- करियर के पहले ही टेस्ट मैच में मैलकम मार्शल को गलत तरीके से आउट दिया गया था
- भारतीय बल्लेबाज दिलीप वेंगसरकर ने मार्शल का कैच लपका था, पर गेंद बल्ले से नहीं लगी थी
- विंडीज दौरे पर वेंगसरकर को मार्शल ने कई बाउंसर फेंकी थी
वेस्टइंडीज केे पूर्व तेज गेंदबाज मैलकम मार्शल को दुनिया के सबसे घातक तेज गेंदबाजों में शुमार किया जाता है। 1983 से 1991 तक पूरी दुनिया में मार्शल की तूफानी गेंदों का विपक्षी टीमों के बल्लेबाजों में खौफ रहा। खासतौर पर जब वह भारतीय बल्लेबाज दिलीप वेंगसरकर के सामने गेंदबाजी के लिए आते थे, तो उनकी गेंदों की रफ्तार देखते ही बनती थी। इसका कारण था, वेंसगरकर के साथ उनकी दुश्मनी।
करियर के पहले टेस्ट में रहा बुरा अनुभव
मार्शल ने अपने टेस्ट करियर की शुरुआत 1978 में बैंगलोर से की थी, लेकिन यह मैच उनके करियर के सबसे बुरे अनुभव में से एक रहा। इस पूरे वाकये के बारे में मार्शल ने खुद अपनी ऑटोबायोग्राफ़ी 'मार्शल आर्ट्स' में लिखा है। उन्होंने कहा, मुझे बल्लेबाजी करने का भी काफी शौक था लेकिन मेरे पहले टेस्ट पारी का अनुभव बेहद ही खराब रहा। मझे गलत तरीके से आउट दिया गया और जब मैं पवेलियन लौट रहा था तो मेरी आंखों में आंसू थे। मैं उस पल और उन खिलाड़ियों को कभी नहीं भूल पाऊंगा, जो मुझे गलत तरीके से आउट देने में शामिल थे।
वेंगसरकर ने पकड़ा था वो कैच
मार्शल ने विस्तार से लिखते हुए कहा, मैं मैच के दूसरे दिन बल्लेबाजी करने के लिए उतरा था। स्पिनर चंद्रशेखर की गेंद को मैंने रक्षात्मक तरीके से खेला। गेंद पैड से लगी और वेंगसकर ने कैच की अपील की। लेकिन अंपायर ने मुझे आउट नहीं दिया। एक-दो गेंद बाद गेंद फिर पैड से लगी और वेंगसरकर ने फिर कैच लपक लिया और आउट की अपील करने लगे और इस बार अंपायर ने मुझे आउट दे दिया। यह देखकर मुझे अंचभा हुआ और गुस्सा भी आय़ा। मैं इस बेईमानी के लिए वेंगसरकर को जिम्मेदार मान रहा था।
इस तरह लिया विंडीज पेसर ने बदला
इस वाकये के चार साल बाद 1982-83 में भारतीय टीम विंडीज दौरे पर गई। उस टीम में वेंगसरकर भी थे और मार्शल के पास अब उनसे बदला लेने का अच्छा मौका था। वेंगसकर के लिए बल्ले से यह दौरा अच्छा नहीं जा रहा था। लेकिन एक टेस्ट में वह शतक के करीब पहुंच गए। मार्शल ने लिखा, सेंट जोंस एंटीगा में खेले गए इस मैच में वेंगसरकर 81 रन तक पहुंच गए। मैंने सोच लिया था कि चाहे कुछ भी हो जाए, लेकिन मैं उन्हें शतक नहीं बनाने दूंगा। मैंने उनके ऊपर बाउंसरों की बौछार कर दी। मेरी एक बाउंसर उनके हेलमेट पर भी लगी। आखिर में तंग आकर वेंगसरकर ने मेरी एक बाउंसर पर हुक शॉट खेला और बाउंड्री पर लपके गए। इस तरह मैंने उन्हें शतक नहीं बनाने दिया। मार्शल का 4 नवंबर 1994 में कैंसर से निधन हो गया था।