नई दिल्ली: बहुत कम क्रिकेटर ऐसे होते हैं जिनकी मैदान पर मौजूदगी विपक्षी टीम में खौफ पैदा कर देती है। हर टीम की ख्वाहिश होती है कि ऐसे खिलाड़ी उनकी टीम में जरूर हों। भारतीय टीम में भी ऐसे दो क्रिकेटर रहे हैं जिनका दबदबा मैदान पर देखने लायक होता था। विपक्षी टीमें इनके खौफ का लोहा मानती थीं। अपने-अपने दौर में भारत की बल्लेबाजी की रीढ़ रहे यह दो विस्फोटक बल्लेबाज नवजोत सिंह सिद्धू और वीरेंद्र सहवाग हैं। आज यानी 20 अक्टूबर को इन दोनों का जन्मदिन है। सिद्धू जहां अपना 56वां जन्मदिन मना रहे हैं वहीं सहवाग का यह 41वां जन्मदिन है।
'एक टीवी किंग और दूसरा ट्विटर का बादशाह'
दोनों विस्फोटक बल्लेबाज एक दशक से भी ज्यादा टीम रहे और दोनों का खेलने का अंदाजा तकरीबन एक जैसा यानी धमाकेदार शॉट्स था। दोनों की धमाकेदार बल्लेबाजी का यह आलम था कि गेंद को हवा में बाउंड्री के बाहर भेजने में कभी नहीं हिचकते थे। इसके अलावा दोनों बल्लेबाजों में यह भी समानता है कि दोनों अपने क्रिकेटर करियर के दौरान सार्वजनिक तौर पर कम ही सक्रिय रहते थे। लेकिन क्रिकेट से संन्यास के बाद दोनों ही खिलाड़ी काफी मुखर होकर अपनी बात रखते हैं। सिद्धू ने जहां बतौर कमेंटेटर टेलीविजन पर अपनी अलग पहचान बनाई जबकि सहवाग ट्विटर पर बहुत सक्रिय रहते हैं और चुटीले अंदाज में अपनी बात कहने के लिए जाने जाते हैं।
सिद्धू ने अपने पिता को नहीं किया निराश
सिद्धू का जन्म 20 अक्टूबर 1963 को पंजाब के पटियाला जिले में हुआ था। उनके पिता सरदार भगवंत सिंह सिद्धू भी एक क्रिकेटर थे। भगवंत सिंह चाहते थे कि उनका बेटा नवजोत एक बेहतरीन क्रिकेटर बने। सिद्धू ने अपने पिता को निराश नहीं किया और कड़ी मेहनत से अपनी अंतरारष्ट्रीय पहचान बनाई। नवजोत सिंह सिद्धू ने अंतरारष्ट्रीय क्रिकेट में करीब 16 धूम मचाई। उन्होंने 1983 में टेस्ट डेब्यू किया। हालांकि, उनके टेस्ट करियर शुरुतआ में कुछ खास नहीं रहा। उन्हें महज दो टेस्ट मैच के बाद ही टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। सिद्धू ने टीम से बाहर होने के बाद काफी मेहनत की और दोबारा टीम इंडिया में अपनी जगह बनाई।
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विश्व कप से छाए सिद्धू
सिद्धू ने सिद्धू ने 1987 के वर्ल्डकप में अपने वनडे करियर का आजाज किया। उन्होंने ने इस विश्व कप में लाजवाब प्रदर्शन कर सबको अपना दीवाना बना लिया। उन्होंने सात मैचों की पांच पारियों में 276 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने चार अर्धशतक जमाए। विश्व कप में सिद्धू के बल्ले से दस छक्के निकले जिसकी बदौलत उनका शुमार विस्फोटक बल्लेबाजों की श्रेणी में हो गया। उन्होंने यहां से जो रफ्तार पकड़ी वो लंबे समय तक कायम रही। लंबे-लंबे छक्के मारने के कारण उन्हें 'सिक्सर सिद्धू' भी कहा जाता था। सिद्धू ने अपने वनडे डेब्यू मैच में 73 रनों की पारी में 4 चौके और 5 छक्के मारे थे।
सिद्धू ने 51 टेस्ट मैचों की 78 पारियों में 42.13 की औसत से 3202 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने नौ शतक जमाए जिसमें एक दोहरा शतक भी शामिल है। टेस्ट करियर में उन्होंने 38 छक्के मारे। सिद्धू का वनडे में प्रदर्शन बेहतरीन रहा। 136 वनडे मैचों की 127 पारियों में उन्होंने करीब 37.08 की औसत से 4413 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने 6 शतकीय पारियां खेलीं। उन्होंने वनडे करियर में 44 छक्के जमाए।
25 साल बाद टूटा सिद्धू का ये रिकॉ़र्ड
