- ज्योफ ग्रिफिन का जन्मदिन - 11 जून
- दक्षिण अफ्रीका के पूर्व शानदार ऑलराउंडर थे ज्योफ ग्रिफिन
- बचपन की एक घटना ने खत्म कर दिया अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर
कुछ लोग ऐसे होते हैं कि वो जिस क्षेत्र में उतरते हैं, वहां सफलताएं हासिल करने लगते हैं। दक्षिण अफ्रीका के पूर्व क्रिकेटर ज्योफ ग्रिफिन भी ऐसे ही एक खिलाड़ी थे जिन्होंने सिर्फ क्रिकेट में ही अपना दम नहीं दिखाया, बल्कि वो एथलेटिक्स में हाई जम्प, ट्रिपल जम्प और पोल वॉल्ट में भी मेडल जीत चुके थे। सिर्फ यही नहीं उन्होंने रग्बी भी खेला और अपने राज्य की युवा टीम का हिस्सा भी रहे। तमाम खेलों में उन्हें सबसे प्रिय क्रिकेट था और यहां उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने का गौरव भी हासिल किया। लेकिन उसके बाद कुछ ऐसा विवाद हुआ जिसने सब कुछ बर्बाद कर दिया।
कौन थे ज्योफ ग्रिफिन?
दक्षिण अफ्रीका के ग्रेटाउन में आज ही के दिन (12 जून 1939) जन्मे ज्योफ ग्रिफिन कई प्रतिभाओं में माहिर थे लेकिन क्रिकेट में करियर को बढ़ाने का फैसला लिया। स्कूल के बाद अपने राज्य की टीम से खेलना शुरू किया। आलम ये था कि अपनी गेंदबाजी के दम पर वो हर मैच में कुछ ना कुछ रिकॉर्ड बनाते जा रहे थे। आखिरकार जब वो 20 साल के हुए, उनको राष्ट्रीय टीम में जगह मिल गई और उस समय में दक्षिण अफ्रीका के लिए डेब्यू करने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी थे।
वो एतिहासिक रिकॉर्ड
ज्योफ ग्रिफिन जब 1960 में क्रिकेट के सबसे प्रतिष्ठित मैदान 'लॉर्ड्स' में इंग्लैंड के खिलाफ खेलने उतरे तब शायद किसी को भी अंदाजा नहीं था कि ये खिलाड़ी क्या करने वाला था। उन्होंने इस मैच में दिग्गज इंग्लिश टीम के खिलाफ हैट्रिक ले डाली। वो दक्षिण अफ्रीका के लिए टेस्ट हैट्रिक लेने वाले एकमात्र क्रिकेटर बन गए। यही नहीं, वो लॉर्ड्स के मैदान पर हैट्रिक लेने वाले दुनिया के पहले एक एकमात्र क्रिकेटर भी बने। उनका वो रिकॉर्ड आज तक कायम है।
वो विवाद जो बन गया चर्चा का विषय
जिस मैच में ज्योफ ग्रिफिन ने हैट्रिक ली थी, उसी मैच में उनकी गेंदबाजी के दौरान 11 बार नो-बॉल दी गई। इस मैच के बाद एक प्रदर्शनी मैच में भी बार-बार उनकी गेंदबाजी के दौरान अंपायर ने नो-बॉल दी। लेकिन ये नो-बॉल क्रीज के आगे पैर जाने या फिर बल्लेबाजी की कमर से ऊपर हवा में गेंद फेंकने के लिए नहीं था। बल्कि ये नो-बॉल थीं 'थ्रोइंग' (Throwing) के लिए। उनके हाथ में जर्क था और गेंदबाजी के दौरान सबको ये प्रतीत होने लगा कि उनका एक्शन नियमों के हिसाब से नहीं है।
बचपन में हुई घटना थी वजह, करियर हुआ ध्वस्त
ये काफी चौंकाने वाली बात थी कि इंग्लैंड के जिस दौरे पर उन्होंने लॉर्ड्स के मैदान पर हैट्रिक ली थी, वही उनके अंतरराष्ट्रीय करियर की आखिरी सीरीज साबित हुई। उसके बाद उनको कभी भी टीम में शामिल नहीं किया गया और वजह वही थी- थ्रोइंग। अब सवाल था कि आखिर वो अपना एक्शन क्यों नहीं सुधार पा रहे थे, तमाम चेतावनी के बाद भी वो अपना करियर क्यों नहीं बचा पाए? दरअसल, ग्रिफिन जब स्कूल में पढ़ते थे तब एक दुर्घटना में वो गंभीर रूप से चोटिल हो गए थे। उस दुर्घटना से उनका हाथ और खासकर कोहनी ज्यादा प्रभावित हुई जिस वजह से उनका हाथ गेंदबाजी एक्शन का सही एंगल कभी नहीं पकड़ सका और इसी वजह से उनका अंतरराष्ट्रीय करियर समाप्त हो गया।
डिनर के दौरान हुआ निधन
लॉर्ड्स टेस्ट में इंग्लैंड के खिलाफ हैट्रिक लेकर इतिहास रचने वाले ग्रिफिन का वो दूसरा और आखिरी टेस्ट मैच था। उन्होंने अपने टेस्ट करियर के 2 टेस्ट मैचों में 8 विकेट लिए। जबकि 42 प्रथम श्रेणी क्रिकेट मैचों में ग्रिफिन ने 108 विकेट झटके। ग्रिफिन का 16 नवंबर 2006 को 67 वर्ष की आयु में निधन हो गया, जब वो अपने स्कूल डरबन हाई द्वारा आयोजित एक डिनर में हिस्सा लेने के लिए मौजूद थे।