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गरीबी में बीता हार्दिक पांड्या का बचपन, जानिए कैसे बने देश के बेहतरीन क्रिकेटर

Updated Aug 03, 2022 | 17:31 IST

कई बार हार्दिक की तुलना महान क्रिकेटर कपिल देव से भी की जाती है। वक्त के साथ हार्दिक का खेल बेहतरीन होता गया है। हार्दिक का शुमार अब दुनिया के सबसे धाकड़ ऑलराउंडर में होता है।

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
Hardik Pandya
मुख्य बातें
  • हार्दिक पांडया बचपन में कठिन परिस्थितियों में पले बढ़े
  • माता पिता ने हर मोड़ पर दिया साथ
  • आज जाने जाते हैं शानदार और स्टाइलिश खिलाड़ी

भारत के हरफनमौला क्रिकेटर हार्दिक पांड्या ने अपनी बल्लेबाज़ी और गेंदबाजी के दम पर कई बार सामने वाली टीम के सपने को चकनाचूर कर दिखाया है। इनकी ख़तरनाक बॉलिंग ने हर बार दुश्मनों के छक्के छुड़ाए हैं। अच्छे से अच्छा बल्लेबाज भी इनकी गेंदबाजी को देखकर घबराने लगता है। खेल हो या स्टाइल, हार्दिक पांड्या ने कम समय में ही लोगों के बीच अपनी अलग पहचान बना ली है। इतना ही नहीं हार्दिक आईपीएल में भी अपने शानदार खेल के बल पर भारतीय क्रिकेट टीम के चहेते खिलाडियों में शुमार हो चुके हैं। 

कई बार हार्दिक की तुलना महान क्रिकेटर कपिल देव से भी की जाती है। वक्त के साथ हार्दिक का खेल बेहतरीन होता गया और आईपीएल में गुजरात को जीत दिलाने के बाद उनकी कामयाबी वाकई गौर करने लायक है। लेकिन एक वक्त वो भी था जब इस खिलाड़ी की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर हुआ करती थी। लेकिन उनके संघर्ष और मेहनत ने आज उनके सपने को पूरा कर दिखाया है।

गरीबी में पले-बढ़े पांड्या ब्रदर्स

आज के दौर में पांड्या भाइयों यानी हार्दिक और कृणाल पांड्या की लाइफस्टाइल सबसे महंगे सितारों जैसी कही जाती है। हालांकि, ऐसा माना जाता है बचपन में उनके परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। घर की सीमित आमदनी में बच्चों के सपनों को पूरा करने के लिए घरवालों हर संभव प्रयास किया। पिता ने अपने दोनों बेटों हार्दिक और क्रुणाल पांड्या को उनके लक्ष्य को पाने के लिए कभी नहीं रोका। इतना ही नहीं हार्दिक की लगन को देखते हुए पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज किरण मोरे ने 3 सालों तक उन्हें अपनी क्रिकेट एकेडमी में उनको फ्री में ट्रेनिंग दी।  

क्रिकेट प्रेमी थे हार्दिक पांड्या के पिता 

ये कहना गलत नहीं होगा कि अगर हार्दिक के पिता हिमांशु पांड्या नहीं होते तो शायद उनके दोनों बेटे भारत के लिए खेल पाने का सपना नहीं देख पाते। हार्दिक के पिता को क्रिकेट से काफी लगाव था। पिता ने बच्चों के सपनों को पूरा करने के लिए कई चुनौतियों का सामना किया और सारा काम धंधा छोड़कर बेटों के करियर के लिए सूरत से बड़ौदा जाकर बस गए। माता पिता की मेहनत रंग लाई और हार्दिक पांड्या को उनकी मेहनत का फल और मंजिल दोनों एक साथ मिल गए। 

आज हार्दिक भारत के स्थापित क्रिकेटरों में शामिल हो चुके हैं लेकिन उनकी जिंदगी और लगन इस बात का सबूत है कि सपने देखने वालों की मेहनत कभी खाली नहीं जाती।
 

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