- मध्यप्रदेश ने क्रिकेट इतिहास में पहली बार रणजी ट्रॉफी खिताब जीता
- मध्यप्रदेश ने फाइनल मुकाबले में 41 बार की चैंपियन मुंबई को 6 विकेट से मात दी
- मध्यप्रदेश की जीत का बड़ा श्रेय कोच चंद्रकांत पंडित को दिया जा रहा है
बेंगलुरु: मध्यप्रदेश ने रविवार को 41 बार की चैंपियन मुंबई को फाइनल में 6 विकेट से हराकर इतिहास रचते पहली बार रणजी ट्रॉफी खिताब जीता। मध्यप्रदेश ने बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम पर अंतिम दिन 108 रन के लक्ष्य को 4 विकेट खोकर हासिल कर लिया। यह मध्यप्रदेश क्रिकेट इतिहास का स्वर्णिम दिन है, जिसने पहली बार रणजी ट्रॉफी चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। आदित्य श्रीवास्तव के नेतृत्व वाली मध्यप्रदेश की टीम की सफलता का श्रेय कोच चंद्रकांत पंडित को दिया जा रहा है।
मध्यप्रदेश के लिए यह ऐतिहासिक दिन है। बता दें कि मुंबई ने रणजी ट्रॉफी 2022 फाइनल में टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया था। मुंबई की पहली पारी 374 रन पर ऑलआउट हुई थी। इसके जवाब में मध्यप्रदेश ने पहली पारी में 536 रन बनाए और पहली पारी के आधार पर 162 रन की बढ़त हासिल की। चौथे दिन मुंबई ने तेजी से खेलकर आउटराइट जीत दर्ज करने की कोशिश की, लेकिन उसकी दूसरी पारी 269 रन पर सिमट गई। इस तरह मध्यप्रदेश को जीत के लिए 108 रन का लक्ष्य मिला, जिसे उसने 29.5 ओवर में चार विकेट खोकर हासिल कर लिया।
बता दें कि 23 साल पहले यानी 1998-99 में मध्यप्रदेश की टीम रणजी ट्रॉफी फाइनल में पहुंची थी। तब टीम के कप्तान चंद्रकांत पंडित ही थे। मगर तब मध्यप्रदेश को कर्नाटक के हाथों शिकस्त झेलनी पड़ी थी। मध्यप्रदेश ने 69 साल पहले अपने पुराने अवतार होल्कर के रूप में आखिरी बार रणजी ट्रॉफी खिताब जीता था। अब मध्यप्रदेश के रणजी ट्रॉफी खिताब का सूखा समाप्त हुआ और पहली बार वह चैंपियन बनी। मध्यप्रदेश रणजी ट्रॉफी खिताब जीतने वाली 20वीं टीम बनी। अब तक केवल आठ टीमों ने एक बार रणजी ट्रॉफी खिताब जीता है। वहीं 12 अन्य टीमों ने कई बार रणजी ट्रॉफी खिताब जीते हैं।
मुंबई की पारी का हाल
पांचवें दिन चायकाल से पहले मध्यप्रदेश ने जीत पर मुहर लगाई जब रजत पाटीदार ने सरफराज खान की गेंद पर एक रन लिया। बता दें कि मुंबई ने आखिरी दिन अपनी पारी 113/2 के स्कोर से आगे बढ़ाई। अरमान जाफर अपने कल के स्कोर में पांच रन जोड़कर गौरव यादव की गेंद पर क्लीन बोल्ड होकर पवेलियन लौट गए। सुवेद पारकर (51) ने अपना अर्धशतक पूरा किया और सरफराज खान (45) के साथ चौथे विकेट के लिए 53 रन की साझेदारी की। कार्तिकेय ने पारकर को क्लीन बोल्ड करके इस साझेदारी को तोड़ा।
