- साल 2009 में महज 17 साल की उम्र में किया था मुंबई के लिए डेब्यू
- साल 2012 में अंडर-19 वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम का रहा सदस्य
- मुंबई की ओर से घरेलू क्रिकेट में नहीं मिले पर्याप्त मौके तो किया अमेरिका का रुख करने का फैसला
मुंबई: भारत को साल 2021 में अंडर-19 वर्ल्ड चैंपियन बनाने वाली टीम के खिलाड़ियों का संन्यास लेने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। उन्मुक्त चंद की कप्तानी में खिताब जीतने वाली टीम के सदस्य रहे एक और खिलाड़ी ने सोमवार को महज 28 साल की उम्र में घरेलू क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया।
घरेलू क्रिकेट में मुंबई का प्रतिनिधित्व करने वाले हरमीत सिंह ने करियर में 31 प्रथम श्रेणी,19 लिस्ट ए और 7 टी20 मैच खेले और इस दौरान कुल 104 विकेट हासिल किए और 926 रन बनाए। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उन्होंने साल 2009 में हिमाचल प्रदेश के खिलाफ मुंबई के लिए डेब्यू किया था। उस वक्त उनकी उम्र महज 17 साल थी। इसके बाद वो साल 2012 में उन्मुक्त चंद की कप्तानी में अंडर19 वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम के सदस्य भी रहे।
सिएटल थंडरबोल्ट से किया है तीन साल का करार
बांए हाथ के स्पिनर हरमीत ने संन्यास का फैसला अमेरिका में क्रिकेट करियर बनाने के इरादे से लिया है। उन्होंने अमेरिका की मेजर क्रिकेट लीग की सिएटल थंडरबोल्ट टीम के साथ तीन साल का करार किया है। हरप्रीत का मानना है कि भारतीय क्रिकेट में उनके लिए संभावनाएं खत्म हो गई हैं। उन्होंने कहा, मैंने जुलाई में संन्यास ले लिया था क्योंकि मुझे मुंबई की ओर से खेलने के मौके नहीं मिल रहे थे जो कि मेरी घरेलू टीम है। मुझे अमेरिका में क्रिकेट खेलने के एवज में अच्छा पैसा मिल रहा है। जो मुझे सुरक्षा की भावना दे रहा है। वहां क्रिकेट का स्तर भी अच्छा है।
अमेरिका जाने का है अफसोस
हरमीत को अमेरिका की ओर से राष्ट्रीय क्रिकेट खेलने की भी आशा है। इस बारे में उन्होंने कहा, अगर आप अमेरिका में लगातार 30 महीने तक रुकते हैं तो आप राष्ट्रीय टीम की ओर से खेल सकते हैं। मैं 12 महीने से यहां हूं और 18 महीने बाकी हैं। साल 2023 की शुरुआत तक मैं अमेरिका की राष्ट्रीय टीम की ओर से खेलने की अर्हता हासिल कर लूंगा। तब मेरी उम्र 30 साल होगी और एक स्पिनर के लिए ये दौर सबसे अच्छा होता है।
मुंबई की ओर से नहीं मिले पर्याप्त मौके
हरमीत सिंह का मानना है कि उन्होंने साल 2009 में मुंबई के लिए डेब्यू तो किया लेकिन उन्हें खुद को साबित करने के लिए पर्याप्त मौके नहीं मिले। इसी वजह से आज उन्हें अमेरिका जाने का निर्णय लेना पड़ा है। उन्हें लगता है कि उन्हें करियर में खुद को साबित करने के लिए एक पूरा सीजन भी नहीं दिया गया। साल 2017 तक मैं मुंबई की ओर से खेलने के लिए मौके का इंतजार कर रहा था। एक दशक के करियर में मुझे केवल 9 मैच खेल पाया। मुझे असफल होने का मौका भी नहीं मिला। मुझे खुद को साबित करने के मौके नहीं मिले। इस बात का अफसोस रहेगा।