- भारत 2003 के विश्व कप फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हारा था
- तब धोनी झारखंड के लिए घरेलू क्रिकेट में खेलते थे
- दोस्तों के साथ घर पर धोनी ने देखा था फाइनल
World cup 2011 : 02 अप्रैल 2011 भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे यादगार दिनों में से एक है। ऐसा इसलिए है क्योंकि साल 1983 के लंबे अंतराल के बाद भारतीय टीम ने पहली बार आईसीसी वनडे विश्व कप खिताब जीता था। भारत ने पहली बार वनडे विश्व कप कपिल देव की अगुआई में 25 जुलाई 1983 में जीता था।लेकिन इसके बाद भारतीय टीम को दूसरा वनडे विश्व कप जीतने में 28 साल लग गए, और यह खिताब दिलाया कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने।
हार के बाद खाई थी खिताब दिलाने की कसम
यह सही है कि भारतीय टीम ने महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में 2 अप्रैल 2011 में श्रीलंका को हराकर विश्व कप खिताब जीता था। लेकिन ज्यादातर लोग यह नहीं जानते कि धोनी ने विश्व चैंपियन बनने का सपना 9 साल पहले 2003 में ही देख लिया था। यह बात, 23 मार्च 2003 की है, जब कप्तान सौरव गांगुली की कप्तानी में भारतीय टीम दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में खेले गए विश्व कप के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों हारी थी। करोड़ों भारतीय क्रिकेटप्रेमियों के साथ धोनी को भी उम्मीद थी कि भारतीय टीम विश्व कप ट्रॉफी उठाएगी।
धोनी अपने कुछ दोस्तों के साथ रांची के एक छोटे से फ्लैट में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच फाइनल मुकाबला देख रहे थे। लेकिन भारतीय टीम का प्रदर्शन निराशाजनक रहा और टीम को 125 रन से हार का सामना करना पड़ा। इस हार से धोनी और उनके दोस्त काफी निराश हो गए। लेकिन तभी धोनी ने कहा कि वह एक दिन भारतीय टीम को विश्व चैंपियन बनाएंगे। यह बात सुनकर उनके दोस्त हंसे लेकिन धोनी ने मन ही मन ठान लिया कि वह एक दिन अपना और करोड़ों क्रिकेटप्रेमियों का सपना जरूर पूरा करेंगे।
एक साल बाद टीम में बनाई जगह
2003 में धोनी झारखंड टीम के लिए घरेलू क्रिकेट खेलते थे। लेकिन अपने शानदार प्रदर्शन के दम पर उन्होंने एक साल बाद 2004 में भारतीय क्रिकेट टीम में जगह बनाई और धीरे-धीरे टीम में अपनी जगह पक्की कर ली। इसके बाद धोनी 2007 में टी-20 टीम के कप्तान बने और भारत को इस प्रारूप का विश्व कप दिलाया। लेकिन धोनी का लक्ष्य 2011 वनडे विश्व कप में खिताब जीतना था।
प्रशंसक आज तक नहीं भूले वो खिताबी छक्का
साल 2011 में वनडे विश्व कप का आयोजन भारत में ही हुआ। धोनी पहली बार वनडे विश्व कप में भारत की कप्तानी करने उतरे। भारतीय टीम शानदार प्रदर्शन करते हुए फाइनल में पहुंची, जहां उसकी भिड़ंत श्रीलंका से हुई। श्रीलंकाई टीम ने 6 विकेट पर 274 रन बनाए। जवाब में भारत ने 48.2 ओवर में 4 विकेट पर 277 रन बनाकर जीत दर्ज कर ली। धोनी ने 91 रन की नाबाद पारी खेली। उन्होंने मीडियम पेसर कुलशेखरा की गेंद पर छक्का लगाकर भारतीय टीम को विश्व चैंपियन बनाया। उनका यह छक्का आज भी क्रिकेट प्रशंसकों के जेहन में है।