- ग्रेग चैपल ने सौरव गांगुली के साथ विवाद को लेकर कई खुलासे किए
- ग्रेग चैपल ने कहा कि वह सौरव गांगुली के कारण ही भारतीय टीम के कोच बने थे
- चैपल ने कहा कि गांगुली की वापसी के बाद उन पर बहुत दबाव बढ़ गया था
नई दिल्ली: ग्रेग चैपल ने भारतीय कोच के अपने समय को याद करते हुए कहा कि सौरव गांगुली के कारण उन्हें यह पद मिला था और उन्होंने यह पद इसलिए छोड़ा क्योंकि गांगुली की वापसी के बाद टीम में विरोध बहुत ज्यादा बढ़ गया था। क्रिकेट लाइफ स्टोरीज पोडकास्ट में बातचीत करते हुए चैपल ने कहा, 'गांगुली ही वो व्यक्ति थे, जिन्होंने मुझे भारत का कोच बनने के लिए संपर्क किया था। मेरे पास और भी विकल्प थे, लेकिन मैंने भारत का कोच बनने का फैसला किया क्योंकि जॉन बुकानन ऑस्ट्रेलिया को कोचिंग दे रहे थे।'
चैपल ने आगे कहा, 'मुझे सबसे ज्यादा लोकप्रिय, दुनिया में क्रिकेट के प्रति लगाव रखने वाले देश की कोचिंग करने का मौका मिला और यह मौका सौरव गांगुली के कारण मिला, जो उस समय कप्तान थे और सुनिश्चित करना चाहते थे कि मैं ये जिम्मेदारी संभालूं। भारत में हर जगह दो साल तक कड़ी चुनौती रही। अपेक्षाएं बहुत ज्यादा थी। सौरव गांगुली के कप्तान रहने के कारण कुछ मसले थे। वह विशेषकर कड़ी मेहनत नहीं करना चाहते थे। वह अपने क्रिकेट को सुधारना नहीं चाहते थे। वह बस टीम के कप्तान बने रहना चाहते थे ताकि चीजें नियंत्रित कर सकें।'
चैपल ने फिर बताया कि कैसे वह भारत के कोच के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभाना चाहते थे। उन्होंने कहा कि वह कुछ परंपरा को बदलना चाहते थे और टीम में सोच का तरीका भी। उन्होंने कहा कि भारतीय टीम ने करीब एक साल तक राहुल द्रविड़ के नेतृत्व में बेहतर प्रदर्शन किया, लेकिन फिर चीजें बिगड़ने लगी।
राहुल द्रविड़ जैसी हर किसी की भावना नहीं: चैपल
ग्रेग चैपल ने कहा, 'द्रविड़ ने भारत को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीम बनाने के लिए वाकई निवेश किया। दुर्भाग्यवश टीम में हर किसी की ऐसी सोच नहीं थी। वह एक टीम बनकर खेलने पर ध्यान दे रहे थे कुछ सीनियर खिलाड़ियों ने प्रतिरोध किया क्योंकि उनमें से कुछ खिलाड़ी अपने करियर के आखिरी पड़ाव में थे। जब सौरव गांगुली टीम से ड्रॉप हुए, तो हम पर खिलाड़ियों ने काफी ध्यान दिया क्योंकि उन्हें एहसास हो गया था कि अगर गांगुली गए तो कोई भी जा सकता है।'
चैपल ने आगे कहा, 'हमारा एक साल शानदार रहा। मगर फिर प्रतिरोध काफी बढ़ गया। गांगुली टीम में वापस आए। खिलाड़ियों की तरफ से संदेश एकदम स्पष्ट था। हम नहीं बदलना चाहते हैं। भले ही बोर्ड ने मुझे नया अनुबंध प्रस्तावित किया, लेकिन मैंने फैसला कर लिया कि मुझे इस तरह के दबाव की जरूरत नहीं है।'