी स्विंग ने मुझे काफी विकेट दिलाए। लेकिन मेरे पास बहुत अधिक गति नहीं थी, इसलिए बल्लेबाज आसानी से खेलने में सक्षम थे। फिर मेरी गेंदों पर रन बनना शुरू हो गए।'
'अनजाने में ही मेरी गति बढ़ गई'
उन्होंने कहा, 'एक स्तर पर आपको लगता है कि आपको कुछ बदलाव करने की जरूरत है। लगा कि मुझे भी अपनी गति बढ़ाने की आवश्यकता है। मेरी गेंदबाजी में वो लय नहीं है और चीजें अच्छे से नहीं हो रही हैं। इसके बाद मैंने ट्रेनिंग शुरू कर दी जिससे मुझे मदद मिली। अनजाने में ही मेरी गति बढ़ गई।' बता दें कि इनस्विंगर्स के लिए मशहूर भुवी ने अपने आपको दोबारा परिभाषित किया। उन्होंने आउटगोइंग डिलेवरी के साथ-साथ गेंदबाज में विविधता का भरपूर इस्तेमाल किया जिससे बल्लेबाजों को अनुमान लगाने में मुश्किल आने लगी।
'दो सीरीज में काफी संघर्ष किया'
भुवी ने आगे कहा, 'मैंने एक या दो सीरीज में काफी संघर्ष किया क्योंकि मुझे उस गति से गेंदबाजी करने की आदत नहीं थी। इसीलिए गेंद भी स्विंग नहीं कर रही थी। क्योंकि मुझे इसकी आदत नहीं थी तो शरीर को भी एक अतिरिक्त भार महसूस होता था। मुझे भुवी कुछ चोटों से भी जूझना पड़ा। लेकिव बाद में मैंने चीजों को आंकना शुरू कर दिया कि क्या हो रहा है और मैं इससे कैसे वापस आ सकता हूं।'