इसके बाद मुंबई को जल्दी-जल्दी झटके लगे। यशस्वी जायसवाल को कार्तिकेय ने मंत्री के हाथों कैच आउट कराकर मुंबई को पांचवां झटका दिया। शम्स मुलानी (17) को सारांश जैन ने रनआउट किया। पार्थ सहानी ने सरफराज को अर्धशतक जमाने से रोका और अग्रवाल के हाथों कैच आउट कराया। मध्यप्रदेश की तरफ से कुमार कार्तिकेय ने सबसे ज्यादा चार विकेट लिए। गौरव यादव और पार्थ साहनी को दो-दो विकेट मिले।
मध्यप्रदेश बना चैंपियन
मध्यप्रदेश को जीत के लिए 108 रन बनाने थे और उसके पास 50 से ज्यादा ओवर थे। लक्ष्य का पीछा करने उतरी मध्यप्रदेश की शुरुआत धवल कुलकर्णी ने बिगाड़ी। कुलकर्णी ने दूसरे ओवर में पहली पारी के शतकवीर यश दुबे (1) को क्लीन बोल्ड कर दिया। फिर हिमांशु मंत्री (37) और शुभम शर्मा (30) ने दूसरे विकेट के लिए 52 रन की साझेदारी की। शम्स मुलानी ने मंत्री को बोल्ड करके इस साझेदारी को तोड़ा। पार्थ साहनी (5) को मुलानी ने कोटियन के हाथों कैच आउट कराकर अपना दूसरा शिकार किया।
शुभम शर्मा ने फिर रजत पाटीदार (30*) के साथ चौथे विकेट के लिए 35 रन की साझेदारी करके मध्यप्रदेश को 100 रन के पार पहुंचाया। मुलानी ने शुभम शर्मा को अरमान जाफर के हाथों कैच आउट कराया। फिर रजत पाटीदार ने विजयी शॉट जमाकर मध्यप्रदेश खेमे में खुशियां बिखेर दी। पाटीदार के साथ कप्तान आदित्य श्रीवास्तव (1*) नाबाद लौटे। मुंबई की तरफ से शम्स मुलानी ने तीन जबकि धवल कुलकर्णी को एक विकेट मिला।
छोटे शहरों में फैल रहा क्रिकेट
वर्ष 2010 के बाद से रणजी ट्रॉफी में कुछ सत्र कर्नाटक का दबदबा रहा, लेकिन इसके बाद सिर्फ मुंबई ही एक खिताब जीत पाई जबकि अधिकांश खिताब राजस्थान (दो), विदर्भ (दो), सौराष्ट्र (एक) और मध्य प्रदेश (एक) जैसी टीम ने जीते जिन्हें घरेलू क्रिकेट में कमजोर माना जाता था।
यह दर्शाता है कि मुंबई के शिवाजी पार्क, आजाद मैदान या क्रॉस मैदान, दिल्ली और बेंगलुरू या कोलकाता से क्रिकेट अब छोटे शहरों में भी फैल रहा है।
रणजी ट्रॉफी जब शुरू हुई तो मध्य प्रदेश की टीम बनी भी नीं थी और तब ब्रिटिश युग के राज्य होलकर ने देश के कई दिग्गज क्रिकेटर दिए जिसमें करिश्माई मुशताक अली और भारतीय क्रिकेट टीम के पहले कप्तान सीके नायुडू भी शामिल रहे।
होलकर 1950 के दशक तक मजबूत टीम थी जिसे बाद में मध्य भारत और फिर मध्य प्रदेश नाम दिया गया। मध्य प्रदेश ने इसके बाद कई अच्छे क्रिकेटर तैयार किए जिसमें स्पिनर नरेंद्र हिरवानी और राजेश चौहान भी शामिल रहे जिनका अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट छोटा लेकिन प्रभावी रहा। अमय खुरसिया ने भी काफी सफलता हासिल की। मध्यक्रम के बल्लेबाज देवेंद्र बुंदेला दुर्भाग्यशाली रहे क्योंकि वह 1990 और 2000 के दशक में उस समय खेले जब मध्य क्रम में सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण जैसे दिग्गज खेल रहे थे।