- कोरोना के कारण दुनियाभर में क्रिकेट की प्रतियोगिताओं पर लग गया है विराम
- प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सालों नहीं खेला जा सका अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट
- प्रथम विश्व युद्ध के दौरान तकरीबन 6 साल और दूसरे विश्व युद्ध में 7 साल रही मैदान पर खामोशी
नई दिल्ली: चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ कोरोना वायरस का कहर पूरी दुनिया में फैल चुका है। क्या आम, क्या खास, हर किसी को इस जानलेवा बीमारी की जद में आने का डर सता रहा है। स्थिति धीरे-धीरे इतनी भयावह होती गई कि विश्व स्वास्थ्य संगठन( WHO) को इसे महामारी घोषित करना पड़ा। ऐसे में खेल जगत इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। यहां तक कि टोक्यो में जुलाई-अगस्त में होने वाले ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों को भी रद्द किए जाने की आशंका जताई जा रही है। एक-एक करके दुनियाभर की कई खेल प्रतियोगिताओं को रद्द करने का फैसला किया गया। हालांकि क्रिकेट इसकी जद में देरी से आया लेकिन यहां असर तेजी से हुआ। स्थिति यह है कि दुनियाभर में तकरीबन हर जगह क्रिकेट स्पर्धाओं को स्थगित कर दिया गया है।
क्रिकेट प्रशंसकों के लिए हाल के वर्षों में यह पहला मौका है जब क्रिकेट के मैदान पर किसी तरह की गतिविधियां नहीं हो रही हैं। स्टैंड्स खाली पड़े हैं और सीटों पर धूल जम रही है। हालांकि क्रिकेट इस तरह की विपरीत परिस्थितियों का सामना पहले भी कर चुका है। ऐसी स्थितियां प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बनी थीं जब सालों अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेली जा सकी।
प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सालों नहीं हुए मैच
साल 1914 में प्रथम विश्वयुद्ध के आगाज के साथ ही टेस्ट क्रिकेट पर जो विराम लगा वो 1920 तक नहीं हट सका जबतक कि युद्ध समाप्त नहीं हुआ। इसी तरह की स्थिति 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भी बनी थी लेकिन इस बार विराम पहले विश्व युद्ध से ज्यादा लंबा था। अगस्त 1939 से मार्च 1946 तक कोई मैच नहीं खेला जा सका।
उस दौर के दो सबसे प्रमुख प्रथम श्रेणी क्रिकेट टूर्नामेंट काउंटी क्रिकेट और शेफेल्ड शील्ड थे। युद्ध की वजह से दोनों को अनिश्चितकाल के लिए रद्द करना पड़ा था। हालांकि युद्ध के उस दौर में भी कुछ मैच खेले गए जिन्होंने क्रिकेट की कई महान कहानियों को जन्म दिया। 1944 में मिडिलसेक्स और इंग्लैंड के लिए बतौर ओपनर खेलने वाले बल्लेबाज जैक रॉबर्टसन लॉर्ड्स के मैदान पर बल्लेबाजी कर रहे थे। उसी दौरान वहां से लड़ाकू विमान गुजरे। ऐसे में खिलाड़ी और अंपायर्स सभी मैदान पर लेट गए। उन्हें खतरा गुजरने तक ऐसा करने का प्रशिक्षण दिया गया था। खतरा टलने के बाद जब खेल दोबारा शुरू हुआ तो रॉबर्टसन ने गेंद को इत्तेफाकन बाउंड्री पार छक्के के लिए पहुंचा दिया और कहा सो मच फॉर योर बॉम्ब्स मिस्टर हिटलर'।