भारत के लिए एक टेस्ट में सबसे ज्यादा छक्के जड़ने का रिकॉर्ड सिद्धू के नाम 25 साल रहा। इस रिकॉर्ड को रोहित शर्मा ने इस महीने की शुरुआत में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले टेस्ट मैच के दौरान तोड़ा। रोहित ने इस मैच में कुल 13 छक्के लगाए। उन्होंने नौवां छक्का जड़ते ही भारत के लिए एक टेस्ट में सबसे ज्यादा छक्के जड़ने वाले बल्लेबाज का रिकॉर्ड अपने नाम किया था। रोहित से पहले यह रिकॉर्ड सिद्धू के ही नाम था। सिद्धू ने साल 1994 में श्रीलंका के खिलाफ 8 छक्के जड़े थे।
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सहवाग ने तो कमाल ही कर दिया
'नजफगढ़ के नवाब' के नाम से मशहूर रहे वीरेंद्र सहवाग क्रिकेट इतिहास के चुनिंग धाकड़ बल्लेबाजों में से एक हैं। बतौर ऑलराउंडर अपने क्रिकेटर करियर शूरू करने वाले सहवाग ने पिच पर अपना जबरदस्त खौफ कायम किया। वह बेहद अनिश्चित बल्लेबाज थे। वह मैच की पहली गेंद से ही तूफानी बल्लेबाजी करने वाले खिलाड़ी रहे। खड़े-खड़े गेंद पर छक्का मारने की उनकी काबिलियत लाजवाब थी।
सहवाग का जन्म 20 अक्टूबर 1978 को हरियाणा में हुआ था। प्यार से उन्हें 'वीरू' भी कहा जाता है। उन्होंने भारत की ओर से पहला वनडे मैच 1999 में और पहला टेस्ट मैच 2001 में खेला था। 14 साल के करियर में सहवाग ने 104 टेस्ट मैचों में 49.34 की औसत से 8586 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने 23 शतक और 32 अर्धशतक जमाए। वहीं, 251 वनडे मैचों में उन्होंने 35.05 की औसत से 8273 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने 15 शतक और 38 अर्धशतक लगाए। इसके अलावा सहवाग ने 19 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले जिसमें दो अर्धशतकों की बदौलत उन्होंने 394 रन बनाए। सहवाग के नाम टेस्ट में 91, वनडे में 136 और टी20 में 16 छक्के दर्ज हैं।
घर में घुसकर पाकिस्तान की धज्जियां उड़ाईं
सहवाग ने देश के पहले टी20 अंतरराष्ट्रीय में भारत की कप्तानी की थी। यह मैच भारत ने 2006 में दक्षिण अफ्रीका दौरे पर खेला था। अपने आक्रामक खेल के लिए प्रसिद्ध सहवाग ने कई रिकॉर्ड अपने नाम किए। सहवाग 300 रन का आंकड़ा छूने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज हैं। उन्होंने यह कारनामा 2004 में पाकिस्तान के खिलाफ 309 रन की पारी खेलकर अंजाम दिया। उन्हें मैच में पाकिस्तान के गेंदबाजों को जमकर धोया। इस पारी के बाद से उन्हें 'मुल्तान का सुल्तान' भी कहा जाने लगा।
10 साल सहवाग के नाम रहा ये विश्व रिकॉर्ड
सहवाग ने मुल्तान में 530 मिनट तक चली अपनी पारी में 375 गेंदों का सामना कर 309 रन बनाए थे। वह पहले दिन का खेल खत्म होने तक 228 रन बनाकर नाबाद रहे थे। टेस्ट के दूसरे दिन सहवाग दूसरे सत्र में 295 रन बनाकर खेल रहे थे लेकिन उन्होंने आसानी से तिहरा शतक जड़ने की बजाए यह इतिहास छक्के लगाकर बनाया। उन्होंने सकलैन मुश्ताक की गेंद पर छक्का लगाकर अपना पहला तिहरा शतक पूरा किया।
उस समय वह टेस्ट इतिहास में एकमात्र बल्लेबाज थे जिन्होंने तिहरे शतक छक्का मारकर पूरा किया था। उनका यह विश्व रिकॉर्ड 10 साल तक बरकरार रहा। श्रीलंका के दिग्गज कुमार संगकारा ने 2014 में बांग्लादेश के खिलाफ चटगांव टेस्ट मैच में 319 रन की पारी खेली जिसमें उन्होंने सहवाग का यह रिकॉ़र्ड तोड़ा था। सहवाग अभी भी टेस्ट क्रिकेट में सबसे लंबी पारी खेलने में वाले भारतीय खिलाड़ी हैं। उन्होंने 2008 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ चेन्नई टेस्ट में 319 की पारी खेली थी।